गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान को भारत का जवाब-तुरंत खाली कर दें गैर-कानूनी कब्जा
नई दिल्ली। ऐसा लगता है कि भारत ने अब गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान को अल्टीमेटम देना शुरू कर दिया है। विदेश मंत्रालय की तरफ से पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गिलगित-बाल्टिस्तान पर आए एक आदेश के बाद कड़ा विरोध दर्ज कराया है। भारत ने पाकिस्तान के एक वरिष्ठ राजनयिक को बुलाया और इस मसले पर कड़ा बयान (डिमार्श) जारी किया।
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विदेश मंत्रालय ने जारी किया डेमार्श
विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान को साफ कर दिया है कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख का पूरा क्षेत्र जिसमें गिलगित-बाल्टिस्तान का हिस्सा भी आता है, वह भारत का आंतरिक भाग है और भारत के पास इस पर अखण्डनीय और कानूनी अधिग्रहण का अधिकार है। पाकिस्तान को यह भी स्पष्ट कर दिया है कि इस मसले पर भारत की स्थिति साल 1994 में संसद में पास हुए प्रस्ताव में नजर आई थी जिसे सर्वसम्मति से पास किया गया था। पाकिस्तान या फिर इसकी न्यायपालिका के पास कोई अधिकार नहीं है कि वह इस पर गैर-कानूनी और जबरन कब्जा करे। भारत इस तरह की कार्रवाई को खारिज करता है। भारत ने पाक को दो टूक कहा है कि पाकिस्तान को इस पर अपने सभी गैर-कानूनी कब्जे को छोड़ देना चाहिए और जम्मू कश्मीर में किसी तरह का बदलाव करने की कोशिशें नहीं करनी चाहिए।
पाकिस्तान सच्चाई छिपा नहीं सकता
विदेश मंत्रालय ने बताया है कि पाक को बता दिया गया है कि इस तरह की कार्रवाई से पाकिस्तान, केंद्र शासित राज्यों जम्मू कश्मीर और लद्दाख पर गैर-कानूनी कब्जे को नहीं छिपा सकता है और न ही मानवाधिकार उल्लंघनों से मुंह मोड़ सकता है। पाक इस बात को भी खारिज नहीं कर सकता है कि पिछले सात दशकों से पीओके में लोगों को आजादी देने से इनकार किया जा रहा है। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने 28 अप्रैल को गिलगित-बाल्टिस्तान के एडवोकेट जनरल को नोटिस जारी किया। इस नोटिस में सुप्रीम कोर्ट ने प्रांतीय सरकार को यह मंजूरी दी है कि वह गिलगिल-बाल्टिस्तान में चुनावों के लिए वह साल 2018 में आए आदेश में जरूरी बदलाव करे और एक कार्यकारी सरकारी को तैयार करे। इसके बाद 30 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने यहां पर चुनाव कराने के आदेश दिए हैं।