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जम्मू-कश्मीर में चरमपंथियों का इतना बड़ा दस्ता कैसे घुसा?

'अब तक चल रहे एनकाउंटर से ज़ाहिर होता है कि चरमपंथियों को इलाक़े की पूरी जानकारी है और वो लंबे समय से इलाक़े में मौजूद थे.'

By BBC News हिन्दी
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जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती राजौरी और पूँछ ज़िलों के बीच घने जंगलों में 11 अक्टूबर से भारतीय सेना और चरमपंथियों के बीच मुठभेड़ जारी है.

अब तक इस मुठभेड़ में भारतीय सेना के दो जूनियर कमिशंड ऑफ़िसर समेत नौ जवान मारे जा चुके हैं.

इनमें से एक जेसीओ और दो जवान पंजाब के रहने वाले थे. एक अन्य जेसीओ और तीन जवान उत्तराखंड के और दो जवान उत्तर प्रदेश और केरल के रहने वाले थे.

large squad of extremists enter Jammu and Kashmir?

चरमपंथियों को क़ाबू में करने के लिए भारतीय सेना ने पैरा कमांडो के सबसे कुशल दस्ते को ज़िम्मेदारी सौंपी है.

अपने अभियान को सफल बनाने के लिए सेना ड्रोन टेक्नॉलजी के अलावा आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल भी कर रही है.

मंगलवार को सेना की ओर से जारी बयान में कहा गया, "सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने सेना के आला अफसरों के साथ पूँछ इलाक़े का दौरा किया और मौक़े पर चलाए जा रहे ऑपरेशन की समीक्षा की. सेना अधिकारियों ने सेना प्रमुख को ऑपरेशन से जुड़ी विस्तृत जानकारी दी और इलाक़े की अग्रिम चौकियों का निरक्षण भी किया. सैन्य कमांडरों ने उन्हें वर्तमान स्थिति और चल रहे घुसपैठ विरोधी अभियानों के बारे में जानकारी दी."

कब शुरू हुआ ऑपरेशन

11 अक्टूबर से पूँछ ज़िले की सुरनकोट तहसील की डेरा की गली इलाक़े में ख़ुफ़िया सूचना के आधार पर चलाए जा रहे तलाशी अभियान के दौरान यह मुठभेड़ शुरू हुई थी.

इस झड़प में चरमपंथियों ने भारतीय सेना की टुकड़ी पर घात लगा कर हमला किया, जिसमें एक जूनियर कमिशंड ऑफ़िसर समेत पाँच जवान मारे गए थे.

दो दिनों के बाद गुरुवार अक्टूबर 14 को सेना और चरमपंथियों का फिर से सामना हुआ, जिसमें दोनों तरफ़ से की गई गोलीबारी में भारतीय सेना के दो राइफल मैन मारे गए थे.

इस मुठभेड़ में जख़्मी हुए सेना के जेसीओ और एक अन्य जवान का शव शनिवार को इलाक़े से बरामद हुआ था.

जम्मू में रक्षा विभाग के प्रवक्ता लेफ़्टिनेंट कर्नल देवेंद्र आनंद के अनुसार, मेंढर से थानामंडी तक के पूरे वन क्षेत्र की कड़ी घेराबंदी कर दी गई है और चरमपंथियों का पता लगाने के लिए व्यापक तलाशी अभियान चलाया गया है.

उन्होंने कहा, "इलाक़े की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए अधिक समय लग रहा है, यह इलाक़ा पर्वतीय है और जंगल घना है, जिससे अभियान मुश्किल और ख़तरनाक हो गया है."

सबसे लंबा ऑपरेशन

यह पिछले कुछ सालों में सेना द्वारा चलाया गया सबसे लंबा ऑपरेशन साबित हो रहा है. इससे पहले एक जनवरी 2009 से नौ जनवरी, 2009 के पहले हफ्ते में पूँछ में मेंढर के भाटीदार इलाक़े में नौ दिन लंबी तलाशी अभियान चलाया गया था. इसे बाद में इलाक़े की छानबीन करने के बाद बंद कर दिया गया था.

इस ऑपरेशन में सेना के एक जेसीओ समेत तीन जवान मारे गए थे और चार चरमपंथियों की मौत की बात कही गई थी. हालांकि बाद में सेना को चरमपंथियों का एक भी शव बरामद नहीं हुआ था.

क्या कहते हैं रक्षा मामलों के विशेषज्ञ

रक्षा मामलों के विशेषज्ञ सेवानिवृत ब्रिगेडियर अनिल गुप्ता ने बीबीसी हिंदी को बताया, "अब तक चल रहे एनकाउंटर से ज़ाहिर होता है कि चरमपंथियों को इलाक़े की पूरी जानकारी है और वो लंबे समय से इलाक़े में मौजूद थे."

ब्रिगेडियर गुप्ता का मानना है कि चरमपंथी बड़ी संख्या में जंगल में मौजूद हैं और स्पेशल ट्रेनिंग हासिल करने के बाद इस ऑपरेशन में शामिल किए गए होंगे.

वह चरमपंथी दस्तों के साथ पाक सेना के अफसरों के ऑपरेशन में शामिल होने के कयासों को भी गंभीर मान रहे हैं. उन्होंने कहा, "इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि पाक सेना के अफ़सरों ने इससे पहले भी ऐसे ऑपरेशन्स में हिस्सा लिया है."

ब्रिगेडियर गुप्ता कहते हैं, "सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि आख़िर इतना बड़ा दस्ता कैसे नियंत्रण रेखा पार कर भारतीय क्षेत्र में घुस आया. पूर्वी सेक्टर में सेना का फोकस शिफ़्ट होने की वजह से क्या काउंटर इंफिल्ट्रेशन ग्रिड कमज़ोर पड़ी है, यह आशंका उत्पन्न हो रही है."

https://www.youtube.com/watch?v=Bd9AB--UJz8

पूरी तरह से बंद किया जा चुका है इलाक़ा

11 अक्टूबर से जिस जगह ऑपरेशन चलाया जा रहा है, वहाँ से मीडिया को लगभग 11 किलोमीटर दूर रखा गया है. मीडियाकर्मियों को भिम्बर गली के पास बनी चेक पोस्ट से आगे जाने की इजाज़त नहीं दी गई है.

आम जनता के लिए भी राजौरी-पूँछ राष्ट्रीय राजमार्ग भिम्बर गली और सुरनकोट के बीच बंद कर दिया गया है. यह आम जनता की सुरक्षा को देखते हुए किया गया है.

मीडियाकर्मियों को जम्मू-कश्मीर पुलिस के अधिकारी समय-समय पर ऑपरेशन की जानकारी देते हैं.

वहीं सेना ने अभी तक सिर्फ़ लिखित बयान जारी कर इस ऑपरेशन के बारे में जानकारी साझा की है. ऐसे में ज़मीनी स्तर पर इस एनकाउंटर के बारे सटीक जानकारी की पुष्टि करना संभव नहीं हो रहा है.

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large squad of extremists enter Jammu and Kashmir?
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