बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद सरकार का बड़ा फैसला, अगले वर्ष तक ब्रह्मोस मिसाइल से लैस होंगे सुखोई
नई दिल्ली। 26 फरवरी को हुई बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद सरकार ने 40 सुखोई एडवांस्ड फाइटर जेट्स को ब्रह्मोस मिसाइल से लैस करने के काम को साल 2020 तक पूरा करने का फैसला किया है। इस काम को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए सरकार की ओर से हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को आदेश दिए गए हैं। सूत्रों की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक इस रणनीतिक योजना को जल्द से जल्द पूरा करने का मकसद इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) की कॉम्बेट क्षमताओं यानी युद्ध से जुड़ी तैयारियों में तेजी लाना है।
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साल 2016 से जारी है प्रोजेक्ट
एक सीनियर ऑफिसर ने जानकारी दी है कि एचएएल और ब्रह्मोस एयरोस्पेस लिमिटेड को आदेश दिए गए हैं कि वे इस योजना में तेजी लाएं और इसे तय समय-सीमा से पहले दिसंबर 2020 तक पूरा करें। साल 2016 में सरकार ने फैसला किया था कि ब्रह्मोस के हवा से लॉन्च होने वाले वर्जन से सुखोई को लैस किया जाएगा। सरकार की योजना करीब 40 जेट्स को इससे लैस करने की है। साल 2017 में प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो सका लेकिन इसे लागू करने में काफी देर हो रही है। सूत्रों की मानें तो प्रोजेक्ट काफी धीमी गति से आगे बढ़ रहा है। बालाकोट एयर स्ट्राइक और अगले दिन यानी 27 फरवरी को जिस तरह से पाकिस्तान ने प्रतिक्रिया दी, उसके बाद आईएएफ को और ताकतवर बनाने के तरीकों पर चर्चा की गई। इसमें निष्कर्ष निकला कि सुखोई जेट को ब्रह्मोस मिसाइल से लैस करने का काम प्राथमिकता के आधार पर होना चाहिए।
400 किलोमीटर तक हमले में सक्षम
चर्चा के दौरान इस बात की भी योजना तय हुई कि राफेल एयरक्राफ्ट को खतरनाक मेटॉर बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (बीवीआरएएएम) के साथ एयरफोर्स में शामिल किया जाए। वहीं, एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम के आने और ब्रह्मोस से सुखोई को लैस करने के बाद एयरफोर्स की ताकत में इजाफ हो सकेगा। साथ ही इंडियन एयरफोर्स को पाकिस्तान एयरफोर्स के खिलाफ फायदा भी मिल सकेगा। ब्रह्मोस मिसाइल को अगर सुखोई में फिट कर दिया जाता है तो उसके बाद इंडियन एयरफोर्स न सिर्फ समंदर बल्कि हर तरह के युद्ध के मैदान में भी हमला करने में सफल हो पाएगी। ब्रह्मोस मिसाइल का वजह 2.5 टन है और इसकी गति आवाज की गति से तीन गुना ज्यादा है। इस मिसाइल की रेंज 290 किलोमीटर है। भारत पिछले वर्ष मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजाइम (एमटीसीआर) का पूर्ण सदस्य बन गया था। इसके बाद ब्रह्मोस की रेंज को बढ़ाकर 400 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है। सुखोई में फिट होने वाला ब्रह्मोस सबसे भारी हथियार है।