वसुंधरा के 'विवादित बिल' पर केंद्र और राज्य सरकार को हाईकोर्ट ने भेजा नोटिस
इस बिल के तहत राज्य सरकार की पूर्व अनुमति के बगैर किसी भी मौजूदा और पूर्व जज, मजिस्ट्रेट और लोक सेवकों के खिलाफ 180 दिन तक जांच करने पर पाबंदी लगाई गई है
नई दिल्ली। राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान सरकार द्वारा लाए गए कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर (राजस्थान अमेंडमेंट) बिल 2017 के मामले में राजस्थान सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस भेजा है। इस मामले पर अगली सुनवाई 27 नवंबर को होगी। कांग्रेस ने राजस्थान हाईकोर्ट में इस बिल को लेकर याचिका दायर किया था। राजस्थान के इस बिल का विरोध कांग्रेस बिल को जारी किए जाने के बाद से ही कर रही है। इस बिल के तहत राज्य सरकार की पूर्व अनुमति के बगैर किसी भी मौजूदा और पूर्व जज, मजिस्ट्रेट और लोक सेवकों के खिलाफ 180 दिन तक जांच करने पर पाबंदी लगाई गई है।
क्या है ये बिल?
कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर (राजस्थान अमेंडमेंट) बिल 2017 को पिछले ही महीने राज्य गृहमंत्री गुलाचंद कटारिया ने पेश किया था। इस बिल से क्रिमिनल लॉ (राजस्थान अमेंडमेंट) बिल को बदलने के लिए लाया गया। इस बिल के तहत राज्य सरकार की पूर्व अनुमति के बगैर किसी भी मौजूदा और पूर्व जज, मजिस्ट्रेट और लोक सेवकों के खिलाफ 180 दिन तक जांच करने पर पाबंदी लगाई गई है। इतना ही नहीं, इस समय के दौरान में मीडिया में ऐसे लोगों के नाम-पते और अन्य जानकारियों को प्रकाशित करने पर भी रोक होगी। इस बिल की सोशल मीडिया पर लगातार आलोचना हो रही है। इसके लिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को कटघरे में खड़ा किया जा रहा है।
कानून
का
उल्लंघन
करने
पर
दो
साल
की
सजा
का
प्रावधान
राजस्थान
सरकार
द्वारा
लाए
जा
रहे
इस
बिल
के
मुताबिक
मीडिया
भी
छह
महीने
तक
किसी
भी
आरोपी
के
खिलाफ
न
ही
कुछ
दिखा
सकेगी
और
न
ही
कुछ
छाप
सकेगी।
जब
तक
सरकारी
एंजेसी
आरोपों
पर
कार्रवाई
की
मंजूरी
न
दे
दे,
तब
तक
मीडिया
को
छापने
व
दिखाने
पर
रोक
होगी।
अगर
किसी
ने
इस
आदेश
का
उल्लंघन
किया
तो
उसे
दो
साल
की
सजा
हो
सकती
है।
2.1 लाख फर्जी कंपनियों की जांच पर केंद्र सरकार ने राज्यों से ये कहा