ट्विस्ट एंड टर्न से भरी है कर्नाटक उपचुनाव की पिच, रिटायर्ड हर्ट होकर पवेलियन लौट सकती है बीजेपी!
बेंगलुरू। पिछले एक माह से महाराष्ट्र में चले महाभारत में युद्ध विराम के बाद अब पड़ोसी राज्य कर्नाटक में नाटक मंचन की तैयारी हो चुकी है। कर्नाटक के नाटक में किरदार पुराने ही है, लेकिन उपचुनाव के नतीजे की पटकथा क्लाईमेक्स को फिर बदल सकते हैं। उपचुनाव की पटकथा में नया ट्विस्ट क्या होगा, यह कर्नाटक की जनता जनार्दन 5 दिसंबर को शाम 6 बजे तक लिख देगी। नतीजे दिन यानी 9 दिसंबर को ट्विस्ट और उसके क्लाईमेक्स पता चलेगा।
दरअसल, पिछले 4 महीने से सत्ता में बैठी कर्नाटक की बीएस येदियुरप्पा सरकार को 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में बहुमत के लिए न्यूनतम 113 सदस्यों की जरूरत है। अगर 15 सीटों पर हो रहे उपचुनाव में बीजेपी न्यूनतम 8 सीट जीतने में कामयाब हो जाती है तब कर्नाटक के नाटक की अवधि जरूर छोटी हो सकती है वरना कर्नाटक का नाटक मध्यावधि चुनाव की ओर भी बढ़ सकता है।
लेकिन अगर बीजेपी 6 या 7 सीटों पर अटक चूक गई तो कर्नाटक के नाटक का क्लाईमेक्स का इंतजार और लंबा खिंच सकता है, क्योंकि फिर शेष 2 सीटों पर बाद में होने वाले उपचुनाव में बीजेपी को कम से कम एक सीट जीतना पडे़गा और अगर बीजेपी दोनों सीटों पर हार गई तो सत्ता बचाने के लिए उसे सरकार में किसी की वाइल्ड कार्ड एंट्री करानी पड़ जाएगी। यही कारण है कि कर्नाटक उपचुनाव की पिच को ट्विस्ट एंड टर्न से भरा कहा जा रहा है।
गौरतलब है कर्नाटक में पिछले महीने ही बीएसी येदियुरप्पा की सरकार सत्ता में पुनर्वापसी की है। 14 माह पुरानी एचडी कुमारास्वामी की नेतृत्व वाली जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार 17 बागी विधायकों के टूटने से गिर गई थी, जिसके बाद कर्नाटक में शेष बचे 207 विधानसभा में सरकार बनाने के लिए जरूरी 104 विधायक की जरूरत थी। कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 में 104 सीट जीतकर नंबर वन पार्टी बनी बीजेपी ने एक निर्दलीय के साथ कर्नाटक में सरकार गठन करने में कामयाब रही और इस तरह बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में कर्नाटक में बीजेपी की वापसी हो गई।
चूंकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 17 बागी विधायकों के अयोग्य ठहराए जाने के बाद 207 विधानसभा में 105 (एक निर्दलीय) सीट के साथ बीजेपी पिछले 4 महीने से सत्ता में बनी हुई है, लेकिन अब सत्ता में बने रहने के लिए उसे 15 सीटों पर हो रहे उपचुनावों में कम से कम 7 सीट जीतनी जरूरी हो गईं हैं।
9 दिसंबर को घोषित होने वाले उपचुनाव के नतीजों में बीजेपी अगर 7 सीट जीतने में कामयाब होती है तो बीजेपी के सीटों की संख्या 111 हो जाएगी। चूंकि अभी कर्नाटक सरकार में एक निर्दलीय का सपोर्ट बीजेपी को हासिल है। उपचुनाव के नतीजों के बाद विधानसभा में विधायकों की संख्या बढ़कर 222 हो जाएगी तब बीजेपी को कर्नाटक विधानसभा में बहुमत के लिए सिर्फ 112 विधायक का जुगाड़ होगा।
बीजेपी के लिए 112 विधायकों का आंकड़ा तब तक ही सुरक्षित रहेगा जब तक शेष 2 सीटों पर उपचुनाव की घोषणा नहीं होती है, लेकिन मस्की और आरआर सीटों पर उपचुनाव की घोषणा होते ही बीजेपी फिर बहुमत में बने रहने के लिए एक सीट पर विजय जरूर होगी।
क्योंकि तब विधानसभा की संख्या 222 से बढ़कर 224 हो जाएगी तब बीजेपी को बहुमत के लिए 113 सीटों की जरूरत होगी। दरअसल, अयोग्य ठहराए गए 17 विधानसभा सीटों में से 15 सीटों पर ही 5 दिसंबर को उपचुनाव करवाए जा रहे हैं, जिसमें मस्की और आरआर विधानसभा सीट शामिल नहीं हैं।
उल्लेखीय है विधानसभा में अभी भाजपा के पास 105 (एक निर्दलीय सहित), कांग्रेस के 66 और जद (एस) के 34 विधायक हैं। बसपा के भी एक विधायक हैं। इसके अलावा एक मनोनीत विधायक और स्पीकर हैं। अयोग्य करार दिए गए 15 विधायकों में से कुल 13 विधायकों को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है।
उपचुनाव लड़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मिलने के बाद कुल 15 विधायकों को अभी पिछले महीने भाजपा की सदस्यता दिलवाई गई थी। वैसे तो विधायकों के इस्तीफे से खाली हुईं कुल 17 सीटों पर चुनाव होना है, लेकिन दो सीटों का मामला कोर्ट में होने के कारण फिलहाल 15 सीटों पर ही उपचुनाव हो रहा है और शेष दो सीटों पर उपचुनाव कब होगा, यह कोर्ट के फैसले पर तय होगा।
यही कारण है कि बीजेपी 15 विधानसभा सीटों में हो रहे उपचुनाव में 7 के बजाय 8 सीटों पर जीत दर्ज करना चाहती है, क्योंकि शेष 2 सीटों पर बाद में होने वाले उपचुनाव में हार-जीत की ऊहापोह से पार्टी बचना चाहती हैं। 8 सीटें जीतने से कर्नाटक विधानसभा में विधायकों की संख्या एक बार फिर 224 पहुंच जाएंगी, ऐसे में बहुमत के लिए बीजेपी को 113 विधायकों की जरूरत होगी।
मौजूदा समय में 222 विधायकों के लिए बीजेपी 7 सीटें जीतकर 105+7=112 पहुंचने पर बहुमत तक पहुंच जाएगी, लेकिन अगर पार्टी शेष दोनों सीटों पर होने वाले उपचुनावों में हार गई तो सरकार अल्पमत में आ जाएगी, जिससे पार्टी बचना चाहती है, इसलिए 5 दिसंबर होने वाले उपचुनाव में बीजेपी 7 के बजाय 8 सीटों पर जीत के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दी थी।
हालांकि कर्नाटक उपचुनाव की मॉनिटरिंग कर रहे भाजपा महासचिव पी. मुरलीधर राव, जो कि कर्नाटक प्रभारी ने सभी 15 सीटें जीतने का दावा किया है। उन्होंने कहा है कि उपचुनाव में सिर्फ स्थिर सरकार ही एक मुद्दा है। जनता भाजपा को वोट देकर बी.एस. येदियुरप्पा के नेतृत्व में स्थिर सरकार चाहती है, क्योंकि जनता कांग्रेस-जेडी(एस) की सरकार का हश्र देख चुकी है। कांग्रेस राज्य को मध्यावधि चुनाव में झोंकना चाहती है, जिसे जनता भली-भांति जानती है।
पांच दिसंबर को जिन विधानसभा सीटों पर मतदान हो रहा है, उनमें गोकक, कागवाड, अथानी, येल्लपुरा, हिरेकेरूर, रवबेन्नुर, विजय नगर, चिकबल्लापुरा, केआरपुरा, यशवंतपुरा, महालक्ष्मी लायुत, शिवाजी नगर, होसकोटे, हंसुर और केआर पेटे विधानसभा सीटें शामिल हैं, लेकिन मस्की और राजराजेश्वरी का मामला कोर्ट में होने के कारण वहां उपचुनाव फिलहाल नहीं कराया जा रहा है।
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