महाभारत में महज 28 की उम्र में बुजुर्ग धृतराष्ट्र का निभाया किरदार, जानिए इसके पीछे की दिलचस्प कहानी
नई दिल्ली। टीवी सीरियल महाभारत अपने समय का सबसे लोकप्रिय सीरियल रहा है। बीआर चोपड़ा के इस शो को काफी लोगों ने पसंद किया था। कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन में एक बार फिर से लोगों की मांग पर इस सीरियल का प्रसारण टीवी पर शुरू किया गया। इस सीरियल के तमाम किरदार लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं और अपनी खास पहचान रखते हैं। लोग इन किरदारों को उनके असल नाम से नहीं जानते बल्कि धारावाहिक में निभाए गए किरदार के नाम से जानते हैं। इस सीरियलल में धृतराष्ट्र का किरदार काफी लोकप्रिय हुआ था, जिसे गिरिजा शंकर ने निभाया था।
28 की उम्र में बुजुर्ग का किरदार
अहम बात यह है जिस वक्त गिरिजा शंकर ने कौरवों के पिता बुजुर्ग धृतराष्ट्र का किरदार निभाया था, उस वक्त उनकी उम्र महज 28 वर्ष थी। सीरियल में उन्हें अंधे धृतराष्ट्र की भूमिका निभानी थी, जोकि अपने आप में एक बड़ी चुनौती थी। अपने इस किरदार के बारे में अनुभव को साझा करते हुए गिरिजा शंकर ने बताया कि वह किरदार के अंधे होने को लेकर काफी चिंतित थे कि आखिर कैसे मैं खुद को अंधे के रूप में बेहतर दिखा सकता हूं। यही नहीं उन्हें इस बात भी काफी चिंता थी कि महज 18 वर्ष की उम्र में एक बुजुर्ग, अंधे का किरदार कैसे निभाउंगा, लेकिन जब इस किरदार के बारे में उन्होंने पढ़ा तो उन्हें इसकी अहमियत का अंदाजा हुआ कि आखिर यह किरदार कितना ज्यादा अहम है।
किरदार को लेकर दुविधा में था
गिरिजा शंकर अब 60 वर्ष के हो गए हैं और लॉस एंजिलिस में रहते हैं, लेकिन काम के सिलसिले में वह अक्सर भारत आते रहते हैं। वह अब मुख्य रूप से पंजाबी फिल्मों में काम करते हैं। लॉस एंजिलिस से दिए एक वीडियो इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि यह एकमात्र ऐसा किरदार था, जिसके अंतर्मन में हमेशा अंतर्विरोध चलता रहता था, क्योंकि वह अंधा था, उसे इसकी वजह से राज मुकुट नहीं मिला, वह हमेशा इस बात को लेकर दुविधा में रहता था कि उसे यह करना चाहिए या नहीं।
बहुत कम लोग धृतराष्ट्र के किरदार के बारे में जानते थे
अपने किरदार को लेकर गिरिजा शंकर कहते हैं कि जब यह किरदार मुझे दिया गया तो लोग इसके बारे में बहुत कम जानते थे। एक दिन जब सब लोग ऑफिस में बैठकर इसपर चर्चा कर रहे थे तो मैमंने कहा मुझे यह किरदार क्यों नहीं दे देते आप। उस वक्त मुझसे कहा गया हम सिर्फ इसलिए चाहते हैं कि आप यह रोल करें क्योंकि इस किरदार में अन्य किरदारों की तुलना में काफी कुछ अलग है, मैंने उनका यकीन किया। उन्होंने फिर मुझसे कहा कि आप डरिए नहीं, एक बार देखिए इसे, किताब को पढ़िए। मैंने 4-5 दिन तक महाभारत को पढ़ा, फिर मुझे समझ आया कि यह बहुत ही अहम किरदार है क्योंकि महाभारत धृतराष्ट्र की वजह से शुरू हुआ और उन्ही की वजह से खत्म भी हुआ।
दो साल तक एक ही हावभाव में रहना था
गिरिजा बताते हैं कि मेरे लिए एक चिंता का विषय यह था कि मुझे तकरीबन दो साल तक हमेशा एक ही हावभाव के साथ रहना था। मैं बहुत थक जाया करता था, मैंने अपनी आंखों का अभ्यास करना शुरू किया ताकि मैं अंधा दिखूं। उन्होंने बताया कि इससे पहले मैंने बीआर चोपड़ा की फिल्म आज की आवाज में काम किया था, जिसमे राज बब्बर और स्मिता पाटिल थीं। उस वक्त मैं पृथ्वी थिएटर में प्ले करता था, उस वक्त चोपड़ा जी और उनका परिवार इसे देखने आता था। एक बार चोपड़ा जी ने मेरे किरदार की तारीफ की थी। इसी वजह से उन्होंने मुझे आज की आवाज में छोटे लेकिन अहम किरदार के लिए बुलाया था। उन्होंने मुझे बहादुर शाह जफर में भी काम करने का मौका दिया था।
लेंस पहनने का सुझाव
धृतराष्ट्र के किरदार के बारे में गिरिजा ने बताया कि मुझे लेंस पहनने का सुझाव दिया गया था ताकि मैं अंधा दिखूं, लेकिन मैं दुविधा में था क्योंकि यह लंबी प्रक्रिया थी, तो मैंने कहा कि मुझे खुद से एक बार कोशिश करने दीजिए। अच्छी बात यह है कि पहले शॉट के बाद ही रवि चोपड़ा ने मुझे गले लगा लिया, यह मेरे लिए सम्मान की बात थी। उन्होंने कहा जबरदस्त, मैं बहुत खुश हूं, और कुछ नहीं चाहिए। बता दें कि धृतराष्ट्र के पहले 5 एपिसोड महाभारत के टेलीकास्ट होने से दो वर्ष पहले ही शूट कर लिए गए थे।
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