सुप्रीम कोर्ट ने एडल्टरी की धारा को माना महिला विरोधी, खत्म करने के दिए संकेत
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने विवाहेतर संबंधों को अपराध मानने वाली आईपीसी की धारा को खत्म करने के संकेत दिए हैं। इस कानून के मुताबिक, किसी विवाहित पुरुष के शादीशुदा महिला से उसके पति के मर्जी के खिलाफ शारीरिक संबंध बनाने को अपराध मानते हुए सजा देने का प्रावधान है। सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की इस धारा को खत्म करने का संकेत दिया है।
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गुरुवार को एडल्टरी मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भले ही इस कानून के तहत महिला को विवाहेतर संबंध का दोषी नहीं माना गया हो, लेकिन यह महिलाओं को पति की संपत्ति के रूप में देखता है। सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली 5 सदस्यीय बेंच ने कहा कि कानून की ये धारा महिलाओं के लिए और अधिक भेदभावपूर्ण दिखाई देती है।
पीआईएल दाखिल करने वाले शाइना जोसफ ने आईपीसी की धारा 497 की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और कहा है कि इस कानून के तहत केवल पुरुषों को ही सजा होती है। उनको 5 साल तक की सजा देने का प्रावधान है जबकि महिलाओं पर उकसाने तक का मामला दर्ज नहीं हो सकता है।
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