मोहन भागवत की तुलना महात्मा गांधी से करने का इरादा नहीं था: इलियासी
इमाम उमर इलियासी ने बीबीसी से कहा कि उनका इरादा 'महात्मा गांधी से मोहन भागवत की तुलना करना नहीं था' और राष्ट्रपिता शब्द का प्रयोग 'दोनों व्यक्तियों के राष्ट्र के प्रति समर्पण' के संदर्भ में था.
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार नई दिल्ली की एक मस्जिद में ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइज़ेशन के प्रमुख इमाम उमर अहमद इलियासी से मुलाक़ात की थी. इसी मुलाक़ात में इलियासी ने मोहन भागवत को 'राष्ट्रपिता' और 'राष्ट्र-ऋषि' कहा था.
मोहन भागवत के लिए इलियासी के इस विशेषण को लेकर विवाद हो गया. कई जानी-मानी हस्तियों ने इलियासी की आलोचना की और कहा कि उन्होंने मोहन भागवत की तुलना महात्मा गांधी से कर दी.
हैदराबाद हाउस से, जहाँ विदेशी राष्ट्राध्यक्षों से भारत के पीएम मिलते हैं, वहाँ से कुछ सौ क़दम के फ़ासले पर मौजूद मस्जिद में गुरुवार को आरएसएस प्रमुख का आगमन हुआ था.
इसके बाद इमाम उमर इलियासी ने बयान दिया कि "मोहन भागवत वहाँ उनके निमंत्रण पर आए थे. वो राष्ट्रपिता और राष्ट्र-ऋषि हैं, उनके आने से बेहतर संदेश जाएगा."
बस क्या था, आपसी बातचीत, मोबाइल फ़ोन्स की चर्चाओं और सोशल मीडिया पर पूछा जाने लगा कि 'राष्ट्रपिता' शब्द जो अब तक महात्मा गांधी के नाम के साथ लगाया जाता रहा है, उसे मोहन भागवत के लिए इस्तेमाल करने वाले मुस्लिम धार्मिक नेता उमर अहमद इलियासी आख़िर कौन हैं?
इमाम उमर इलियासी ने बीबीसी से कहा कि उनका इरादा 'महात्मा गांधी से मोहन भागवत की तुलना करना नहीं था' और राष्ट्रपिता शब्द का प्रयोग 'दोनों व्यक्तियों के राष्ट्र के प्रति समर्पण' के संदर्भ में था.
दिल्ली से सटे मेवात से तालुक्क रखनेवाले उमर इलियासी राजनीतिक पहुँच रखनेवाले मौलाना जमील इलियासी के पुत्र हैं और उनका परिवार दिल्ली के कस्तूरबा गांधी रोड पर स्थित गोलाकार मस्जिद की इमारत का फ़र्ज़ पिछली दो पीढ़ियों से निभा रहा है. साथ ही वह 'पाँच लाख इमामों का प्रतिनिधित्व करने वाले ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइज़ेशन के चीफ़ इमाम' भी हैं.
लेखक और दिल्ली शहर को क़रीब से जाननेवाले विवेक शुक्ला उन्हें पंडारा रोड के सरकारी स्कूल के सहपाठी और क्रिकेट के बेहतरीन खिलाड़ी के तौर पर याद करते हैं और कहते हैं कि 'उन्हें बैटिंग और फिल्डिंग में आनंद आता था, हालांकि उम्र बढ़ी तो उनका रास्ता बदल गया.'
क्रिकेट में क्या अब भी दिलचस्पी है, इस सवाल पर इमाम उमर कहते हैं कि आज के दौर में जिस खेल की ज़रूरत है वो है पैग़ाम-ए-मोहब्बत, जिसे फैलाने की वो पूरी कोशिश कर रहे हैं और गुरुवार के दिन हुई बैठक भी 'दो दिलों का मिलन' ही था.
'खेल हित साधने का'
हालांकि आलोचक कह रहे हैं कि खेल मोहब्बत का नहीं बल्कि हित साधने का है.
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व चेयरमैन ज़फ़रुल इस्लाम ख़ान उन्हें 'सत्ता (इक़तदार) और कुर्सी के पुजारी' बताते हैं जिन्होंने वक़्फ़ के भीतर आनेवाली मस्जिद पर क़ब्ज़ा कर अपना घर और दफ़्तर बना रखा है.
डेढ़-दो साल पहले दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन अमानतुल्लाह ख़ान दल-बल के साथ गोल मस्जिद पहुंच गए थे और उसे ख़ाली करवाना चाहते थे, जिसके बाद दोनों ओर से हालात बेहद तनावपूर्ण हो गए थे लेकिन किसी तरह बीचबचाव से मामले में सुलह हो पाई.
काका नगर में मौजूद एक मस्जिद को इसी दौरान ख़ाली करवाया गया था हालांकि इलियासी परिवार के एक धड़े की रिहाइश आज भी उधर ही है.
इलियासी परिवार दशकों से जानने वाले विवेक शुक्ल हालांकि इन बातों पर किसी तरह की प्रतिक्रिया देने से बचते हैं लेकिन अपने अंदाज़ में ये ज़रूर कहते हैं कि मौलाना जमील इलियासी के 'तार ऊपर वाले से जुड़े थे.'
ऊपर वाले से तार जुड़ने की बात को जहाँ उमर इलियासी के समर्थक उनके इंटर-फेथ डायलॉग के प्रयास और 'वक़्त के साथ चलने में यक़ीन रखने की सलाहियत' में बयान करने की कोशिश करते हैं, तो दूसरा ख़ेमा कहता है कि इलियासी परिवार राजनीतिक तार जोड़ने में विश्वास रखता है.
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राजनीतिक ताल्लुकात
आरएसएस प्रमुख की मौलाना इलियासी से मुलाक़ात के बाद से रशीद क़िदवई की हाल में आई किताब 'लीडर्स, पॉलटिशियंस, सिटिजंस' के कुछ पन्नों का ताबड़तोड़ आदान-प्रदान हो रहा है.
इन पन्नों में उमेर इलियासी के वालिद मौलाना जमील इलियासी के जुड़े एक वाक़ये का ज़िक्र है, जिसमें वो इंदिरा गांधी के पर्सनल सेक्रेटरी आरके धवन के माध्यम से उन तक पहुँचते हैं और कमरे की छत से तावीज़ लटकाकर आम चुनावों में 350 सीट हासिल होने का दावा करते हैं.
इमर्जेंसी के बाद हुए चुनावों में कांग्रेस को 353 सीटें हासिल हुई थीं.
आपातकाल के बाद तैयार जनता सरकार में जनसंघ (बीजेपी के पहले का दल) भी शामिल थी. उमर इलियासी कहते हैं कि आरएसएस से वो बराबर मिलते रहते हैं.
ग़ौरतलब है कि एक समय में इलियासी परिवार राजीव गांधी और बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के बाद नरसिम्हा राव का क़रीबी समझा जाता था.
वरिष्ठ पत्रकार ज़िया रिज़वी कहते हैं कि "अगर नरेंद्र मोदी थोड़ा-सा दरवाज़ा खोल दें तो मौलाना लोग तो लाइन लगाकर खड़े हैं."
और क्या चर्चा हो रही है?
इमाम इलियासी और आरएसएस प्रमुख की भेंट को लेकर चर्चा सिर्फ़ मुस्लिम समुदाय के बीच ही नहीं बल्कि दूसरे पक्षों में भी हो रही है.
किसी ने उमर इलियासी के पिता मौलाना जमील इलियासी की इसराइल के पूर्व प्रधानमंत्री शिमोन पेरेस को शॉल ओढ़ाते एक तस्वीर भी शेयर की. ये तस्वीर तब की बताई जा रही है जब वह मध्य-पूर्व के देश गए थे. जूनियर इमाम की भी एक इसराइली व्यक्ति के साथ तस्वीर शेयर की जा रही है.
इसराइल का फ़लस्तीन क्षेत्र में बनाया जाना और उसके बाद की घटनाओं के चलते मुस्लिम समाज और एक बड़े वर्ग के भीतर धर्म के आधार पर तैयार देश को लेकर ग़म और ग़ुस्सा रहा है.
इमाम ऑर्गेनाइज़ेशन की वेबसाइट पर हालांकि इन मुलाक़ातों और इसराइल के दौरों का ज़िक्र है.
https://twitter.com/Mahmudabad/status/1572962123030089729
उमर इलियासी ख़ुद पर लग रहे इन आरोपों पर कहते हैं कि "हर आदमी का अपना नज़रिया होता है, हम क्या कर रहे हैं ये अहम है. आरएसएस प्रमुख से मिलने का विरोध वो ही कर रहे हैं जो चाहते हैं कि मुल्क के अंदर नफ़रत बनी रहे."
इमाम इलियासी के गुरुवार के बयान पर प्रतिक्रियाएं जारी हैं. लेखक अशोक कुमार पांडेय ने ट्विटर पर लिखा कि ये आप पर निर्भर करता है कि आप किसे राष्ट्र पिता मानेंगे.
https://twitter.com/Ashok_Kashmir/status/1573012450093326336
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