West bengal Election: नाराज ममता ने कहा, हेमंत अगर बंगाल में वोट मांगेंगे तो मैं कहां जाऊंगी ?
West bengal Election 2021: झारखंड मुक्ति मोर्चा ने पश्चिम बंगाल चुनाव में दस्तक दे दी है। झामुमो की नजर बंगाल की आदिवासी बहुल सीटों पर है। झामुमो की चुनावी इंट्री से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बेहद परेशान हो गयी हैं। पहले तो उन्होंने हेमंत सोरेन को अपने सहयोग और समर्थन की याद दिलायी। फिर वे धमकी पर भी उतर आयीं। कल तक हेमंत सोरेन की तरफदारी करने वाली ममता ने अब उन्हें सबक सिखाने की बात कही है। इस बार पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में कांटे के मुकाबले की संभावना है। एक-एक सीट पर गुणा- भाग चल रहा है। थोड़े मतों के अंतर से बाजी पलट सकती है। सत्ता बचाने की जद्दोजहद में लगीं ममता बनर्जी अपने आधार वोट में कोई सेंधमारी नहीं चाहती। अगर आदिवासी-दलित वोटों में बंटवारा होगा तो जाहिर है तृणूल को नुकसान होगा। इसलिए ममता ने हेमंत सोरेन के बंगाल से दूर रहने की नसीहत दी है।
ममता की धमकी
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 28 जनवरी को पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम के जामदा मैदान में एक चुनावी सभा की थी। इस सभा के साथ झामुमो ने बंगाल में अपने चुनावी अभियान की शुरुआत की थी। हेमंत सोरेन की इस सभा से ममता बनर्जी हत्थे से उखड़ गयीं। उन्होंने हेमंत सोरेन को कहा, अगर वे बंगाल में मुझे नुकासन पहुंचाएंगे तो मैं झारखंड में उनका खेल खराब कर सकती हूं। झारखंड में भी बहुत बंगाली रहते हैं। अगर हेमंत चुनाव के समय यहां वोट दो, वोट दो करेंगे तो मैं कहां जाऊंगी। यह ठीक नहीं है। उनके शपथ ग्रहण समारोह में सबसे पहले मैं गयीं थी। उनको सहयोग और सममर्थन दिया। इन बातों को उन्हें याद रखना चाहिए था। ममता बनर्जी के इस रवैये पर झामुमो ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है। झामुमो ने कहा है, हम पर कोई अहसान न जताये, हम खैरात नहीं मांग रहे। अपने बूते चुनाव लड़ेंगे।
झामुमो की नजर 30 से 35 सीटों पर
झारखंड की सीमा पश्चिम बंगाल से मिलती है। वृहत झारखंड की अवधारणा में पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा, मिदनापुर, पुरलिया, झाड़ग्राम जिले भी आते हैं। बंगाल के इन जिलों के लोग सामाजिक-सांस्कृतिक तौर पर झारखंड से जुड़ाव महसूस करते हैं। ये जिले आदिवासी बहुत माने जाते हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा पहले भी आदिवासी बहुत सीटों पर चुनाव लड़ता रहा है। एक्का-दूक्का सीटों पर विजयी भी रहा है। 2021 के विधानभा चुनाव में झामुमो ने 30 से 35 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बनाया है। इसके लिए सीटों की पहचान की जा रही है। गुरुवार को हेमंत सोरेन ने झाड़ग्राम के आदिवासी बहुल पश्चिमी क्षेत्र के लिए स्वायत्त परिषद के गठन की मांग कर दी। उन्होंने कहा था, ये तो शुरुआत हैं। वे फिर चुनावी सभा के लिए बंगाल आएंगे। आदिवासियों के दिशोम गुरु कहे जाने वाले शिबू सोरेन भी बंगाल में चुनाव प्रचार के लिए आएंगे। अगर झामुमो ने बंगाल के आदिवासियों के मन में ऑटोनोमस स्टेट्स की भावना जगा दी तो ममता बनर्जी की राजनीति डंवाडोल हो जाएगी।
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जंगलमहल से गुजरता है सत्ता का रास्ता
कहा जाता है पश्चिम बंगाल में सत्ता का रास्ता जंगलमहल से हो कर गुजरता है। जंगलमहल एक ब्रिटिशकालीन भौगौलिक शब्दावली है जिसमें पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा, पुरुलिया, मेदिनीपुर, झाड़ग्राम और बीरभूम जिले आते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जंगल महलइलाके में शानदार प्रदर्शन किया था। मेदिनीपुर के चर्चित नेता शुभेंदु अधिकारी के भाजपा में आने से तृणमूल को भारी झटका लगा है। शुभेंदु के प्रभाव से ही तृणमूल ने 2016 में पश्चिमी मेदिनीपुर जिले की सभी 16 विधानसभा सीटें जीत लीं थीं। लेकिन अब शुभेंदु भाजपा में हैं। ममता बनर्जी भाजपा की चुनौती से पहले ही परेशान थीं। अब झामुमो के चुनावी मैदान में कूदने से उनकी रणनीति छिन्न-भिन्न हो गयी है। तृणमूल ने 2016 के विधानसभा चुनाव में जंगल महल की 39 सीटों में से 30 पर विजय प्राप्त की थी। लेकिन 2021 में चुनावी स्थिति बहुत तेजी से बदली है। भाजपा इस क्षेत्र की छह में पांच लोकसभा सीटें जीत चुकी है। ममता के खाते में केवल एक सीट गयी थी। अपने गढ़ में तृणमूल के पिछड़ने से ममता में हताशा है। इसलिए वे झामुमो को चुनाव से दूर रहने की धमकी दे रही हैं।