ठंडे बस्ते में गया रूस के साथ 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने का 2 लाख करोड़ का प्रोजेक्ट
नई दिल्ली। रूस के साथ मिलकर पांचवीं जेनरेशन के लड़ाकू विमान बनाने का प्रोजेक्ट खटाई में पड़ता दिख रहा है। खबर है कि इस प्रोजेक्ट की कीमत और कुछ अन्य बातों पर भारत को सख्त आपत्ति है। भारत ने रूस को स्पष्ट संदेश भेज दिया है कि वह इस प्रोजेक्ट को मौजूदा स्वरूप में आगे बढ़ाने का बिल्कुल भी इच्छुक नहीं है। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 30 अरब डॉलर (करीब 2 लाख करोड़ रुपए) है।
पांचवीं पीढ़ी के आधुनिक लड़ाकू विमान बनाने के इस प्रोजेक्ट को लेकर रूस के साथ चल रही वार्ता में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि प्रोजेक्ट की कॉस्ट, लड़ाकू विमानों की संख्या और टेक्नोलॉजी से जुड़े कुछ मुद्दों पर भारत को आपत्ति है। भारत ने रूस के अधिकारियों तक अपनी बात पहुंचा दी है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि बातचीत अभी तक पूरी तरह खत्म नहीं हुई, मतलब थोड़ी गुंजाइश अब भी बाकी है।
भारत-रूस ने 2007 में सैन्य संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए लड़ाकू विमान बनाने को लेकर एग्रीमेंट साइन किया था। इस करार को हुए अब तक 11 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन मामला अटका ही हुआ है।
पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से मंजूरी मिलने के बाद इस प्रोजेक्ट को लेकर दोनों देशों के बीच फरवरी, 2016 में बातचीत को फिर से शुरू हुई थी, लेकिन कोई हल नहीं निकल सका था। दरअसल, भारतीय वायुसेना को लग रहा है कि इस प्रोजेक्ट की कीमत जरूरत से ज्यादा ही है। इसके अलावा रूस में बने पांचवीं पीढ़ी के विमान एसयू 57 की क्वालिटी को लेकर भी संशय है। रक्षा विशेषज्ञों का दावा इस विमान की गुणवत्ता अमेरिकी विमान एफ 22 रेप्टर के स्तर की नहीं है, इसलिए रूसी हवाई सेना में भी इस विमान को बहुत कम संख्या में शामिल किया गया है।