प्राइवेट सेक्टर के प्रवक्ता की तरह काम कर रहा है नीति आयोग: संसदीय समिति
संसदीय समिति ने कहा है 'नीति आयोग को लगता है सरकार एयर लाइन का बिजनस ठीक तरीके से नही कर पा रही क्योंकि बाजार में कई सारी एयरलाइन कंपनियां हैं। ये बचकाना तर्क है
नई दिल्ली। संसदीय समिति ने एयर इंडिया के प्राइवेटाइजेशन के मामल में नीति आयोग को निशाने पर लिया है। संसदीय समिति ने कहा है कि नीति आयोग प्राइवेट सेक्टर के प्रवक्ता की तरह काम कर रहा है। संसदीय समिति ने नीति आयोग के पक्ष को बचकाना और बिना आधार वाला तर्क बताया है। संसदीय समिति ने कहा है 'नीति आयोग को लगता है सरकार एयर लाइन का बिजनस ठीक तरीके से नही कर पा रही क्योंकि बाजार में कई सारी एयरलाइन कंपनियां हैं। ये बचकाना तर्क है। ऐसे तो हमें कई सरकारी कंपनियों को बंद करना पड़ेगा।'
थोड़े दिनों पहले एक संसदीय समिति ने सरकार से कहा था कि कि सार्वजनिक विमानन कंपनी एयर इंडिया के विनिवेश का यह सही समय नहीं है। समिति एयर इंडिया को उबरने के लिए कम से कम पांच साल देने तथा उसका ऋण माफ करने का सुझाव भी दे सकती है। ऐसा समझा जाता है कि समिति ने तय किया है कि एयर इंडिया की हिस्सेदारी बेचे जाने का निर्णय क्रमिक आधार पर लिया गया है, जिससे उसके वित्तीय और परिचालन प्रदर्शन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है तथा उसे अधिक ब्याज दर पर ऋण लेने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
स्थायी समिति (परिवहन, पर्यटन और संस्कृति) के निष्कर्ष के अनुसार सरकार को एयर इंडिया के निजीकरण या विनिवेश के निर्णय की समीक्षा करना चाहिए और राष्ट्रीय गर्व के प्रतीक एयर इंडिया के विनिवेश का विकल्प खोजना चाहिए। समिति ने पाया है कि एयर इंडिया आपदाओं, देश और विदेश में सामाजिक-राजनीतिक अस्थिरता आदि में मौके पर खड़ा रहा है। उसने कहा कि नीति आयोग द्वारा इन सब बातों को परे हटाकर महज कारोबारी दृष्टिकोण से एयर इंडिया का मूल्यांकन-विश्लेषण किया गया है। समिति ने एयर इंडिया के प्रस्तावित विनिवेश पर संशोधित ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा है कि एयर इंडिया की वित्तीय पुनर्गठन योजना, 2012 से 2022 तक 10 साल के लिए थी और विभिन्न पैमानों पर कंपनी में सुधार भी हुआ है, जिससे लगता है कि वह उबर रही है।
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