क्या मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड लखवी की 'अय्याशी' के लिए UNSC ने मंजूर किए बड़े खर्चे ?
नई दिल्ली- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड जकीउर रहमान लखवी पर गजब की दरियादिली दिखाई है। सुरक्षा परिषद ने पाकिस्तान में बैठे आतंकवादियों के इस आका को जरूरत के खर्चों के नाम पर 1.5 लाख रुपये (पाकिस्तानी) हर महीने देने की इजाजत दे दी है। लखवी 26/11 के मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड में से एक है। गौरतलब है कि इस आतंकवादी को सुरक्षा परिषद ही ग्लोबल टेररिस्ट घोषित कर रखा है और इसी के चलते इसकी संपत्तियां और बैंक एकाउंट फ्रीज किए हुए हैं। लखवी खौफनाक आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा का सरगना है और जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान ने उसके लिए सुरक्षा परिषद से गुजारिश की थी।
पाकिस्तान की गुजारिश पर फैसला
सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान ने सुरक्षा परिषद में एक आवेदन डाला था कि जकीउर रहमान के एकाउंट से उसके जरूरत के खर्जों के लिए मासिक भुगतान की इजाजत दी जाए। पाकिस्तान की इमरान सरकार ने संयुक्त राष्ट्र में इस आतंकवादी की जरूरतों का जो बखान किया था, उसके मुताबिक उसे खाने के लिए 50,000 रुपये, दवाई के लिए 45,000 रुपये, जनसुविधाओं के इस्तेमाल के लिए 20,000 रुपये, वकीलों की फीस के लिए 20,000 रुपये और आवाजाही के लिए 15,000 रुपये हर महीने की दरकार है। पाकिस्तान के इस आवेदन को यूएनएससी 1267 अल-कायदा सैंक्शन कमिटी ने मंजूर किया है। सुरक्षा परिषद ने लखवी के अलावा अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र से प्रतिबंधित पाकिस्तान के न्यूक्लियर इंजीनियर महमूद सुल्तान बशीरुद्दीन को भी जरूरत के खर्चों के लिए ऐसी ही छूट दी है।
जेल में रहकर भी बच्चे का पिता बन जाता है लखवी
बशीरुद्दीन इस वक्त पाकिस्तान में आजाद घूम रहा है। उसे वहां की नवाज शरीफ सरकार सितारा-ए-इम्तियाज का सम्मान भी दे चुकी है, जो वहां का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है। लखवी इस समय आधिकारिक तौर पर जमानत पर छूटा हुआ है। क्योंकि, उसके पाकिस्तानी जेल में रहने या ना रहने के कोई मायने नहीं रह गए हैं। जानकारी के मुताबिक जेल में रहते हुए भी वह हर सुविधाओं का इस्तेमाल करता है, बाहर के लोगों के साथ बैठकें करता हैं, भारत-विरोधी गतिविधियों में भी शामिल रहने की चर्चा होती है और सबसे चौंकाने वाली बात तो ये है कि रावलपिंडी के अदियाला जेल में रहते हुए वह एक बच्चे का पिता भी बन चुका है।
'अय्याशी' के लिए मंजूर किए बड़े खर्चे ?
सुरक्षा परिषद ने मुंबई के गुनहगार पर जो रहमदिली दिखाई है उसपर सवाल इसलिए उठ सकते हैं, क्योंकि पाकिस्तान जैसे मुल्क में 1.5 लाख रुपये महीना जो कि करीब 6,500 डॉलर के बराबर होता है, आवश्यक जरूरतों को पूरा करने से कहीं ज्यादा की रकम है। क्योंकि, वह हाथ में कटोरा लिए दुनिया भर में घूमने वाला ऐसा मुल्क है, जहां के लोगों की औसत आय लखवी को दी गई रकम से बहुत ही कम है। लेकिन, दिक्कत इस बात की है कि लखवी ऐसा पहला आतंकवादी नहीं है, जिसकी बेहिसाब जरूरतों का ख्याल रखा गया है। सुरक्षा परिषद से घोषित एक और पाकिस्तानी आतंकी और मुंबई हमलों का ही एक और सरगना हाफिज सईद को भी इन्हीं प्रावधानों के तहत अगस्त में रियायत मिल चुकी है।
किसके लिए बनाए गए ऐसे नियम ?
वैसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के नियमों के मुताबिक ऐसे आवेदन मंजूर कर लिए जाते हैं, जबतक कि उसके सभी 15 सदस्य इसका विरोध ना करें। प्रक्रिया के मुताबिक कोई भी देश 1267 यूएनएससी कमिटी के पास गुजारिश करता है और अगर सभी 15 सदस्य इसका विरोध नहीं करते हैं तो तीन दिन के बाद इसकी मंजूरी दे दी जाती है। एक अधिकारी के मुताबिक,क्योंकि सभी सदस्यों देशों का विरोध जरूरी है, इसलिए एक या दो देशों के विरोध से कोई फर्क नहीं पड़ता। हैरान करने वाली बात ये है कि अधिकारी का तर्क है कि अगर रकम बहुत ज्यादा नहीं होती तो सदस्य ऐसी जरूरतों का विरोध नहीं करते।
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