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तब्बू और मनोज बाजपेयी को किस बात का है अफ़सोस

पद्मश्री से सम्मानित अभिनेत्री तब्बू का कहना है की फ़िल्मों में आना उनकी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा संयोग था क्योंकि फ़िल्मों में काम करना उन्हें नापसंद था और ना ही उनकी ऐसी कभी इच्छा थी.

आजकल की अभिनेत्रियां जहां पूरी तैयारी के साथ फ़िल्मी दुनिया में कदम रखती हैं वहीं तब्बू ने बताया की उन्होंने निर्देशक शेखर कपूर के दबाव में आकर फ़िल्मों में कदम रखा. 

By BBC News हिन्दी
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तब्बू
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तब्बू

पद्मश्री से सम्मानित अभिनेत्री तब्बू का कहना है की फ़िल्मों में आना उनकी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा संयोग था क्योंकि फ़िल्मों में काम करना उन्हें नापसंद था और ना ही उनकी ऐसी कभी इच्छा थी.

आजकल की अभिनेत्रियां जहां पूरी तैयारी के साथ फ़िल्मी दुनिया में कदम रखती हैं वहीं तब्बू ने बताया की उन्होंने निर्देशक शेखर कपूर के दबाव में आकर फ़िल्मों में कदम रखा. और देखते-देखते उन्होंने इस इंडस्ट्री में अपने 30 साल गुज़ार दिए.

वो कहती हैं, "मैं फ़िल्म नहीं करना चाहती थी पर शेखर अंकल ने बहुत दबाव डाला तो मैंने कर लिया. मुझे अभिनय अच्छा नहीं लगता था. अपने आप को बतौर अभिनेत्री कभी देखा नहीं था इसलिए मुश्किल था. मुझे लगा था एक फ़िल्म करूंगी और इंडस्ट्री से चली जाऊंगी."

जहाँ आज फ़िल्म इंडस्ट्री में अभिनेत्रियों के चुनौतीपूर्ण किरदारों की चर्चा है वहीं तब्बू का कहना है कि उन्होंने चुनौतीपूर्ण किरदार आज से 20-25 साल पहले ही कर लिए हैं.

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तब्बू फ़िल्म गोलमाल में
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तब्बू फ़िल्म गोलमाल में

तब्बू जल्द दिखेंगी मनोज बाजपेयी के साथ

तब्बू ने माना की उस दौरान निर्माता अभिनेत्रियों के लिए चुनौतीपूर्ण विषयवाली फ़िल्मों पर पैसे लगाने से कतराते थे और ऐसी फ़िल्मों के निर्माण में झिझक थी, पर वो शुक्रगुज़ार हैं कि उन्हें ऐसे विषय और लोग मिले जिन्होंने आम फ़िल्मों से हटकर बनी फ़िल्मों में काम किया जो लैंडमार्क फ़िल्में साबित हुईं. इन फ़िल्मों में 'अस्तित्व', 'चांदनी बार', 'मक़बूल' और 'हू तू तू'.

फ़िल्म अस्तित्व के बारे में तब्बू कहती हैं, "अस्तित्व फ़िल्म में मैं पहली बार माँ का किरदार निभा रही थी, मुझे झिझक नहीं थी पर लोग ज़रूर चौंक गए थे. पर वो मेरी ज़िन्दगी की सबसे संतोषजनक फ़िल्म रही. उसके बाद ही लोगों ने मुझे भरोसेमंद अभिनेत्री के रूप में स्वीकारा".

तक़रीबन 18 साल के अंतराल के बाद तब्बू अभिनेता मनोज बाजपेयी के साथ एक बार फिर फ़िल्म 'मिसिंग' में नज़र आएँगी. इससे पहले फ़िल्म 'घात' और 'दिल पे मत ले यार' में उन्होंने साथ काम किया था.

मुकुल अभयंकर द्वारा निर्देशित 'मिसिंग' फ़िल्म के निर्माता मनोज बाजपेयी हैं. ये फ़िल्म 6 अप्रैल को रिलीज़ होगी.

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तब्बू
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तब्बू

18 साल पुराने दोस्त हैं मनोज और तब्बू

सोच समझ कर फ़िल्में चुनने वाली तब्बू अपने दोस्तों का चयन भी सोच विचार कर ही करती हैं. उनके दोस्तों की सूची में सबसे ऊपर है मनोज बाजपेयी का नाम. दोनों की दोस्ती 18 साल से भी अधिक की हो चुकी है.

मनोज बाजपेयी के साथ अपने रिश्ते के बारे में तब्बू कहती हैं, "मेरी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी पूंजी मेरे रिश्ते हैं. वही मेरी सबसे बड़ी सफ़लता है. करियर रहे ना रहे मायने नहीं रखता पर रिश्तों का होना मेरे लिए बहुत मायने रखता है."

तब्बू कहती हैं कि उन्हें अफ़सोस है कि उन्हें मनोज के साथ काम करने का ज़्यादा मौका नहीं मिला. वो कहती हैं, "मैं उन्हें बहुत मानती हूँ. मुझे जब कुछ समझ नहीं आता तब मनोज ही मुझे समझाते हैं. फिर वो चाहे फ़िल्में हो या फिर कोई और बात."

वो कहती हैं, "सबके लिए मैं तब्बू हूँ, लेकिन मनोज के लिए मैं तपन हूं. वो मुझे इसी नाम से पुकारते हैं."

मनोज बाजपाई
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मनोज बाजपाई

कॉमेडी फ़िल्म करना चाहते हैं मनोज, तब्बू

मनोज बाजपेयी और तब्बू चाहते हैं कि वो दोनों एक साथ फिर एक बार नज़र आएं, लेकिन संजीदा किरदारों में नहीं बल्कि हास्य किरदारों के रूप में. मनोज बाजपेयी का मानना है कि मैं और तब्बू बहुत अच्छी कॉमेडी फ़िल्म कर सकते हैं.

वो कहते हैं, "मेरी दिली इच्छा है कि मैं तपन के साथ अंग्रेजी फ़िल्म 'द वॉर ऑफ़ द रोज़ेज़' जैसी फ़िल्म करूं. ये फ़िल्म पति-पत्नी के संबंधों पर आधारित है. एक पति अपनी पत्नी को मारना चाहता है- इसे हास्य अंदाज़ में पेश किया गया है जो अपने आप में कमाल की बात है. कुछ ऐसा ही मिले तो मैं बिना देर किए फ़िल्म करना चाहूंगा."

तब्बू कहती हैं "जैसे फ़िल्म 'द वॉर ऑफ़ द रोज़ेज़' में पति अपनी पत्नी को मारने पर उतारू है उसी तरह इनका सच अंदर से निकल रहा है क्योंकि मैं जिस तरह से इनको सताती हूँ वो अपने आप में एक कॉमेडी है."

हाल में मनोज बाजपेयी फ़िल्म 'बाग़ी 2' में नज़र आए थे. फ़िल्म में उनके काम को काफ़ी सराहा जा रहा है.

BBC Hindi
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English summary
Whats the matter of Tabu and Manoj Bajpayee
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