अब एक-दूसरे के मिलिट्री बेस का प्रयोग कर सकेंगे भारत और ऑस्ट्रेलिया, साइन हुई एक बड़ी डील
नई
दिल्ली।
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
और
ऑस्ट्रेलिया
के
पीएम
स्कॉट
मॉरिसन
के
बीच
पहली
वर्चुअल
समिट
हुई।
इस
मीटिंग
के
दौरान
दोनों
देशों
के
बीच
सात
समझौते
साइन
हुए
हैं
जिसमें
एक
समझौता
दोनों
देशों
की
मिलिट्री
से
जुड़ा
है।
एक
अहम
घटनाक्रम
के
तहत
गुरुवार
को
दोनों
देशों
के
बीच
एक
बड़ी
डील
साइन
हुई
है।
इस
डील
के
बाद
अब
दोनों
देश
सैन्य-संचालन
एक
दूसरे
के
मिलिट्री
बेस
का
प्रयोग
कर
सकेंगे।
विदेश
मंत्रालय
के
मुताबिक
यह
डील
उन
कुछ
समझौतों
का
हिस्सा
है
जो
ऑस्ट्रेलिया
और
भारत
के
बीच
साइन
हुए
हैं।
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अमेरिका के साथ भी है एक ऐसी ही डील
जो डील भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच साइन हुई है उसे म्युचुअल लॉजिस्टिक्स सपोर्ट एग्रीमेंट (एमएलएसए) नाम दिया गया है। इस डील के तहत दोनों देशों की सेनाएं रिपेयर और सप्लाई की पुन: पूर्ति के अलावा रक्षा संबंधों को बढ़ाने के लिए मिलिट्री बेस का प्रयोग कर सकेंगी। भारत ने अमेरिका, फ्रांस और सिंगापुर के साथ इसी तरह का करार किया हुआ है। पीएम मोदी और ऑस्ट्रेलिया पीएम मॉरिसन की मीटिंग के बाद एक साझा बयान जारी हुआ है। इस बयान में कहा गया, 'दोनों पक्ष इस बात पर रजामंद हुए हैं कि सैन्य अभ्यासों में मौजूद दायरे और जटिलताओं को बढ़ाकर आपसी साझा सुरक्षा चुनौतियों से निबटने के नए रास्ते तलाशे जा सकते हैं।'
हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र पर चर्चा
इसमें आगे कहा गया है, 'दोनों पक्षों ने म्युचूअल लॉजिस्टिक सपोर्ट समझौते के जरिए अपनी सैन्य व्यवस्था को नई मजबूत दी जा सकती है।' वार्ता के दौरान दोनों देशों ने आतंकवाद के अलावा हिंद-प्रशांत महासागर में मौजूद सुरक्षा चुनौतियों पर भी चर्चा की है। ऑस्ट्रेलियाई पीएम मॉरिसन ने यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल (यूएनएससी) में भारत की दावेदारी का समर्थन भी किया है। पीएम मोदी ने मॉरिसन के साथ मीटिंग में कहा कि उनका मानना है यह 'सही समय है और सही मौका है' जब दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत किया जा सकता है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के क्षेत्र और दुनिया में स्थिरता के लिए अहम कारक हो सकते हैं।
मॉरिसन ने चीन को दिया स्पष्ट संदेश
ऑस्ट्रेलियाई पीएम मॉरिसन ने पीएम मोदी से कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के हिंद-प्रशांत महासागर में मुफ्त, खुले और नियमों पर आधारित हित जुड़े हैं। दोनों देश स्वतंत्र नौसेना संचालन के लिए साझा हित रखते हैं। मॉरिसन का इशारा उस हिस्से की तरफ था जहां पर चीन अब अपनी मौजूदगी बढ़ाने की मंशा पाले हुए हैं। हिंद-प्रशांता महासागर क्षेत्र पर पीएम मोदी के साथ वार्ता करके मॉरिसन ने चीन को स्पष्ट संदेश दिया है। चीन की साउथ चाइना सी में युद्ध मौजूदगी ने कई देशों को परेशान कर दिया है।
भारत की स्थायी दावेदारी का समर्थन
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मिलिट्री बेस को लेकर हुआ समझौता चीन को लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर जारी तनाव के बीच एक स्पष्ट संदेश माना जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल (यूएनएससी) में आतंकवाद के मसले पर भारत का बड़ा समर्थक है। पिछले वर्ष जब यूएनएससी ने जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर को आतंकी घोषित किया था तो ऑस्ट्रेलिया ने भारत की उस मुहिम का भारी समर्थन किया था। भारत और ऑस्ट्रेलिया ने इस दौरान नौ दस्तावेजों को साइन किया है। इस दौरान ऑस्ट्रेलियाई पीएम मॉरिसन ने यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल (यूएनएससी) में भारत की दावेदारी का समर्थन भी किया है।
मजबूत व्यापारिक रिश्ते
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच साल 2018-2019 में द्विपक्षीय व्यापार करीब 20.92 बिलियन डॉलर का था। इसमें से भारत ने 5.17 बिलियन डॉलर का सामान ऑस्ट्रेलिया को निर्यात किया था। जबकि ऑस्ट्रेलिया ने भारत में करीब 10.74 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। वहीं भारत की तरफ से ऑस्ट्रेलिया में 10.45 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। ऑस्ट्रेलिया की तरफ से भारत में पेंशन फंड के तौर पर भारत के नेशनल इनवेस्टमेंट एंड इंफ्रांस्ट्रक्चर फंड में एक बिलियन डॉलर का निवेश किया है।