खतरनाक है 'मोबाइल डिपेंडेंसी': 9 साल के बच्चे ने काटा अपना हाथ
सर गंगा राम अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉक्टर राजीव मेहता के मुताबिक ये मोबाइल पर निर्भरता के सबसे छोटे मामलों में से एक है। इस बच्चे को मोबाइल की लत इसके माता पिता ने ही लगाई।
नई दिल्ली। बच्चों को मोबाइल की लत लगाना बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है, ये लत अगर एक बार लग गई तो छुड़ाना मुश्किल है। दिल्ली से सटे हरियाणा में एक मामला सामने आया है जो हैरान करने वाला है। 9 साल के एक बच्चे को जब मोबाइल से दूर करने की कोशिश की गई तो उसने अपना हाथ काट लिया।
माता-पिता ने डलवाई मोबाइल की आदत
बच्चे को मोबाइल की आदत उसके माता- पिता ने ही डलवाई थी। शुरू में बच्चे को मोबाइल खिलौने के तौर पर दिया गया लेकिन किसी को क्या पता था मोबाइल की लत इतनी महंगी पड़ने वाली है। मोबाइल ना मिलने पर चौथी क्लास में पढ़ने वाले छात्र ने अपना हाथ काटा था जिसकी मानसिक दशा को जानने के लिए दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया था।सर गंगा राम अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉक्टर राजीव मेहता के मुताबिक ये मोबाइल पर निर्भरता के सबसे छोटे मामलों में से एक है। इस बच्चे को मोबाइल की लत इसके माता पिता ने ही लगाई, माता और पिता दोनों वर्किंग हैं, अपना समय बचाने के लिए उन्होंने बच्चे को खिलौने के तौर पर मोबाइल देना शुरू किया। धीरे-घीरे मोबाइल बच्चे की जरुरत बन गई। अब बच्चा हर समय मोबाइल के साथ ही रहने लगा। बच्चे से बातचीत में पाया गया कि वो बाहरी गेम से ज्यादा मोबाइल को पसंद करता है।
मोबाइल ना मिलने पर होता था गुस्सा
मनोचिकित्सक के मुताबिक इस मामले में बच्चा तब गुस्सा होता था या फिर तनाव में रहता था जब उसके पास मोबाइल नहीं होता था, डॉक्टरों के मुताबिक मोबाइल डिपेंडेंसी के कई मामले सामने आ रहे है। मनोचिकित्सक अब इस पर रिसर्च भी कर रहे हैं।
'पॉजिटिव पैरेंटिंग' पर जोर
इस मामले में डॉक्टरों ने बच्चे को धीरे-धीरे मोबाइल से दूर करने की सलाह दी है वहीं राजीव मेहता ने 'सकारात्मक पैरेंटिंग' की भूमिका पर जोर दिया है। उन्होंने माता-पिता को अपने बच्चों के साथ समय गुजारने की सलाह दी है। उन्हें घर पर गैजेट-मुक्त समय रखने के लिए कहा गया है। और यह तब तक जारी रहना चाहिए जब तक बच्चा 13 साल का ना हो जाए।