‘राफेल’ के बाद अब ये मामला बढ़ा सकता है नरेंद्र मोदी की परेशानी!
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल प्रशासन ने 20 सितंबर को राज्य के कर्मचारियों, पेंशनभोगियों और मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए ग्रुप मेडिक्लेम स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू की है। लेकिन इस योजना को लेकर अब विवाद की स्थिति पैदा हो रही है। दिलचस्प बात ये है कि कर्मचारियों से सरकार ने रिलायंस जनरल हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से स्वास्थ्य बीमा खरीदने के लिए कहा है। रिलायंस जनरल हेल्थ इंश्योरेंस अनिल अंबानी की ही कंपनी है।
सरकार का आदेश
जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा जारी आदेश में लिखा गया है कि पॉलिसी का करार मैसर्स रिलायंस जनरल हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के साथ 8,777 रुपये और 22,229 रुपये (क्रमशः कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए) के वार्षिक प्रीमियम पर किया गया है। साथ ही कहा गया है कि पॉलिसी सभी राज्य के सभी सरकारी कर्मचारियों (राजपत्रित और गैर राजपत्रित), राज्य के विश्वविद्यालयों, आयोगों, स्वायत्त निकाय और पीएसयू के लिए अनिवार्य है।
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कांग्रेस ने साधा निशाना
कांग्रेस
ने
सरकार
के
इस
फैसले
को
लेकर
अब
निशाना
साधना
शुरु
कर
दिया
है।
कांग्रेस
नेता
सलमान
निजामी
ने
सीधे
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
पर
अंबानी
की
इस
रिलायंस
कंपनी
को
बढ़ावा
देने
का
आरोप
लगाया
है।
निजामी
ने
दावा
किया
है
कि
योजना
के
तहत
लिए
जाने
वाले
प्रीमियम
की
सालाना
राशी
8
हजार
करोड़
रुपये
होगी।
इसके
अलावा
जम्मू
में
कर्मचारी
संयुक्त
एक्शन
समिति
(ईजेएसी)
ने
भी
इस
कदम
पर
भी
विरोध
किया
है।
उनका
कहना
है
कि
ये
कदम
सिर्फ
एक
विशेष
कंपनी
को
लाभ
पहुंचाने
के
लिए
है
और
सरकारी
कर्मचारियों
को
बलि
का
बकरा
बनाया
जा
रहा
है।
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पढ़ें:-
एडल्टरी
पर
फैसले
में
भी
जस्टिस
चंद्रचूड़
ने
रखे
अपने
क्रांतिकारी
विचार,
फिर
पलटा
अपने
पिता
का
फैसला
ज्यादा है वार्षिक प्रीमियम
डेली एक्सेलसियर.कॉम पर छपी खबर के मुताबिक ये कहा जा रहा है कि सरकारी कर्मचारियों की सभी श्रेणियों के लिए मेडिक्लेम बीमा पॉलिसी का एक समान वार्षिक प्रीमियम अनुचित है और ये अस्वीकार्य है। कहा जा रहा है कि लगभग 5300 रुपये के सालाना प्रीमियम पर इतनी ही राशी का बीमा कवर देने के लिए आईसीआईसीआई बैंक से बात हुई थी लेकिन अब रिलायंस इंश्योरेंस के साथ 65 फीसदी से अधिक वार्षिक प्रीमियम पर करार किया गया है।
कर्मचारियों का विरोध
कर्मचारी
संयुक्त
एक्शन
समिति
ने
इस
फैसले
को
वापस
लेने
की
मांग
की
है
और
खुली
बोली
के
जरिए
अन्य
बीमा
कंपनियों
से
बात
करने
की
मांग
की
है
ताकि
सबसे
कम
प्रीमियम
पर
अधिकतम
लाभ
का
चयन
किया
जा
सके।
ईजेएसी
ने
कहा
है
कि
अन्यथा
उन्हें
दिया
जाने
वाला
चिकित्सा
भत्ता
300
रुपये
से
बढ़ाकर
1000
रुपये
किया
जाए।
नरेंद्र
मोदी
सरकार
पहले
से
राफेल
डील
मामले
में
अनिल
अंबानी
की
मदद
के
आरोप
झेल
रही
है
और
इसके
बाद
अब
रिलायंस
जनरल
हेल्थ
इंश्योरेंस
के
मामले
में
भी
उस
पर
वार
और
तेज
हो
सकते
हैं।
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