राफेल डील: रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में दायर किया हलफनामा
नई दिल्ली। राफेल सौदे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर समीक्षा याचिका पर सुनवाई से पहले आज केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर किया है। इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से बुधवार को चीफ जस्टिस की बेंच से हलफनामा दाखिल करने की अनुमति मांगी गई थी, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया था। आपको बता दें कि इस वक्त सुप्रीम कोर्ट राफेल डील के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपने हलफनामे में रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि राफेल समीक्षा मामले में याचिकाकर्ताओं द्वारा संलग्न दस्तावेज राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति संवेदनशील हैं। जो युद्धक विमान की युद्ध क्षमता से संबंधित हैं। रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि देश की संप्रभुता के साथ समझौता हुआ है। सरकार की मर्जी के बगैर राफेल के संवेदनशील दस्तावेजों की फोटोकॉपी की गई जो चोरी से ऑफिस से बाहर ले जाया गया। संप्रभुता और विदेशी संबंध पर इसका विपरीत असर हुआ है।
हलफनामें में रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि, जिन लोगों ने राफेल सौदे के दस्तावेज लीक करने की साजिश की है उन्होंने दंडनीय अपराध किया है। इन लोगों ने ऐसे संवेदनशील आधिकारिक दस्तावेजों की फोटोकॉपी करवाई है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संवेदनशील हैं। यह मामला अब एक आंतरिक जांच के अधीन हैं, जो 28 फरवरी को शुरू हुई थी।
इससे पहले बुधवार को सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने जब वरिष्ठ पत्रकार एन. राम के आलेख का जिक्र किया तो अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि जिन लोगों ने राफेल करार के दस्तावेज चुराए हैं, वे सरकारी गोपनीयता कानून व कोर्ट की अवमानना के दोषी हैं। चोरी की जांच चल रही है, अभी एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई है।
उन्होंने कहा कि राम का पहला लेख 'द हिंदू' में 8 फरवरी को छपा था और बुधवार के अंक में एक और लेख छपा है। ये कोर्ट की कार्यवाही को प्रभावित करने के लिए लिखे गए हैं, जोकि अदालत की अवमानना के तहत आते हैं। अखबार ने दस्तावेजों पर लिखे 'सीक्रेट' शब्द को मिटाकर प्रकाशन किया है। उन्होंने भूषण की पुनर्विचार याचिका खारिज करने की मांग की थी।
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