शत्रुघ्न सिन्हा बोले, झूठ के गुब्बारे में कील घुस चुकी है
नई दिल्ली। बीजेपी के बागी सांसद औऱ मशहूर अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा जल्द ही कांग्रेस पार्टी का हाथ थामने वाले हैं। बिहारी बाबू के नाम से मशहूर सिन्हा पिछले कई सालों से पीएम मोदी और अमित शाह की खिलाफत करते रहे हैं। उन्होंने कई मौकों पर पीएम को लेकर बेहद ही तीखे बयान भी दिए हैं। वह आम तौर पर बीजेपी में लाल कृष्ण आडवाणी के खेमे के माने जाते हैं। इस लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पटना साहिब सीट से केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को उतारा है। वहीं सिन्हा पटना साहिब से मौजूदा सांसद हैं। कांग्रेस में शामिल होने के बाद अब सिन्हा पटना साहिब सीट से रविशकंर के खिलाफ ताल ठोंकने के लिए तैयार है। हाल ही एक हिंदी दैनिक एनबीटी को दिए इंटरव्यू में सिन्हा ने कहा कि, झूठ के गुब्बारे में कील घुस चुकी है। लोगों के दिमाग से फरेबी छलावे का भूत उतरने वाला है।
फिल्मों की तरह अचानक स्टोरी में विलेन का आ गया
सिन्हा ने कहा कि, मैं राजनीति में नेतागिरी करने नहीं आया था, मैंने लोगों की भलाई के लिए काम करने के लिए राजनीति ज्वाइन की थी। मेरे सियासी करियर पर शुरू से लोकनायक जयप्रकाश नारायण का प्रभाव रहा है। मैं उनके आंदोलन का हिस्सा रहा हूं। आंदोलन के बाद देश में एकमात्र पार्टी ऐसी थी जिसने राम मंदिर को सुलझाने का वादा किया था और वह पार्टी इस पर काम भी कर रही थी। लेकिन फिल्मों की तरह अचानक स्टोरी में विलेन का आ गया और उसने सबकुछ बर्वाद कर दिया।
थोड़ा इंतजार कीजिए, बाजी पलटेगी
मोदी और शाह पर निशाना साधते हुए शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि, इस समय भाजपा सिर्फ दो लोगों के आसपास घूम रही है। लेकिन वो लोग मुझे खामोश नहीं करा सकते हैं जो फूलता हुआ गुब्बारा आप देख रहे हैं, उस पर कोई फैसला मत कीजिए। थोड़ा इंतजार कीजिए, बाजी पलटेगी। झूठ के गुब्बारे में कील घुस चुकी है। लोगों के दिमाग से फरेबी छलावे का भूत उतरने वाला है। वहां सिर्फ दो लोगों की तूती बोल रही है। किसी तीसरे में हिम्मत नहीं है, जो उनकी बातों का जवाब दे सकें। उनके समक्ष सभी नेता नतमस्तक खड़े रहते हैं। मैं ऐसा नहीं कर पाया।
महागठबंधन के कारण बिहार-यूपी में गिरेगा एनडीए का स्ट्राइक रेट
आडवाणी जी नरेंद्र मोदी के सामने हाथ जोड़कर खड़े होते हैं
वहीं पार्टी में लगातार नरजअंदाज किए जा रहे पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक लाल कृष्ण आडवाणी को लेकर शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि, जब हमारे पितातुल्य व भारतीय राजनीति के भीष्म पितामह आडवाणी जी नरेंद्र मोदी के सामने हाथ जोड़कर खड़े होते थे और मोदी उन्हें इग्नोर कर आगे बढ़ जाते थे। जहां बुजुर्गों की इज्जत न हो, वहां रुकने का मलतब है खुद की बेइज्जती कराना। जब सिन्हा से मोदी और शाह के साथ तालमेल ना बैठ पाने का कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि, मेरे अकेले के साथ ऐसा नहीं हूं कई ऐसे नेता है जिनका मेरे जैसा ही हश्र हुआ है।
वहां वो लेकर टिके हुए हैं जो चापलूसी में पीएचडी हैं
सिन्हा ने कहा कि, वहां वो लेकर टिके हुए हैं जो चापलूसी में पीएचडी हैं। मेरे से यह सब नहीं हुआ। हम विचारों के साथ राजनीति करने वाले लोग हैं, समझौते के साथ नहीं। मेरी परेशानी की मुख्य वजह मेरा आडवाणी खेमे से ताल्लुक रखना था। मुझे हमेशा से लालकृष्ण आडवाणी का करीबी माना गया है। मैं ताल ठोककर कहता हूं, मैं कहीं भी रहूं, उनका आदर-सम्मान ताउम्र करता रहूंगा।
यूपी की सियासत में दिखने लगा है 'प्रियंका इफेक्ट', मेंबरशिप में 22 फीसदी तक का उछाल