27 नवंबर से DBS बैंक के लिए काम करेंगी लक्ष्मी विलास बैंक की शाखाएं, विलय प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी
नई दिल्ली: कैश संकट से जूझ रहे लक्ष्मी विलास बैंक का अब DBS बैंक में विलय होने जा रहा है। बुधवार को मोदी कैबिनेट ने भारतीय रिजर्व बैंक के मर्जर प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। जिसके बाद 27 नवंबर से लक्ष्मी विलास बैंक लिमिटेड की शाखाएं डीबीएस बैंक की शाखाओं के रूप में काम करेंगी। इसके साथ ही जो जमा-निकासी सीमा आरबीआई ने तय की थी, वो भी हट जाएगी। जिससे काफी दिनों से परेशान ग्राहकों को फायदा मिलेगा।

दरअसल कुछ महीने पहले बैंक के शेयरधारकों की वार्षिक मीटिंग में वोट के आधार पर बैंक के एमडी, सीईओ समेत 7 निदेशकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। बैंक काफी समय से पूंजी संकट से जूझ रहा था और इसके लिए अच्छे निवेशकों की तलाश की जा रही थी। आंकड़ों के मुताबिक जून वाली तिमाही में बैंक के पास कुल जमा पूंजी 21,161 करोड़ रुपये थी। इसके बाद आरबीआई एक्टिव हुआ और उसने निकासी की सीमा 25 हजार रुपये कर दी। साथ ही विलय का प्रस्ताव तैयार कर केंद्रीय कैबिनेट को भेज दिया। जिसे बुधवार को मंजूरी मिल गई।
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क्या कहा मोदी सरकार ने?
कैबिनेट बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडे़कर ने कहा कि सरकार ने लक्ष्मी विकास बैंक के 20.5 लाख जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए ये फैसला लिया है। इन जमाकर्ताओं ने मौजूदा समय में 20 हजार करोड़ से ज्यादा की राशि बैंक में जमा कर रखी है। ग्राहकों के अलावा बैंक के 4 हजार कर्मचारियों की नौकरी भी अब सुरक्षित हो गई है। आपको बता दें कि ये पहला मौका है जब किसी भारतीय बैंक को बचाने के लिए विदेशी बैंक की मदद ली जा रही है।
1926 से चल रहा बैंक
एलवीएस बैंक की शुरूआत 1926 में हुई थी। मौजूदा वक्त में देशभर में बैंक की 16 राज्यों में 566 शाखाएं हैं। इसके अलावा इसके 918 एटीएम भी संचालित हो रहे हैं। जब आरबीआई ने निकासी पर पाबंदी लगाई थी तो बैंक ने अपने ग्राहकों को भरोसा दिया था कि मौजूदा संकट का उनकी जमाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। बैंक ने कहा था कि 262 फीसदी के तरलता सुरक्षा अनुपात (एलसीआर) के साथ जमाकर्ता, बॉन्डधारक, खाताधारक और लेनदारों की संपत्ति पूरी तरह सुरक्षित है।