बिहार की एनडीए की सूची में जदयू ने उतारे कुछ चौंकाने वाले उम्मीदवार
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में एनडीए प्रत्याशियों का एलान कर दिया गया है। लोजपा ने खगड़िया से उम्मीदवार का नाम तय नहीं किया है,इसलिए 39 उम्मीदवारों की ही सूची जारी हुई। अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा का टिकट कट गया है। अब उनकी जगह पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद पटना साहिब सीट से चुनाव लड़ेंगे। जदयू ने जहानाबाद से चंद्रेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी, गोपालगंज से आलोक कुमार सुमन, सीवान से कविता सिंह, झंझारपुर से रामप्रीत मंडल जैसे नये नेताओं को बड़ा मौका दिया है। लोजपा ने भी चर्चित नवादा सीट पर सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी की जगह उनके भाई चंदन कुमार को टिकट दिया है।
भाजपा के उम्मीदवार
पटना साहिब- भाजपा ने बागी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा का टिकट कट गया। अब इस सीट पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे। रविशंकर प्रसाद भी पटना के ही रहने वाले हैं और कायस्थ समाज से ही आते हैं। उनके पिता ठाकुर प्रसाद संघ और भाजपा के प्रतिष्ठत नेता थे। रविशंकर प्रसाद नामी वकील रहे हैं। एक वकील के रूप में उन्होंने चारा घोटाला केस को अंजाम तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभायी थी।
पाटलिपुत्र- इस सीट केन्द्रीय मेंत्री रामकृपाल यादव को फिर मौका दिया गया है। 2014 के लोकसभा चुनाव में रामकृपाल ने लालू प्रसाद की बड़ी पुत्री मीसा भारती को हराया था। रामकृपाल पहले लालू के खासमखास थे। इस सीट पर चुनाव लड़ने मुद्दे पर उनकी लालू प्रसाद से ऐसी तनातनी हुई थी कि उन्होंने राजद छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया था। अब वे लालू परिवार के लिए बड़ी चुनौती बन गये हैं।
बेगूसराय - केन्द्रीय मंत्री गिरिराज को नवादा से बेगूसराय शिफ्ट किया गया है। उन्होंने पहले बेगूसराय भेजे जाने विरोध किया था लेकिन पार्टी नेतृत्व के समझाने के बाद वे राजी हो गये। 2014 में बेगूसराय से भाजपा के भोला सिंह जीते थे जिनका कि निधन हो चुका है। इस सीट पर अब चूंकि राजद के साथ- साथ माकपा के कन्हैया कुमार भी लड़ेंगे, इस लिए गिरिराज सिंह की राह आसान होती दिख रही है।
पश्चिम चम्पारण - डॉ. संजय जायसवाल को इस सीट से फिर मौका मिला है। 2014 में उन्होंने यहां चर्चित फिल्म निर्माता प्रकाश झा को करीब एक लाख वोटों से हराया था। प्रकाश झा जदयू के उम्मीदवार थे। प्रकाश झा इसी जिले के रहने वाले हैं। वे इसके पहले भी चुनाव हार चुके हैं। दूसरी तरफ यह सीट राजद के खाते में गयी है। अब देखना है कि भाजपा और जदयू मिल कर कैसे राजद गठबंधन का सामना करते हैं।
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पूर्वी चम्पारण से राधामोहन सिंह को टिकट
पूर्वी चम्पारण - केन्द्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह इस सीट से चुनौती पेश कर रहे हैं। 2014 में उन्होंने लालू प्रसाद के पूर्व निजी सहायक विनोद कुमार श्रीवास्तव को करीब दो लाख मतों के अंतर से हराया था। राधामोहन सिंह इस सीट से भाजपा के मजबूत के उम्मीदवार हैं।
दरभंगा - भाजपा ने गोपालजी ठाकुर को बड़ा मौका दिया है। वे पार्टी में प्रदेश उप्ध्यक्ष के पद पर हैं। बेनीपुर से विधायक भी रह चुके हैं। 2014 में दरभंगा सीट पर कीर्ति आजाद जीते थे। अरुण जेटली से विवाद के बाद कीर्ति आजाद ने बगावत कर दी। वे भाजपा छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। इस लिए अब इस सीट पर गोपालजी ठाकुर को टिकट दिया गया है। बिहार के पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्र के पुत्र नीतीश मिश्र को भी यहां से टिकट देने की चर्चा चली थी। लेकिन अंतिम मुहर गोपालजी मिश्र के नाम पर लगी।
मधुबनी - इस सीट पर सांसद हुकुमदेव नारायण यादव के पुत्र अशोक यादव को टिकट दिया गया है। 2014 में उन्होंने यहां से विजय प्राप्त की थी। लेकिन इस बार स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने चुनाव लड़ने में दिलचस्पी नहीं दिखायी। इसके अलावा अन्य उम्मीदवारों को 2014 की तरह कायम रखा गया है।
शिवहर
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रमा
देवी
मुजफ्फरपुर
-
अजय
निषाद
महाराजगंज
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जनार्दन
सिंह
सिग्रीवाल
सारण
-
राजीप
प्रताप
रूड़ी
उजियारपुर
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नित्यानंद
राय
आरा
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राजकुमार
सिंह
बक्सर
-
अश्विनी
कुमार
चौबे
सासाराम
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छेदी
पासवान
औरंगाबाद
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सुशील
सिंह
अररिया
-
प्रदीप
सिंह
जदयू के उम्मीदवार
भागलपुर - जदयू ने इस सीट पर अपने विधायक अजय कुमार मंडल को चुनाव मैदान में उतारा है। अजय मंडल भागलपुर क्षेत्र के दबंग नेता हैं। वे राजद के जीते उम्मीदवार बूलो मंडल के ही स्वजातीय हैं। जदयू ने यह सीट भाजपा से ली है। अजय मंडल की उम्मीदवारी से यहां एनडीए की चुनौती मजबूत हो गयी है।
सीतामढ़ी - यहां से जदयू ने डॉक्टर वरुण कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया है। वे पेशे से चिकित्सक हैं। सीतामढ़ी में ही उनका क्लीनिक है और काफी धनी माने जाते हैं। एक गैर राजनीतिक व्यक्ति को उम्मीदवार बनाये जाने पर विवाद भी है। विधान पार्षद देवेश चन्द्र ठाकुर ने तो यहां तक आरोप लगाया था कि डॉ. वरुण को 10 करोड़ में टिकट दिया गया है। 2014 में यहां से रालोसपा के राम कुमार शर्मा जीते थे। अब स्टिंग ऑपरेशन के कारण वे भी विवाद में हैं। रालोसपा अब महागठबंधन का हिस्सा है। ऐसे में चुनावी ऊंट किस करवट बैठेगा कुछ कहा नहीं जा सकता।
झंझारपुर - जदयू ने यहां से रामप्रीत मंडल को उम्मीदवार बनाया है। रामप्रीत मंडल पहले राजद में थे और अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष थे। सितम्बर 2017 में वे जदूय में शामिल हुए थे। पिछले चुनाव में भाजपा के वीरेन्द्र चौधरी यहां से चुनाव जीते थे। जदयू ने भाजपा से यह जीती सीट ली है। सीट बंटवारे के कारण सीटिंग एमपी वीरेन्द्र चौधरी का टिकट कट गया । अब देखना है कि जदयू इस फैसले को सही साबित करता है कि नहीं।
सीवान - जदयू ने इस सीट पर बाहुबली अजय सिंह की पत्नी कविता सिंह को टिकट दिया है। कविता सिंह जदयू की विधायक भी हैं। जदयू ने भाजपा की यह जीती हुई सीट अपने हिस्से में ली है। पिछले चुनाव में भाजपा के ओम प्रकाश यादव ने शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब को हराया था। यहां जदयू पर भाजपा की विनिंग सीट को बचाने की चुनौती है।
मुंगेर - जदयू ने यहां से नीतीश सरकार के मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को उम्मीदवार बनाया है। जदयू ने लोजपा की यह जीती हुई सीट ली है। पिछले चुनाव में लोजपा के बाहुबली नेता सूजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी यहां से जीती थीं। नीतीश कुमार ने ललन सिंह के लिए यह सीट लोजपा से मांग ली। इसके बदले लोजपा को भाजपा की विनिंग सीट नवादा दी गयी है। भाजपा सांसद गिरिराज सिंह को बेगूसराय भेजा गया है।
जहानाबाद - चंद्रेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी को यहां से जदयू का उम्मीदवार बनाया गया है। वे विधान पार्षद हैं। जब नीतीश कुमार ने 2017 में राजद ले किनारा कर के भाजपा के साथ सरकार बनायी थी तब चंद्रवंशी समाज ने चंद्रेश्वर प्रसाद को मंत्री बनाये जाने की मांग की थी। अति पिछड़े वर्ग को ध्यान में रख कर जदयू ने यहां उम्मीदवारी दी है। पिछले चुनाव में रालोसपा के अरुण कुमार यहां से जीते थे। अब रालोसपा और अरुण कुमार दोनों एनडीए से बाहर हैं। इस स्थिति में यहां जातिगत समीकरण का ध्यान रखा गया है।
कटिहार- यहां से दुलालचंद गोस्वामी जदयू के उम्मीदवार हैं। दुलालचंद बहुत पहले भाजपा के विधायक थे। जब भाजपा ने अगले चुनाव में उनका टिकट काट दिया था तो उन्होंने बगावत कर दी थी। जदयू ने यह सीट भी भाजपा से ली है।
मधेपुरा - दिनेश चंद्र यादव इस सीट पर जदयू की तरफ से चुनौती पेश करेंगे। वे नीतीश सरकार में मंत्री हैं। पहले राजद के सांसद भी रह चुके हैं। कोसी इलाके में यादवों के मजबूत नेता माने जाते हैं। इस लिए उन्हें यादव बहुल मधेपुरा सीट पर उतारा गया है।
गोपालगंज - इस सीट पर डॉ. आलोक कुमार सुमन जदयू के उम्मीदवार हैं। वे गोपालगंज के मशहूर चिकित्सक हैं। पिछले 8 मार्च को ही वे जदयू में शामिल हुए थे। अब उन्हें लोकसभा चुनाव का टिकट दिया गया है। पिछले चुनाव में इस सीट पर भाजपा के जनक राम जीते थे। सीट वंटवारे में जदयू ने यह सीट भाजपा से ले ली।
गया - इस सीट पर विजय मांझी को जदयू का उम्मीदवार बनाया गया है। वे जदयू के पूर्व विधायक रह चुके हैं। पिछले चुनाव में यहां से भाजपा के हरि मांझी जीते थे। इस बार जदयू ने यह सीट अपने हिस्से में ले ली। इसके अलावा जदयू ने पूर्व प्रत्याशियों के फिर मौके दिये हैं-
बांका-
गिरधारी
यादव
नालंदा
-
कौशलेन्द्र
कुमार,
मौजूदा
सांसद
पूर्णिया
-
संतोष
कुशवाहा,
मौजूदा
सांसद
काराकाट
-
महाबली
सिंह
वाल्मीकि
नगर
-
वैद्यनाथ
प्रसाद
महतो
सुपौल
-
दिलेश्वर
कामत
किशनगंज
-
महमूद
अशरफ
लोजपा के उम्मीदवार
नवादा - इस सीट पर लोजपा ने बाहुबली नेता सूरजभान सिंह के भाई चंदन कुमार को उम्मीदवार बनाया है। लोजपा को यह सीट मुंगेर के बदले मिली है। पिछले चुनाव में मुंगेर से सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी जीती थीं। इस बार सूरजभान सिंह के भाई को मैदान में उतारा गया है। चंदन कुमार उम्मीदवार बनाये जाने तक पार्टी के प्राथमिक सदस्य तक नहीं थे।
वैशाली- इस सीट पर लोजपा ने जदयू के दबंग विधानपार्षद दिनेश सिंह की पत्नी वीणा देवी को उम्मीदवार बनाया है। पिछले चुनाव में लोजपा के रामाकिशोर सिंह यहां से जीते थे। अब वे लोजपा में नहीं हैं
हाजीपुर - इस बार हाजीपुर में रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति कुमार पारस को उम्मीदवार बनाया गया है। पिछली बार जीते रामविलास पासवान पहले ही चुनाव लड़ने से मना कर चुके हैं। हाजीपुर उनकी परम्परागत सीट रही है। भाजपा ने रामविलास पासवान को राज्यसभा में भेजने का करार किया है।
जमुई
-
चिराग
पासवान
समस्तीपुर
-
रामचंद्र
पासवान
खगड़िया
-
अभी
प्रत्याशी
तय
नहीं