ब्रिटेन की संसद में उठा किसान आंदोलन का मुद्दा, जानिए क्या कहा ब्रिटिश की सरकार ने?
ब्रिटेन की संसद में उठा किसान आंदोलन का मुद्दा, जानिए क्या कहा ब्रिटिश की सरकार ने?
लंदन: भारत में 100 दिनों से चल रहे किसान आंदोलन का मुद्दा ब्रिटेन की संसद में उठाया गया। भारत सरकार द्वारा लाए गए तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन पर चर्चा ब्रिटेन की संसद में हुई। इस चर्चा के दौरान ब्रिटिश सरकार ने कहा कि किसान और कृषि सुधार भारत का आंतरिक मामला है। हमें भारत के घरेलू मामले में दखल नहीं देना चाहिए। मंत्री निगेल एडम्स ने कहा कि ब्रिटेन के मंत्री और अधिकारी भारतीय समकक्षों से किसानों आंदोलन पर लगातार बात करते रहते हैं। हमें ये उममीद है कि भारत की सरकार किसानों से बातचीत कर इस मुद्दे का जल्द से जल्द कोई हल निकालेगी। विरोध प्रदर्शन में शामिल किसानों की सुरक्षा और प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर भारत की मोदी सरकार पर दबाव बनाने के लिए ब्रिटेन की संसद में डाली गई याचिका के बाद ये चर्चा हुई।
Recommended Video
भारत की नरेंद्र मोदी सरकार पर दबाव बनाने के लिए ब्रिटेन की संसद में डाली गई याचिका पर एक लाख से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किए थे। भारत के किसान आंदोलन पर लंदन के पोर्टकुलिस हाउस में 90 मिनट तक चर्चा चली। चर्चा के दौरान कंजर्वेटिव पार्टी की थेरेसा विलियर्स ने कहा, कृषि भारत का आंतरिक मामला है, इसलिए भारक के कृषि कानून और किसान आंदोलन पर किसी भी विदेशी संसद में चर्चा नहीं की जा सकती है। इस चर्चा में जवाब देने के लिए मंत्री निगेल एडम्स को प्रतिनियुक्त किया गया था।
ब्रिटेन के मंत्री निगेल एडम्स ने लोगों के सवालों का जवाब देते हुए कहा, 'कृषि सुधार भारत आंतरिक और घरेलू मसला है। हालांकि हमारे प्रतिनिधि भारत की सरकार से लगातार इस मुद्दे को लेकर बात कर रहे हैं। उम्मीद है जल्द ही कोई हल निकलेगा।' ब्रिटेन के राज्य मंत्री निगेल एडम्स ने भारत में शांतिपूर्ण विरोध और प्रेस स्वतंत्रता के मुद्दे पर संसद में कहा, यूके सरकार का दृढ़ता से मानना है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण विरोध का अधिकार किसी भी लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन हम यह भी स्वीकार करते हैं कि यदि कोई विरोध अवैधता में रेखा को पार करता है, तो सुरक्षा बल लोकतंत्र को कानून और व्यवस्था लागू करने का अधिकार है। "
मंत्री ने यह भी कहा कि भारत सरकार और किसान संघों के बीच चल रही बातचीत के सकारात्मक परिणाम होंगे। ब्रिटिश संसदीय सम्मेलन के अनुसार, यूके सरकार और संसद की वेबसाइट पर 10,000 हस्ताक्षर करने वाली याचिकाओं को सरकार से प्रतिक्रिया मिलती है और जिन याचिकाओं पर 100,000 हस्ताक्षर प्राप्त होते हैं, उन पर लगभग हमेशा बहस होती है।
ये भी पढ़ें- ब्रिटेन की संसद में किसानों के मुद्दे पर हुई बहस एकतरफा, किए गए झूठे दावे- भारत