अरुणाचल के मेचुका में सी-17 और चीन के लिए बढ़ी चुनौतियां
जानिए क्या है सी-17 ग्लोबमास्टर और क्या है चीन के नजदीक अरुणाचल प्रदेश के मेचुका में इसकी लैंडिंग के मायने।
ईटानगर। इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) ने गुरुवार को अरुणचल प्रदेश के मेचुका में अपना सबसे भारी ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट ग्लोबमास्टर सी-17 लैंड कराया। जो चीन अभी तक यह मानता है कि अरुणाचल प्रदेश उसका हिस्सा है, वहां पर पहले सुखोई की लैंडिंग और अब इस एयरक्राफ्ट की लैंडिंग सिरदर्द बढ़ाने वाली है।
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सिर्फ 29 किमी दूर सी-17
मेचुका चीन से सिर्फ 29 किमी दूर है और सी-17 की लैंडिंग चीन से निबटने के उपायों के तहत ही देखी जा रही है। मेचुका वही जगह है जो 62 की जंग में भारत के लिए रणनीतिक तौर पर काफी अहमियत रखती थी। चीन इस जगह को हथियाना चाहता था।
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4200 फीट के रनवे पर लैंडिंग एक उपलब्धि
मेचुका एएलजी यानी एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड के तहत आता है। अरुणाचल में अब तक पांचों एएलजी को ऑपरेशनल किया जा चुका है। मेचुका समंदर तल से 6,200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और इसका रनवे सिर्फ 4200 फीट लंबा है।
आपको बता दें कि कोई भी पारंपरिक मिलिट्री कार्गो एयरक्राफ्ट 9,000 फीट लंबे रनवे से ही ऑपरेट करता है। ऐसे में सिर्फ 4200 फीट की लंबाई वाले रनवे पर सी-17 की लैंडिंग अपने आप में एक उपलब्धि है।
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परफॉर्मेंस पर कोई शक नहीं
शिलांग में पीआरओ ग्रुप कैप्टन अमित महाजन ने बताया कि सी-17 की ट्रायल लैंडिंग के बाद इसकी शॉर्टफील्ड लैंडिंग परफॉर्मेंस पर अब किसी को कोई शक नहीं रह गया है। इसकी लैंडिंग का मकसद इस सूनसान एएलजी पर आईएएफ की कम समय में जल्दी पहुंचने की क्षमताओं को परखना था।
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चार गुना बढ़ी क्षमताएं
अभी तक एएलजी पर छोटे एयरक्राफ्ट जैसे एएन-32 और सी-130जे हरक्यूलिस को ही लैंड कराया गया था। लेकिन सी-17 की लैंडिंग क्षमताओं पर चार गुना इजाफा होने की ओर इशारा करता है।
ग्रुप कैप्टन अमित महाजन के मुताबिक सड़क से कनेक्टिविटी न होने की हालत में एक ऐसी एयरलिफ्ट क्षमता की जरूरत होती है जो नाजुक मौकों पर मदद पहुंचा सके।
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चीन के लिए तैयार आईएएफ
चीन के लिहाज से अगर बात करें तो लद्दाख के बाद अरुणाचल में मौजूद एएलजी का ऑपरेशनल होना उसकी चुनौतियों का जवाब देना है। इससे पहले अरुणाचल की एक और एएलजी पासीघाट पर एडवांस्ड फाइटर जेट सुखोई की लैंडिंग हुई थी।
इससे अलग मार्च में अरुणाचल के ही जिरो स्थित एएलजी पर इंडियन एयरफोर्स एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर को लैंड कराया था।
पांच एएलजी अब ऑपरेशनल
अरुणाचल में टूटिंग, मेचुका, अलान्ग, तवांग, पासीघाट, वालॉन्ग और विजयनगर जैसे एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड मौजूद हैं। इसमें से वालॉन्ग और विजयनगर को छोड़कर बाकी सारी एएलजी ऑपरेशनल हो चुकी हैं।
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क्या है ग्लोबमास्टर
- इंडियन एयरफोर्स के अलावा रॉयल एयरफोर्स, रॉयल ऑस्ट्रेलियन एयरफोर्स, रॉयल कनैडियन एयरफोर्स, कतर, यूएई और नाटो की सेनाएं इसका प्रयोग करती हैं।
- बोइंग के सी-17 ग्लोबमास्टर को दुनिया का सबसे एडवांस्ड मिलिट्री एयरलिफ्ट और कार्गो एयरक्राफ्ट है।
- चार इंजन वाला यह एयरक्राफ्ट 76,657 किलोग्राम का वजन ले जा सकने में सक्षम है।
- साइज में बड़ा होने के बावजूद यह किसी भी छोटी एयरफील्ड पर आसानी से लैंड कर सकता है।
- इसका कॉकपिट पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से लैस है और इंटीग्रेटेड है।
- तीन क्रू वाले इस एयरक्राफ्ट में एक पायलट, को-पायलट और एक लोडमास्टर होता है।
- इसका एडवांस्ड कार्गो सिस्टम किसी भी तरह के मिशन में आसानी से ऑपरेट हो सकता है।
- यह 102 पैराट्रूपर्स या फिर 134 ट्रूप्स को ले जा सकता है।
- जमीन पर 134 ट्रूप्स आ सकते हैं तो साइड की सीट्स पर 54 ट्रूप्स को ले जाया जा सकता है।
- इसके अलावा इसमें एक टैंक के अलावा छह हथियारबंद हेलीकॉप्टर तक आ सकते हैं।
- इसकी फ्यूल क्षमता 134,556 लीटर की है।
- भारत ने अमेरिका के साथ वर्ष 2010 में 10 सी-17 के लिए इसकी डील फाइनल की थी।