देश के सबसे ज्यादा सैलरी लेने वाले सीईओ थे MDH के धर्मपाल गुलाटी, एक दुकान से की थी कंपनी की शुरुआत
नई दिल्ली। एमडीएच (MDH) मसालों के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी (Mahashay Dharampal Gulati) ने 98 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया है। उनके निधन पर देश में शोक की लहर है। धर्मपाल गुलाटी को एमडीएच के दादाजी के नाम से भी जाना जाता है, उनके जाने पर हर कोई दुखी है। अभिनेता से लेकर राजनेता तक उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। महाशय धर्मपाल गुलाटी ने गुरुवार सुबह करीब 5:30 बजे दिल्ली के माता चानन देवी अस्पताल में अंतिम सांस ली है। ऐसा बताया जा रहा है कि वह काफी दिनों से बीमार चल रहे थे, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
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1919 में पाकिस्तान में हुआ था जन्म
महाशय धर्मपाल गुलाटी देश के वो बिजनेसमैन थे, जिनका चेहरा लगभग हर भारतीय पहचानता है। उनके फिट रहने और जिंदादिल होकर जिंदगी जीने के अंदाज की हर कोई सराहना करता है। लेकिन इससे भी ज्यादा चर्चा उनकी प्रेरणादायक कहानी की होती है। जिसमें उनके फर्श से अर्श तक पहुंचने के संघर्ष की गाथा छिपी है। साल 1919 में पाकिस्तान के सियालकोट में पैदा होने वाले गुलाटी ने कई साल गरीबी में बिताए थे। उन्होंने सियालकोट में ही महाशय दी हट्टी (एमडीएच) की शुरुआत एक छोटी सी दुकान से की थी। फिर साल 1947 में देश का बंटवारा होने के बाद वह दिल्ली आ गए।
दिल्ली पहुंचने के बाद तांगा चलाना शुरू किया
रिपोर्ट्स की मानें तो गुलाटी ने दिल्ली पहुंचने के बाद तांगा चलाने का काम शुरू किया। वह लोगों को तांगे पर बिठाकर कनॉट प्लेस से करोल बाग तक छोड़ा करते थे। इस दौरान ऐसे भी कई दिन आए जब उनके पास कोई सवारी नहीं आती थी। अपनी गरीबी से दुखी होकर उन्होंने अपना तांगा बेच दिया और 1952 में चांदनी चौक में एक दुकान किराए पर ले ली। उन्होंने इस दुकान का नाम एमडीएच रखा और यहां मसाले बेचने शुरू कर दिए। आधिकारिक तौर पर एमडीएच की शुरुआत 1959 में हुई थी। जब महाशय धर्मपाल गुलाटी ने कीर्ति नगर में एक जमीन खरीदी और वहां एक विनिर्माण इकाई की शुरुआत की। आज यही कंपनी दुनियाभर में मसाले बेचती है।
सबसे ज्यादा सैलरी लेने वाले FMCG सीईओ
एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2017 में गुलाटी भारत के सबसे अधिक सैलरी लेने वाले FMCG सीईओ थे। वह पांचवीं कक्षा तक ही पढ़े हैं। लेकिन उनकी साल 2017 में सैलरी 21 करोड़ थी। उनकी ये सैलरी गोदरेज ग्रुप के आदि गोदरेज और विवेक गंभीर, हिंदुस्तान यूनिलीवर के संजीव मेहता और आईटीसी के वाईसी देवेशवर से भी ज्यादा थी। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2017 में एमडीएच का नेट प्रॉफिट 213 करोड़ रुपये था। जबकि वित्त वर्ष में कुल राजस्व 924 करोड़ रुपये था। कंपनी में गुलाटी की 80 फीसदी हिस्सेदारी थी।
कल्याणकारी कार्य करने में सबसे आगे रहे
एक बार महाशय धर्मपाल गुलाटी ये कह चुके हैं कि सस्ती कीमत पर बिकने वाले उत्पाद की गुणवत्ता में ईमानदार होना ही उनकी प्रेरणा है। वह 98 साल के होने के बावजूद भी सेवानिवृत नहीं हुए थे। वह इस उम्र में भी अपने बिजनेस के सभी फैसले लिया करते थे। वह कल्याणकारी कार्य करने में सबसे आगे रहे। उनका महाशय चुन्नी लाल चैरिटेबल ट्रस्ट (धर्मपाल गुलाटी के पिता के नाम पर) 250 बेड का एक अस्पताल चलाता है। जो झुग्गी बस्ती वाले लोगों के लिए एक मोबाइल अस्पताल है। इसके साथ ही ये ट्रस्ट 20 स्कूल भी चलाता है।
80 फीसदी बाजार पर है कब्जा
कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, एमडीएच के पास दुनियाभर में उपभोक्ताओं की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डिजाइन किए गए 150 से अधिक पैकेजों में 62 उत्पादों की रेंज उपलब्ध है। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, गुलाटी अपनी सैलरी का 90 फीसदी हिस्सा दान कर देते थे। फिलहाल एमडीएच कंपनी 1500 करोड़ रुपये से कहीं ज्यादा की है। इस ग्रुप के पास 15 फैक्ट्रियां और 1000 डीलर हैं। ऐसा कहा जाता है कि उत्तर भारत के 80 फीसदी बाजार पर इस कंपनी का ही कब्जा है। महाशय धर्मपाल गुलाटी को अक्सर अपने मसालों की एड में देखा जाता है। वह कंपनी का विज्ञापन खुद ही करते थे, जिसके चलते उन्हें दुनिया के सबसे ज्यादा उम्र वाले एड स्टार तक कहा जाता था।
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