14 सितंबर को होगा राज्यसभा उपाध्यक्ष का चुनाव, नामांकन की अंतिम तारीख 11 सितंबर, जानें पूरी प्रक्रिया
14 सितंबर को होगा राज्यसभा उपाध्यक्ष का चुनाव, नामांकन की अंतिम तारीख 11 सितंबर, जानें पूरी प्रक्रिया
नई दिल्ली।संसद के मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा के उपाध्यक्ष पद के लिए चुनाव 14 सितंबर को होगा। उपाध्यक्ष पद के चुनाव में नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 11 सितंबर है।
इसलिए करवाए जा रहे चुनाव
बता दें राज्य सभा के उपाध्यक्ष यानी की उपसभापति का पद एक संवैधानिक पद है। भारत के संविधान के आर्टिकल 89 में लिखा है कि राज्यसभा अपने एक सांसद को उपसभापति पद के लिए चुन सकता है, जब यह पद खाली हो। मालूम हो कि हरिवंश नारायण सिंह दो साल पहले अगस्त 2018 में एनडीए के प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा के उपसभापति चुने गए थे। उनकी राज्यसभा सदस्यता का कार्यकाल अप्रैल माह में समाप्त हो जाने के कारण हरिवंश के उपसभापति पद का कार्यकाल भी समाप्त हो गया। कोरोना के चलते ये पद खाली पड़ा हुआ था। लेकिन अब राज्यसभा के उपसभापति पद के लिए चुनाव 14 सिंतबर को होना सुनिश्चित हुआ है।
राज्यसभा के उपसभापति का कौन करता है चुनाव
गौरतलब है कि उपाध्यक्ष के इस पद से इस्तीफा, पद से हटाए जाने या इस पद पर आसीन राज्यसभा सांसद का कार्यकाल खत्म होने के बाद खाली हो जाता है। चूंकि जेडीयू नेता हरिवंश नारायण सिंह राज्यसभा सदस्य के तौर पर कार्यकाल समाप्त हो चुका है, इसलिए ये चुनाव करवाए जा रहे हैं। राज्यसभा उपसभापति को पूरी तरह से राज्यसभा के सांसद ही निवार्चित करते हैं। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पद होता है। राज्यसभा के सभापति के मौजूद न होने पर राज्य सभा के उपसभापति राज्य सभा की कार्यवाही की अध्यक्षता करते हैं। उपसभापति को इसके साथ ही तटस्था के साथ उच्च सदन की कार्यवाही को भी सुचारू रूप से चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होती है। भारत के उपराष्ट्रपति ही राज्यसभा के सभापति होते है। राज्य सभा के उपसभापति राज्य सभा द्वारा आंतरिक रूप से चुने जाते हैं।
जानिए राज्यसभा के उपसभापति चुनने का नियम
राज्यसभा उपसभापति का चुनाव करने की प्रक्रिया बहुत ही आसान होती है। राज्यसभा का कोई भी सांसद इस संवैधानिक पद के लिए अपने किसी साथी सांसद के नाम का प्रस्ताव दे सकता है। इस प्रस्ताव पर किसी दूसरे सांसद का समर्थन भी आवश्यक है। इसके साथ ही प्रस्ताव को आगे बढ़ाने वाले सदस्य को सांसद द्वारा हस्ताक्षरित एक घोषणा प्रस्तुत करनी होती है जिनका नाम वह प्रस्तावित कर रहा है। इसमें इस बात का भी जिक्र रहता है कि निवार्चित होने पर वह उपसभापति के रूप में सेवा करने के लिए तैयार हैं। प्रत्येक सांसद को केवल एक प्रस्ताव देकर उसके समर्थन की अनुमति है। अगर किसी प्रस्ताव में एक से ज्यादा सांसद का नाम हैं तो इस स्थिति में सदन का बहुमत तय करेगा कि कौन राज्यसभा के उपसभापति के लिए चुना जाएगा। अगर सभी राजनीतिक दलों में किसी एक सांसद के नाम को लेकर आम सहमति बन जाती है, तो इस स्थिति में सांसद को सर्वसम्मति से राज्यसभा का उपसभापति चुन लिया जाता है।
उपाध्यक्ष पद के लिए हुए अब तक के चुनाव
बता दें राज्यसभा उपसभापति पद के लिए अभी तक 19 बार चुनाव संपन्न हो चुके हैं। इनमें से 14 बार सर्वसम्मति से राज्यसभा उपाध्यक्ष के लिए उम्मीदवार को चुन लिया गया, चुनाव करवाने की नौबत ही नहीं आई। 1969 में पहली बार उपसभापति के पद के लिए चुनाव हुआ था।
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