क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

बीजेपी-सपा पर सख्त और कांग्रेस पर नरम क्यों मायावती?

By हिमांशु तिवारी आत्मीय
Google Oneindia News

हो सकता है कि आपमें से कुछ लोगों के जहन में ये सवाल आया हो...और कई लोगों के जहन में न भी आया हो। लेकिन अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए मायावती के सबसे आक्रामक तेवर भाजपा और मुलायम पर ही क्यों हैं, कांग्रेस पर माया की मेहरबानी की वजह क्या है? सवाल है.....आईये जानने की कोशिश करते हैं कि क्या है इसकी असली वजह।

मायावती बोलीं 'हिंदू बच्चे तो पैदा कर लें, क्या मोदी जी रोटी देंगे?'मायावती बोलीं 'हिंदू बच्चे तो पैदा कर लें, क्या मोदी जी रोटी देंगे?'

आंकड़ों के आधार पर मुकाबला त्रिकोणीय

फिलवक्त गर चुनावी विश्लेषकों की नजर से देखा जाए या फिर आंकड़ों के आधार पर मुकाबला त्रिकोणीय होता नजर आ रहा है। क्योंकि सूबे में सत्ता के प्रमुख और प्रबल दावेदार सपा, बसपा और भाजपा ही हैं। तो ऐसे में बसपा का भाजपा और सपा पर आक्रामक होना जायज है। अब अगर बात की जाए नफे की तो सपा के पास सबसे बड़ा फायदा तो सत्तारूढ़ होना ही है, क्योंकि वो जनता के सामने नई नई योजनाओं के जरिए खुद को बेहतर बता सकती है। जिसमें कि 2016-17 के 25 हजार करोड़ के अनुपूरक बजट के जरिए सपा कुछ अन्य उपलब्धियां भी अपने खाते में जोड़ लेगी।

विकास के मोर्चे पर असफल बसपा के सामने सपा की मजबूत स्थिति

मायावती के कार्यकाल की बात की जाए तो विकास के लिहाज से कुछ खास बदलाव देखने को नहीं मिले। दूसरी चीज ये कि सपा का पारंपरिक वोटबैंक सपा का दामन नहीं छोड़ने वाला जबकि इसके इतर मायावती का वोटबैंक कहा जाने वाला दलित वोट आज सेंधमारी की वजह से बंटने लगा है। जिसकी वजह से माया के निशाने पर सपा और भाजपा प्रमुख रूप से हैं।

दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति का ऐलान..मायावती के खिलाफ लड़ेंगी चुनावदयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति का ऐलान..मायावती के खिलाफ लड़ेंगी चुनाव

दयाशंकर से लेकर उना तक हर मामले को लपकना चाहती हैं ''माया''

जी हां बसपा सुप्रीमो अब तक भाजपा को कटघरे में खड़ा करने वाले हर मुद्दे को प्राथमिकता से उठाती रही हैं। परिणामस्वरूप बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष रहे दयाशंकर के द्वारा की गई टिप्पणी से माया का बहुजन समाज लखनऊ के हजरतगंज में विरोध की आवाजें बुलंद करता हुआ एकजुट नजर आया। और माया कुछ ऐसे ही दृश्य की उम्मीद भी कर रहीं थी। ताकि बसपा में महासचिव रहे स्वामी प्रसाद मौर्या और आरके चौधरी के पलायन से हुए डैमेज को कंट्रोल किया जा सके।

'लोकसभा चुनावों के परिणामों की टीस'

वहीं दूसरी वजह माया के पास लोकसभा चुनावों में एक भी सीट न मिलने की वजह से भरी हुई टीस भी है। वे जानती हैं कि केंद्र में सरकार होने की वजह से भाजपा मजबूत स्थिति में खड़ी है। और अंबेडकर को कांधे पर लादकर भाजपा मायावती के दल को तोड़ने की पूरी कवायद कर रही है। जिससे की 21 फीसदी दलित मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा भाजपा अपने पक्ष में करके सियासी लाभ ले सके।

UP Assembly Election 2017: माया की मायावी कोशिशों पर सबकी नजर!UP Assembly Election 2017: माया की मायावी कोशिशों पर सबकी नजर!

'स्वामी के साथ दलित टूटेगा, पर सवर्ण तो भाजपा का है'

मायावती ये अच्छी तरह से जानती हैं कि हिंदुत्व विचारधारा पर चलने वाली भाजपा के साथ हिंदुत्व हमेशा हाथ जोड़कर खड़ा रहा है। ऐसे में माया के लिए सवर्ण वर्ग को तोड़कर अपनी पार्टी के पक्ष में माहौल तय कर पाना थोड़ा टेढ़ी खीर है।

27 साल का ''वनवास'' क्या खत्म होना संभव?

भले ही बीते कल आगरा में आयोजित हुई बसपा की रैली में मायावती ने कांग्रेस की सीएम उम्मीदवार शीला दीक्षित को आड़े हाथ लिया। हालांकि राजनीति के नाते ये मायावती का फर्ज भी बनता है। लेकिन कांग्रेस जैसी पुरानी और राष्ट्रीय स्तर की बड़ी पार्टी का वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में हुए हाल के बाद इतनी जल्दी उबरना बेहद मुश्किल है। कांग्रेस का अब यही प्रयास है कि किसी दम पर पहले तो खुद को खड़ा किया जाए।

सूबे में कांग्रेस के आखिरी सीएम एनडी तिवारी

जिसके लिए जद्दोजहद जारी है। सूबे में 1989 में कांग्रेस के आखिरी सीएम एनडी तिवारी रहे। जिसके बाद से कांग्रेस के लिए यूपी में वनवास की स्थिति बन गई है। ऐसे में पुन : वापसी वो भी लोकसभा में करारी शिकस्त के बाद काफी मुश्किल नजर आ रहा है। इस वजह से भी माया कांग्रेस पर नरम रूख अख्तियार कर रही हैं।

बेदम कांग्रेस पर 'बसपा का कर्ज'

बीते कुछ महीनों पहले उत्तराखंड में हरीश रावत की सरकार पर लगा ग्रहण तो किसी से छिपा नहीं। हरीश सरकार के कई विधायक बागी भी हो गए जिसके कारण राष्ट्रपति शासन के दौर से भी उत्तराखंड को गुजरना पड़ा। उस वक्त भाजपा पूरी तरह से कांग्रेस पर एक दफे फिर से हावी होती नजर आई। लेकिन फ्लोर टेस्ट के दौरान बसपा ने कांग्रेस को हाथ थमाकर एक कर्ज लाद दिया है। माना जा रहा है कि इसकी वजह से भी कांग्रेस न तो मायावती पर ज्यादा आक्रामक होगी और माया जरूरत पड़ने पर कांग्रेस के साथ गठबंधन भी कर सकती हैं।

UP Assembly Election 2017: मायावती बनाम सियासत के 'राम'!UP Assembly Election 2017: मायावती बनाम सियासत के 'राम'!

Comments
English summary
Why BSP Chief Mayawati slams BJP-RSS, SP, but Soft on Congress, here are reason, have a look.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X