'मिस्टर शी जिनपिंग, तुम्हारा असली चेहरा उजागर हो गया है' जानिए, चीन की परेशानी का असली कारण?
नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में एलएसी के निकट गतिरोध स्थल पर चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच झड़पों के बाद उत्पन्न हुए तनावपूर्ण स्थिति के बीच भारत का अगला कदम क्या होना चाहिए, यह बड़ा सवाल है। वनइंडिया ने कनाडा और दक्षिण कोरिया में बतौर राजदूत काम कर चुके पूर्व भारतीय राजदूत विष्णु प्रकाश के साथ चीन के साथ चल रहे गतिरोध से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।
कभी शंघाई के महावाणिज्य दूत रहे प्रकाश कहते हैं कि यह एक मुद्दा था जिसकी प्रतीक्षा की जा रही थी, क्योंकि जब से शी जिनपिंग वर्ष 2012 में सत्ता में आए हैं, तब से अधिक गतिरोध हो रहा है। मैं कहूंगा कि डोकलाम की घटना चीन के लिए एक आश्चर्य की बात थी, जब भारत ने हस्तक्षेप किया और अपनी जमीन अडिग होकर खड़ा रहा।
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शी जिनपिंग वर्ष 2012 में सत्ता में आए हैं, तब से अधिक गतिरोध हो रहा है
भारतीय विदेश कार्यालय के प्रवक्ता रहे प्रकाश आगे कहा कि चीन COVID-19 से उबरने वाला पहला देश था, जबकि दुनिया अभी भी महामारी से लड़ने की कोशिश कर रही थी। चीन हरेक घटना का फायदा उठाता है। वो कहते हैं कि चीन हमेशा भारत को नियंत्रित करने की कोशिश की है, क्योंकि वह भारत को आगे बढ़ते हुए नहीं देखना चाहता है।
चीन ने हमेशा भारत को नियंत्रित करने की कोशिश की है
भारतीय विदेश कार्यालय के प्रवक्ता रहे प्रकाश आगे कहा कि चीन COVID-19 से उबरने वाला पहला देश था, जबकि दुनिया अभी भी महामारी से लड़ने की कोशिश कर रही थी। चीन हरेक घटना का फायदा उठाता है। वो कहते हैं कि चीन हमेशा भारत को नियंत्रित करने की कोशिश की है, क्योंकि वह भारत को आगे बढ़ते हुए नहीं देखना चाहता है।
कोरोना काल को चीनी तनाव को बढ़ाने का अच्छा समय समझते है
प्रकाश कहते हैं, कोरोनावायरस अवधि को चीनी शायद तनाव को बढ़ाने का यह अच्छा समय समझते है, क्योंकि वह भारत को एक-दो पायदान नीचे लाना चाहते हैं। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत का बढ़ता बुनियादी ढांचा भी चीन के लिए एक चिंता का विषय हो सकता है। उन्होंने कहा, जब चीन एलओसी के आसपास बुनियादी ढांचा विकसित करता हैं, तो यह सही है, लेकिन जब भारत ऐसा करता है, तो उनके लिए यह एक चुनौती बन जाता है।
खासकर अमेरिका के साथ भारत की बढ़ती प्रगाढ़ता से चिढ़ा हुआ है चीन
इसके अलावा दुनिया के साथ खासकर अमेरिका के साथ भारत की बढ़ती प्रगाढ़ता और चीन छोड़ने वाली कंपनियों को आकर्षित करने की भारत की इच्छा ने भी चीन की आक्रामकता को बढ़ाने में योगदान दिया है। पिछले साल मई में अमेरिका, जापान और फिलीपींस के साथ जापान के सागर में एक संयुक्त अभ्यास में भारत के शामिल होना भी चीन के चिड़चिड़ापन का एक अन्य कारण हो सकता है। विष्णु प्रकाश ने कहा कि ताइवान के राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में दो भाजपा सांसदों का शामिल होना भी चीन को अखरा होगा।
चीन के लिए इससे बेहतर समय और क्या हो सकता है जब वह...
माना जा रहा है कि चीन के मौजूदा रवैये के पीछे उपरोक्त कुछ कारण हो सकते हैं और उनके लिए इससे बेहतर समय और क्या हो सकता है, खासकर तब जब एक समय में हर कोई महामारी से जूझ रहा हो। प्रकाश का कहना है कि चीन हमेशा एक प्रभावी शक्ति संतुलन देखता है। यह एक स्थिर है, लेकिन एक गतिशील अवधारणा नहीं है।
1962 के बाद से भारत ने चीन के साथ अपने संबंधों को कम कर दिया था
बकौल प्रकाश, वर्ष 1962 के बाद से हमने चीन के साथ अपने संबंधों को कम कर दिया था, लेकिन उस पर लगाम कभी नहीं लगाया। वर्ष 1988 में जब राजीव गांधी चीन गए, तो आज की तुलना में दोनों देशों के बीच आर्थिक मोर्च भिन्नता बहुत कम थी। वे तब हमसे बात करने के लिए अधिक इच्छुक थे, लेकिन वर्तमान में वो अंतर को और अधिक महसूस करते हैं। चीन अपने लिए स्वयं की विश्व व्यवस्था बनाना चाहता है, जिसमें भारत उनके लिए एक अड़चन है।
लद्दाख में भारत द्वारा बनाई गई सड़क को चीन ने चुनौती के रूप में देखा
लद्दाख में भारत द्वारा बनाई गई सड़क को चीनियों द्वारा प्रत्यक्ष चुनौती के रूप में देखा गया। शिनजियांग और तिब्बत तक पहुंचने के लिए उनके लिए काराकोरम राजमार्ग बहुत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा भी उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। प्रकाश कहते हैं कि वे भारत पर दबाव डालना चाहते हैं, क्योंकि वो गालवान घाटी में भारत की भौगोलिक स्थिति के रणनीतिक महत्व को अच्छी तरह समझते हैं।
भारत के लिए आगे क्या? यह देखना चाहिए कि वे क्या चाहते हैं?
राजदूत प्रकाश कहते हैं, पहले हमें यह देखना चाहिए कि वे क्या चाहते हैं। अगर भारत ने उकसाया होता, तो गेंद हमारे कोर्ट में होती। यह कहा जा रहा है, आक्रामकता पर जाने के लिए चीन के हिस्से पर यह बहुत विशिष्ट है।
क्लासिक चीनी रणनीति, 'मैं दो कदम आगे बढ़ाऊंगा, तुम एक कदम पीछे हटो'
उनके विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि सीमा पर तनाव भारत शुरू किया है। दूसरों को दोष देने का यह चीन का विशिष्ट रवैया है। फिर उनके प्रवक्ता का कहना है कि दोनों पक्षों को आधे रास्ते पर मिलना चाहिए। प्रकाश से पूछते हैं, क्या चीनी इतने आत्मीय हो गए हैं कि हम भड़क जाते हैं और वो हमसे आधे रास्ते से मिलना चाहते हैं। यह एक क्लासिक चीनी रणनीति है, जहां वे कहते हैं, 'मैं दो कदम आगे बढ़ाऊंगा, तुम एक कदम पीछे हटो।'
एक बदमाश हमेशा धक्का लगाता रहेगा जब तक कि कोई धक्का न दे
एक बदमाश हमेशा धक्का लगाता रहेगा जब तक कि कोई धक्का न दे। हाइपोथेटिक रूप से अगर हम उनके सुझावों को स्वीकार करते हैं, तो भविष्य में और अधिक गालवान घाटी और घुसपैठ होंगे। प्रकाश कहते हैं, यह दोनों देशों के लिए 1962 नहीं है। भारत एक रक्षात्मक स्थिति में हैं और इसलिए कुछ मायनों में बेहतर हैं। उन्होंने आगे कहा, जब आप आक्रामक होते हैं और सामरिक और सैन्य रूप से इगेज होना चाहते हैं, तो आपको अधिक क्षमताओं की आवश्यकता है, लेकिन रक्षात्मक स्थिति में कम संसाधनों के साथ भी प्रबंधन किया जा सकता है। हमारे पास संसाधन हैं और उन्हें नाकाम करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति भी है।
हमारे सैनिकों ने बड़ी मात्रा में वीरता और अनुशासन दिखाया
गालवान घाटी में गत 15 जून को जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण था। उन्होंने हमारे सैनिकों को पछाड़ दिया, लेकिन हमारे सैनिकों ने बड़ी मात्रा में वीरता और अनुशासन दिखाया। हमने लड़ाई लड़ी और उन्हें उतना ही नुकसान पहुंचाया, जितना उन्होंने हमें पहुंचाई है। मेरा मानना है कि भारत रक्षा करेगा और LAC पर धारणा को कभी बदलने नहीं देगा।
चीन ने पिछले 30 वर्षों में किए सभी समझौतों को खिड़की से बाहर फेंका है
प्रकाश आगे कहते हैं, यह हमेशा की तरह नहीं हो सकता। हम उन पर भरोसा नहीं कर सकते हैं, क्योंकि उन्होंने पिछले 30 वर्षों में किए गए सभी समझौतों को खिड़की से बाहर फेंका है। हालांकि यह भौगोलिक वास्तविकता है, जिमें हम बदल नहीं सकते हैं। हम विनम्रता से चीन को दूसरे भौगोलिक क्षेत्र में स्थानांतरित होने के लिए नहीं कह सकते। विष्णु प्रकाश कहते हैं, हमें पड़ोसी के साथ रहना होगा, इसलिए दोनों पक्ष दुश्मनी की एक स्थायी स्थिति बर्दाश्त नहीं कर सकते।
59 एप्स पर प्रतिबंध पहला कदम है और कई ऐसे कदम उठाए जाएंगे
हमें कैलिब्रेटेड उपायों की आवश्यकता है और यह स्पष्ट करना होगा कि उसकी एक कीमत होगी। 59 एप्स पर प्रतिबंध लगाना पहला कदम है और कई औरभी ऐसे कदम उठाए जाएंगे। मुझे पूरा विश्वास है कि चीन के खिलाफ यह एक आंदोलन बन जाएगा और यह संक्रामक होगा।
Huawei और ZTA पर सुरक्षा कारणों से प्रतिबंध होना चाहिए
उन्होंने कहा, चीनियों के खिलाफ इससे पहले ऐसी वैश्विक नाराजगी कभी नहीं रही। Huawei और ZTA पर सुरक्षा कारणों से प्रतिबंध होना चाहिए, क्योंकि वह पीएलए के विस्तार हैं। आने वाले दिनों में भारत, चीन की यात्रा के खिलाफ एडवाइजरी जारी कर सकता है। हम भारत में चीनी 'पत्रकारों' की संख्या को सीमित कर सकते हैं, जो चीनी खुफिया विभाग के कई लोग हैं।
हम चीन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आम सहमति भी बना सकते हैं
यदि आवश्यक हो, तो हम राजनयिक उपस्थिति को कम करने का निर्णय भी ले सकते हैं। पूर्व राजदूत प्रकाश यह भी कहते हैं कि हम चीन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आम सहमति भी बना सकते हैं, क्योंकि वो इसमें शामिल नहीं हो सकते हैं, जिससे उसे बहुत अच्छी तरह से संयमित किया जा सकता है।