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लद्दाख में तनाव के बीच लेह की जनता ने चीन और कोरोना दोनों को धो डाला

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नई दिल्ली- कोरोना संक्रमण के दौरान देश में पहला चुनाव गुरुवार को लद्दाख में हुआ है। इस समय लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर जबर्दस्त तनाव की स्थिति भी बनी हुई। लेकिन, लद्दाख की जनता ने दोनों चुनौतियों को नकारते हुए भारी मतदान करके दिखा दिया है कि वह महामारी से निपटने के लिए तैयार है तो चीन की गीदड़भभकियों से भी डरने वाली नहीं है। लेह में लद्दाख ऑटोनोमस हिल काउंसिल के लिए हुआ चुनाव इस मायने में भी काफी अहम है कि यह जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 के हटने और राज्य के दो संघ शासित प्रदेशों में विभाजन के बाद हुआ पहला चुनाव भी है। आबादी के हिसाब से लद्दाख भले ही देश का बहुत ही छोटा सा इलाका हो, लेकिन वहां के लोगों ने इस चुनाव में 65% से अधिक वोटिंग करके ना सिर्फ लोकतंत्र को मजबूत करने का काम किया है, बल्कि चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मनों को सीधा संदेश दे दिया है कि भारतीयों हौसले जरा भी कमजोर पड़ने वाले नहीं हैं।

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गुरुवार को लेह में हुए लद्दाख ऑटोनोमस हिल काउंसिल (लेह) के चुनाव में 65% से ज्यादा मतदान हुआ है और अंतिम आंकड़ों में इसमें और इजाफा होने की भी संभावना है। लद्दाख के संघ शासित प्रदेश बनने के बाद वहां की यह पहली चुनावी प्रक्रिया है। इस चुनाव में वहां कुल 89,789 रजिस्टर्ड मतदाता थे, जिनमें से 58,430 वोटरों ने मतदान किया है। वोटिंग का ये प्रतिशत लगभग उतना ही है, जितना कि 2015 में था। यानि कोरोना वायरस के प्रकोप और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सेना के साथ जारी तनाव का भी यहां के लोगों के हौसले पर कोई असर नहीं पड़ा है और यह बहुत ही बुलंद है। शांतिपूर्ण माहौल में हुए चुनाव का परिणाम सोमवार को सामने आएगा और इस महीने के आखिर तक लद्दाख ऑटोनोमस हिल काउंसिल के गठन की प्रक्रिया पूरी हो जाने की उम्मीद है।

30 सदस्यीय लद्दाख ऑटोनोमस हिल काउंसिल (लेह) में ये चुनाव 26 सदस्यों के लिए करवाए जा रहे हैं, जबकि 4 सदस्य मनोनीत होते हैं, जिन्हें वोटिंग का अधिकारी प्राप्त नहीं होता। पिछली काउंसिल में बीजेपी के 18, कांग्रेस के 5, नेशनल कांफ्रेंस के 2 और एक निर्दलीय प्रतिनिधि थे। इस बार के चुनाव में मुख्य मुकाबाला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही है, क्योंकि नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी चुनाव में शामिल नहीं हुई हैं। अलबत्ता, अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने 19 उम्मीदवार जरूर उतारे हैं।

एलएसी पर फिलहाल तनाव कम होने के कोई संकेत नहीं हैं और लगता है कि ठंड के मौसम में भी सेना मोर्चे पर डटी रहने वाली है। उधर कोविड-19 की नई लहर अलग चुनौती पेश कर रही है। बीते 24 घंटे में वहां कोरोना के 31 नए मामले सामने आए हैं और अबतक इसकी चपेट में 5812 लोग आ चुके हैं। अभी भी वहां 842 केस ऐक्टिव हैं। यही नहीं बहुत कम आबादी वाले संघ शासित प्रदेश में भी कोरोना 68 लोगों की जान ले चुका है।

लेह हिल काउंसिल का गठन 1995 में लद्दाख ऑटोनोमस हिल काउंसिल ऐक्ट के तहत किया गया था। 2003 में कारगिल में एक अलग हिल काउंसिल गठित की गई। शुरू में संविधान की 6ठी अनुसूची के तहत लद्दाख को उत्तर-पूर्वी राज्यों की तरह विशेष संवैधानिक दर्जा की मांग को लेकर यहां चुनाव के बहिष्कार की मांग उठी थी। इस मांग को उठाने वालों में धार्मिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और सिविल सोसाइटी से जुड़े प्रभावी संगठन शामिल थे जिन्होंने अपनी मांग को पीपुल्स मूवमेंट का नाम दिया था। लेकिन, बाद में गृहमंत्री अमित शाह ने यहां के लोगों को भरोसा दिया कि काउंसिल के गठन के 15 दिनों के भीतर उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा, तब जाकर चुनाव बहिष्कार की मांग को वापस ले लिया गया।

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English summary
By voting heavily in the Ladakh Autonomous Hill Council election, the people of Leh have defeated both China and the Corona virus
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