लोकसभा चुनाव 2019: मुरैना लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: एमपी की मुरैना लोकसभा सीट पर इस वक्त भाजपा का कब्जा है और उसके दिग्गज नेता अनूप मिश्रा यहां से सांसद है। साल 2014 के चुनाव में अनूप मिश्रा ने यहां पर बसपा के दिग्गज नेता वृंदावन सिंह सिकरवार को 1 लाख 32 हजार 981 मतों से हराकर ये सीट अपने नाम की थी। चम्बल नदी के बीहड़ो से घिरा भू-पटल जिसे हम आज मुरैना के नाम से जानते है , वो असल में कभी 'पेंच' नाम से विख्यात था और यह पेंच नाम यहां पर लगी सरसों के तेल मील के कारण इसे दिया गया था। गौरतलब है कि मुरैना सरसों और बाजरा के प्रचुर उत्पादन के लिए पूरे भारत में मशहूर है।
परिसीमन के दौरान आरक्षित से सामान्य हुई मुरैना लोकसभा सीट पर लंबे वक्त से भाजपा का कब्जा रहा है और इसी कारण इसे बीजेपी की पारंपरिक सीट का भी दर्जा दे दिया गया है। साल 1971 के आम चुनाव में भारतीय जनसंघ ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी को वहीं साल 1977 के चुनाव में यहां पर भारतीय लोकदल का राज था। 1980 और 1984 के चुनाव में यहां पर कांग्रेस का प्रभुत्व रहा तो वहीं साल 1989 के चुनाव में यहां पहली बार भारतीय जनता पार्टी जीती लेकिन साल 1991 के चुनाव में एक बार फिर से ये सीट कांग्रेस के पास चली गई लेकिन 1996 के चुनाव में भाजपा ने यहां वापसी की और अशोक अर्गल यहां से सांसद चुने गए, वो लगातार चार बार यहां से जीतकर लोकसभा पहुंचे, साल 2009 के चुनाव में भी यहां कमल खिला लेकिन इस बार यहां से एमपी बने नरेंद्र सिंह तोमर तो वहीं साल 2014 के चुनाव में यहां की एमपी की कुर्सी पर बैठे अनूप मिश्रा, यानी कि लगातार 18 साल से यहां भाजपा का कब्जा बरकरार है।
अनूप मिश्रा का लोकसभा में प्रर्दशन
दिसंबर 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक ज्वलंत मुद्दों पर खुलकर अपनी बात कहने वाले अनूप मिश्रा की, पिछले 5 सालों में लोकसभा में उपस्थिति 46 प्रतिशत रही है और इस दौरान उन्होंने मात्र 6 डिबेट में हिस्सा लिया है और 272 प्रश्न पूछे हैं, साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर नंबर 2 पर बसपा, नंबर 3 पर कांग्रेस और नंबर 4 पर आप थी। उस साल यहां मतदाताओं की संख्या 17,02,492 थी, जिनमें से केवल 8,54,279 लोगों ने अपने मतों का प्रयोग किया था, जिसमें पुरुषों की संख्या 5,38,708 और महिलाओं की संख्या 3,15,571 थी।
इस सीट के बारे में कहा जाता है कि यहां पर कोई लहर काम नहीं आती है। इस सीट पर चुनाव जातिगत आधार पर होता आया है, ब्राह्मण, ठाकुर, वैश्य, पिछड़ी और अनुसूचित जाति बहुल्य वाले इस क्षेत्र में मतदाता प्रत्याशी के समाज के आधार पर वोट डालते हैं, न कि पार्टी के आधार पर, अनूप मिश्रा भी ब्राह्मण वोट और नरेन्द्र सिंह के वोट बैंक के सहारे ही मुरैना में जीत पाए थे।