ICMR की स्टडी में खुलासा, कोरोना के साथ दूसरे बैक्टीरियल या फंगल इंफेक्शन से मरीजों की जा रही है जान
नई दिल्ली, मई 28। ICMR की एक ताजा स्टडी में ये सामने आया है कोरोना की वजह से जान गंवाने वाले ज्यादातर मरीजों के अंदर सेकेंड्री बैक्टीरियल और फंगल इंफेक्शन पाया गया है। इसका मतलब है कि कोरोना के दौरान या फिर कोरोना से रिकवर होने के बाद व्यक्ति के अंदर अन्य दूसरे बैक्टीरियल या फंगल इंफेक्शन हो गए, जिसकी वजह से व्यक्ति की जान चली गई। आपको बता दें कि ICMR ने देश के 10 बड़े अस्पतालों में जून 2020 से लेकर अगस्त 2020 तक ये स्टडी की है।
रिसर्च में आए ये नतीजे
स्टडी के मुताबिक, इन 10 अस्पतालों में भर्ती मरीजों में 56.7 प्रतिशत मौतें ऐसे मरीजों की हुई हैं, जिनके अंदर कोरोना के बाद कोई और संक्रमण या बीमारी देखी गई है। ICMR का ये रिसर्च इन अस्पतालों के ICU और सामान्य वॉर्ड में भर्ती मरीजों पर किया गया। अध्ययन से पता चला है कि कई कोविड -19 रोगियों में उपचार के दौरान या बाद में कोई और बैक्टीरिया या फंगल विकसित होता है और इनमें से आधे से अधिक मामलों में मरीज की मौत हो जाती है।
10 अस्पतालों के 17 से अधिक मरीजों पर हुई ये स्टडी
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इस स्टडी में 10 अस्पतालों के 17,536 कोरोना संक्रमित मरीजों को शामिल किया गया। इनमें से 3.6 प्रतिशत यानी 631 मरीज सेकेंडरी बैक्टीरियल या फंगल इंफेक्शन के शिकार हुए। इन 631 मरीजों में से 56.7 प्रतिशत मरीजों की मौत हो गई। दूसरी ओर अगर कोरोना से कुल मौत की दर को देखें तो यह सिर्फ 10.6 प्रतिशत है।
क्यों दूसरे इंफेक्शन और फंगल का शिकार हो रहे हैं मरीज?
ICMR के अधिकारी ने बताया कि बेशक यह स्टडी छोटे पैमाने पर की गई हो, लेकिन देश में लाखों लोगों को कोरोना के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा है। इनमें से हजारों लोगों को लंबे समय तक अस्पताल में रहना पड़ा होगा। आमतौर पर लंबे समय अस्पताल में रहने के कारण मरीजों को एंटीबायोटिक्स की हेवी डोज दी जाती है, ताकि 10 दिनों बाद जो इंफेक्शन होने वाला होगा, उसपर काबू पाया जा सकेगा, लेकिन एंटीबायोटिक्स की हैवी डोज की वजह से कोरोना के बाद दूसरे इंफेक्शन मरीज ग्रस्त हो जाते हैं। एक्सपर्ट तो एंटी फंगल और एंटीबायोटिक्स दवाइयों के ओवरयूज को ब्लैक फंगस का कारण मानते हैं।
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