ट्विटर पर 25 से 30 चीनी जवानों के युद्ध बंदी होने की खबरें वायरल, भारतीय सेना बोली-Fake News
नई दिल्ली। 29 और 30 अगस्त को चीन ने एक बार फिर लद्दाख में घुसपैठ करने की कोशिशें कीं। पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के 500 जवानों ने चुशुल के करीब एक गांव में घुसपैठ कर पैंगोंग झील के दक्षिणी हिस्से पर कब्जे की कोशिशें की। लेकिन पहले से चौकस भारतीय सुरक्षा बलों ने चीन के इस प्रयास को विफल कर दिया। सोशल मीडिया पर ऐसी खबरें भी हैं कि भारतीय सेना ने पीएलए के 25 से 30 जवानों को बंदी बना लिया है। लेकिन अब सेना की तरफ से इस पर सफाई दी गई है।
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युद्धबंदी की खबरों में कोई सच्चाई नहीं
सेना ने इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि चीन के किसी जवान को युद्ध बंदी के तौर पर नहीं रखा गया है। हालांकि खबरें ऐसी भी हैं कि 30 अगस्त की रात को चुशुल में घुसपैठ की कोशिशों को फेल करने में चीन के 12 से 15 जवान मारे गए हैं। लेकिन इस पर अभी तक कोई जानकारी नहीं है। भारत की सेना ने फिर से उस रेकिन पास को अपने कब्जे में कर लिया है जो सन् 1962 में हुई जंग में उसके हाथ से चला गया था। भारत की स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (एसएफएफ) ने ब्लैक टॉप पर कब्जा किया हुआ है। ब्रिटिश अखबार द टेलीग्राफ के मुताबिक भारतीय जवानों की पीएलए जवानों के साथ झड़प हुई। भारतीय सीमा पर कब्जे की कोशिशों में लगे पीएलए के जवानों के साथ टकराव में न सिर्फ चीनी सैनिकों को मुंह की खानी पड़ी बल्कि भारत ने चीन की एक मिलिट्री पोस्ट पर कब्जा कर लिया है।
हैंड टू हैंड बैटल की खबरें
टेलीग्राफ ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि चुशुल में 30 अगस्त को तीन घंटे तक हैंड-टू-हैंड कॉम्बेट में चीनी सैनिकों को धूल चटाई गई है। अखबार के मुताबिक स्पेशल ऑपरेशंस बटालियन यानी स्पेशल फ्रंटियर फोर्स ने पैंगोंग झील के करीब स्थित एक चीनी कैंप पर रविवार को तड़के कब्जा कर लिया। टेलीग्राफ ने लिखा है कि अभी तक इस बात की कोई जानकारी नहीं मिली है कि चीन को इस 'युद्ध' में कितना नुकसान उठाना पड़ा है। शनिवार रात करीब 11 बजे सेना को पैंगोंग के दक्षिण में चीनी गतिविधियों की जानकारी मिली थी। इंटेलीजेंस मिलते ही जवानों को फौरन रवाना किया गया।