पहले वकालत फिर सियासत, जानें असम के नए मुख्यमंत्री बनने जा रहे हिमंत बिस्वा सरमा का पूरा राजनीतिक जीवन
असम के नए मुख्यमंत्री के नाम पर कई दिनों से जारी सस्पेंस आज खत्म हो गया। भाजपा विधायक दल की बैठक में असम के नए मुख्यमंत्री के तौर पर हिमंत बिस्वा सरमा के नाम पर मोहर लग गई।
दिसपुर, 9 मई। असम के नए मुख्यमंत्री के नाम पर कई दिनों से जारी सस्पेंस आज खत्म हो गया। भाजपा विधायक दल की बैठक में असम के नए मुख्यमंत्री के तौर पर हिमंत बिस्वा सरमा के नाम पर मोहर लग गई। हिमंत बिस्वा सरमा का जन्म 1 फरवरी 1969 को कैलाश नाथ सरमा और मृणालिनी देवी के यहां हुआ था। सर्वप्रथम साल 2001 में जलुकबरी सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ते हुए वह पहली बार विधायक बने।
शैक्षिक
पृष्ठभूमि
उन्होंने
अपनी
स्कूली
शिक्षा
1985
में
कामरूप
एकेडमी
स्कूल
गुवाहाटी
से
ग्रहण
की
और
इसके
बाद
गुवाहाटी
के
कॉटन
कॉलेज
में
आगे
की
पढ़ाई
के
लिए
दाखिला
ले
लिया,
जहां
से
उन्होंने
राजनीतिशास्त्र
में
स्नातक
किया।
इसके
अलावा
उन्होंने
कानून
में
भी
स्नातक
किया।
उन्होंने
गुवाहाटी
विश्वविद्यालय
से
पीएचडी
की
डिग्री
भी
हासिल
की।
राजनीति
में
आने
से
पहले
की
वकालत
कानून
की
डिग्री
लेने
के
बाद
हिमंत
बिस्वा
सरमा
ने
1996
से
2001
तक
गुवाहाटी
हाई
कोर्ट
में
कानून
का
अभ्यास
किया।
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राजनीतिक
जीवन
हिमंत
बिस्वा
सरमा
1996
में
कांग्रेस
पार्टी
में
शामिल
हो
गए
और
पहली
बार
साल
2001
में
जलुकबरी
सीट
विधायक
बने।
उन्होंने
असम
गण
परिषद
के
भृगु
फुकन
को
हराया।
इसके
बाद
उन्होंने
लगातार
चार
बार
जलुकबरी
सीट
से
चुनाव
जीता।
इस
बार
वह
5वीं
बार
इस
सीट
से
चुनाव
जीते
हैं।
साल
2015
में
असम
के
मुख्यमंत्री
तरुण
गोगोई
से
मतभेदों
के
चलते
उन्होंने
बीजेपी
ज्वॉइन
कर
ली।
कांग्रेस
में
रहते
उन्होंने
शिक्षा
मंत्री,
स्वास्थ्य
एवं
परिवार
कल्याण
मंत्री,
कृषि
मंत्री,
योजना
एवं
विकास
मंत्री,
पीडब्लूडी
और
वित्त
जैसे
विभागों
को
संभाला।
भाजपा
में
शामिल
होने
के
बाद
बिस्वा
का
राजनीतिक
सफर
साल
2015
तक
वह
असम
में
कांग्रेस
पार्टी
का
बड़ा
चेहरा
थे,
लेकिन
इसी
साल
उन्होंने
भाजपा
का
दामन
थाम
लिया
और
कुछ
ही
महीनों
में
वह
न
केवल
भाजपा
का
बल्की
पूर्वोत्तर
का
जाना
पहचाना
चेहरा
बन
गए।
साल
2016
में
असम
विधानसभा
चुनाव
जीतने
के
बाद
उन्हें
नॉर्थ
ईस्ट
डेमोक्रेटिक
अलायंस
(NEDA)
का
अध्यक्ष
बनाया
गया।
उन्होंने
पूर्वोत्तर
को
कांग्रेस
मुक्त
बनाने
में
भी
अहम
भूमिका
निभाई।
इसके बाद उन्होंने सर्बानंद सोनोवाल के नेतृत्व में वित्त,स्वास्थ्य, शिक्षा और पीडब्लूडी जैसे अहम विभागों को संभाला। कोरोना की पहली लहर के दौरान असम में किए गए उनके काम को खूब सराहा गया। इसके अलावा नहीं शिक्षा नीति बनाने में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। असम में मंत्री रहते हुए उन्होंने महिलाओं, छात्रों, विशेष रूप से मेधावी छात्रों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं जलाईं।
एनआरसी और सीएए जैसे मुद्दों को लेकर लग रहा था कि इस बार भाजपा असम में सरकार नहीं बना पाएगी, लेकिन हिमंत बिस्वा की कड़़ी मेहनत और जोरदार प्रचार ने भाजपा को दोबारा राज्य की सत्ता में वापस लाने में अहम भूमिका निभाई। इस बार उन्होंने 1 लाख 1,911 वोट के बड़े अंतर से जीत दर्ज की। उसी का नतीजा है कि आज उन्हें असम की सत्ता संभालने का मौका मिला है।