सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में गणपति उत्सव की अनुमति देने से किया इनकार
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में गणपति उत्सव मनाने के लिए अनुमति से इनकार किया है। कोर्ट ने कहा कि गणपति उत्सव के दौरान होने वाली अनियंत्रित भीड़ को देखते हुए हम इसकी अनुमित नहीं दे सकते। कोरोना काल के बीच मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई के दौरान ये बातें कहीं।
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कोर्ट में पर्यूषण पर्व पर कुछ जैन मंदिरों को खोले जाने को लेकर सुनवाई चल रही थी। इसी मामले की सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार के याचिका का ये कहते हुए विरोध किया कि इससे हर समुदाय अपने-अपने पर्व के लिए अनुमति लेने के लिए कोर्ट की शरण में पहुंचता रहेगा। वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से कहा कि गणपति उत्सव का हवाला देते हुए कहा कि क्या कोर्ट कल्पना कर सकती है अगर ऐसी ही अनुमति गणेश उत्सव के लिए मांगी जाए।
इस पर खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि ये रियायत गणेश उत्सव पर नहीं लागू की जा सकती क्योंकि गणेश उत्सव एक अलग तरह का उत्सव है और इसमें भारी संख्या में लोग शामिल होते हैं।
तीन
जैन
मंदिरों
को
अनुमति
वहीं
शुक्रवार
को
हुई
सुनवाई
के
दौरान
मुंबई
के
तीन
जैन
मंदिरों
में
श्रद्धालुओं
को
पर्यूषण
प्रार्थना
करने
की
अनुमति
दी।
अदालत
ने
22
और
23
अगस्त
को
मुंबई
के
दादर,
बायकुला
और
चेंबूर
में
स्थित
जैन
मंदिरों
को
खोलने
की
अनुमति
दी।
कोर्ट
ने
इसके
लिए
शर्त
रखी
है
कि
एक
बार
में
सिर्फ
पांच
लोगों
को
जाने
की
अनुमति
होगी।
साथ
ही
कोर्ट
ने
कहा
कि
ये
आदेश
किसी
दूसरे
मामले
में
लागू
नहीं
होगा।
कोर्ट
ने
खास
तौर
पर
गणेश
चतुर्थी
के
दौरान
होने
वाली
मण्डली
का
जिक्र
किया।
कोर्ट
ने
इन
मामलों
का
निर्णय
राज्य
सरकार
पर
छोड़
दिया
है।
बता दें कि गणेश उत्सव महाराष्ट्र में होने वाले सबसे बड़े उत्सवों में है जो कि शनिवार से शुरू हो रहा है। इस दौरान जगह-जगह गणेश प्रतिमा स्थापित की जाती है। 10 दिनों तक चलने के बाद इन प्रतिमाओं का भव्य समारोह के रूप में विसर्जन किया जाता है। इस बार महाराष्ट्र सरकार ने कोरोना को देखते हुए किसी भी बड़ी भीड़ और पंडाल लगाने की अनुमति नहीं दी है।