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उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के लिये नेहरू ने बदल दिया था अपना प्लान

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नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने जब पहली बार स्वतंत्र भारत में तिरंगा फहराया, तब शहनाई के उस्ताद बिस्म‍िल्लाह खा साहब ने बजाई थी, लेकिन शायद आप यह नहीं जानते होंगे कि नेहरू जी के विशेष आदेश पर सेना का विमान उन्हें लेने के लिये वाराणसी गया था।

Unforgettable memories of First Independence Day

पंडित नेहरु की ख्वाहिश थी कि वे जब 15 अगस्त, 1947 को लाल किले पर तिरंगे को फहराए उसके बाद उस्ताद शहनाई बजाएं। पर उस्ताद इस बात के लिए तैयार नहीं थे। उन्होंने कहा कि पहले उनकी शहनाई बजेगी और उसके बाद नेहरु जी तिरंगा फहराएँगे।

देश के पहले स्वाधीनता दिवस पर नेहरु जी ने 15 अगस्त सुबह साढ़े आठ बजे राष्ट्रीय ध्वज फहराया। उस समय नेहरू जी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के दिल्ली चलो के नारे और दिल्ली के लालकिले पर आजादी के ध्वज को फहराए जाने के अपने सपने का जिक्र किया था। उनके ध्वजारोहण से पहले उस्ताद बिस्मिल्लाह खान साहब ने शहनाई बजाकर पूरे माहौल को खुशगवार बना दिया था। उन्हें उसी सुबह वाराणसी से एयरफोर्स के विमान से दिल्ली लाया गया था।

बापू को मिस करती जनता

मशहूर आईपी कालेज की प्रबंध समिति के प्रमुख लाला नारायण प्रसाद उस तारीखी मौके पर लाल किले पर मौजूद थे अपने मित्रों के साथ। उन्होंने बताया कि कई दिनों की भीषण गर्मी के बाद उस दिन मौसम बहुत सुहावना था। इसलिए दिल्ली के गांवों के भी हजारों लोग नेहरु जी को सुनने लाल किले पर आए थे। पर लोग कहीं न कहीं बापू को बहुत शिद्दत के साथ मिस कर रहे थे। बापू तब नोखाली में सामप्रदायिक दंगों को रोकने के लिए गए थे।

प्रथम स्वतंत्र से जुड़ी कुछ यादगार बातें

  • दरअसल 15 अगस्त 1947 के दिन वायसराइल लॉज (अब राष्ट्रपति भवन ) में जब नई सरकार को शपथ दिलाई गई थी, तो लॉज के सेंट्रल डोम पर सुबह साढ़े दस बजे आजाद भारत का राष्ट्रीय ध्वज पहली बार फहराया गया था।
  • इससे पूर्व 14-15 अगस्त की रात को स्वतंत्र भारत का राष्ट्रीय ध्वज कौंसिल हाउस के उपर फहराया गया, जिसे आज संसद भवन के रूप में जाना जाता है।
  • इससे पहले 14 अगस्त 1947 की शाम को ही वायसराय हाउस के ऊपर से यूनियन जैक को उतार लिया गया था। इस यूनियन जैक को आज इंग्लैंड के हैम्पशायर में नार्मन ऐबी आफ रोमसी में देखा जा सकता है।
  • 15 अगस्त 1947 को सुबह छह बजे की बात है। देश के इतिहास में पहली बार राष्ट्रीय ध्वज को सलामी दिए जाने का कार्यक्रम था।
  • जिस समय प्रधानमंत्री वहां झंडा फहरा रहे थे उसी समय साफ खुले आसमान में जाने कैसे इंद्रधनुष नजर आया और उसे देखकर वहां जमा भीड़ हतप्रभ रह गयी।
  • इस घटना का जिक्र माउंटबेटन ने अपनी एक रिपोर्ट में भी किया है, जिसे उन्होंने ब्रिटिश क्राउन को सौंपा था। उन्होंने रिपोर्ट में इंद्रधनुष के रहस्यमय तरीके से उजागर होने का जिक्र किया।
  • इस कार्यक्रम में पहले समारोहपूर्वक यूनियन जैक को उतारा जाना था, लेकिन जब देश के अंतिम वायसराय लार्ड माउंटबेटन ने पंडित नेहरू के साथ इस पर विचार विमर्श किया, तो उन्होंने इस बात पर सहमति जताई कि यह ऐसा दिन है जब हर कोई खुशी चाहता है, लेकिन यूनियन जैक को उतारे जाने से ब्रिटेन की भावनाओं के आहत होने के अंदेशे के चलते उन्होंने समारोह से इस कार्यक्रम को हटाने की बात कही।
Comments
English summary
Ustad Bismillah Khan was invited by the then Prime Minister of India Pandit Jawaharlal Nehru to play shehnai on the first Independence Day (15 August 1947) in Delhi's Red Fort.
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