जरा सोचिए, महिलाओं को इतना देती है सरकार
नई
दिल्ली
(विवेक
शुक्ला)
कौन
कहता
है
कि
सरकार
सरकारी
नौकरियों
को
करने
वाली
महिलाओं
को
सुविधाएं
नहीं
देती।
राज्य
मंत्री
डॉ.
जितेन्द्र
सिंह
की
माने
तो
कुछ
देती
है।
उन्होंने
श्री
टी.
के.
रंगराजन
और
श्रीमती
गुंडु
सुधारानी
द्वारा
पूछे
गए
सवाल
के
लिखित
जवाब
में
राज्यसभा
को
जो
जानकारी
दी
उससे
तो
लगता
है
कि
सरकार
उन्हें
चाँद
से
तारे
तोड़
कर
लाने
के
अलावा
बाकी
सारी
सुविधाएं
देती
है।
सब कुछ तो मिलता है
सरकारी सेवाओं में भाग लेने में प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें मातृत्व अवकाश, शिशु देखभाल अवकाश, शिशु गोद लेने पर अवकाश, विकलांग महिलाओं के लिए विशेष भत्ता, क्रैच सुविधा का प्रावधान, एक ही शहर में पति और पत्नी की नियुक्ति, आवासीय सुविधा के आवंटन में विशेष प्राथमिकता, यौन उत्पीड़न से महिलाओं की सुरक्षा के लिए प्रावधान, विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं, अपने पति से कानूनी रूप से अलग महिलाएं जो फिर से विवाहित नहीं हैं, की नियुक्तियों में उम्र की छूट, उत्तर-पूर्व कैडर की अखिल भारतीय सेवा की महिला अधिकारियों के लिए विशेष छूट, अखिल भारतीय सेवा अधिकारी की शादी के मामले में कैडर में बदलाव और संघ लोक सेवा आयोग तथा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा संचालित परीक्षाओं के लिए शुल्क की अदायगी से छूट जैसी विशेष सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं।
जरा सांस ले लीजिए। फिर आगे चलते हैं। यही नहीं,संसद की 62वीं विभाग संबंधी स्थायी समिति की अनुशंसाओं के अनुसार, महिलाओं को सरकारी सेवा में शामिल होने के लिए प्रोत्साहन देने के प्रचार किए जाते हैं।
विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और ऐसी महिलाएं, जो कानूनी रूप से अपने पति से अलग हो चुकी हैं लेकिन 35 वर्ष की उम्र तक जिन्होंने दुबारा शादी नहीं की है, को कर्मचारी चयन आयोग/रोजगार नियोजनालय के जरिए भरे जाने वाले समूह 'सी' के पदों (अनुसूचित जातियों/जनजातियों) के सदस्यों के लिए 40 वर्ष की उम्र तक) के लिए सरकारी सेवाओं में नियुक्तियों के लिए उम्र की छूट का प्रावधान है।
तो क्या माना जाए कि कम से कम सरकारी सेवा से जुड़ी महिला मुलाजिमों के मसले हल हो चुके हैं।