Golmaal Again: राजनीति के गोलमाल के आगे सब फेल
नई दिल्ली। लो जी 'गोलमाल अगेन' भी आ गई लेकिन असली गोलमाल पर अब भी कोई सीधे बात करने को तैयार नहीं, सबके सब गोलमोल हो गये हैं, कहें तो सेट हो गये हैं। सबके यही तर्क हैं-भई इस पर चर्चा करने का लॉजिक ही नहीं है। जहां रातों रात मैजिक हो जाता हो, शून्य खाते में छप्पड़ फाड़ करोड़ों बरसता हो और किसी को पता भी ना चले तो उस पर भला लॉजिक के लफड़े में पड़ने की जरूरत ही क्या है? बस पॉपकॉर्न चबाते जाइये, तालियां बजाइये, हंसते-हंसाते लोटपोट होते जाइये क्योंकि गोलमाल है भई सब गोलमाल है...sss। (वैसे यह गीत काफी पुराना है।)
गोलमाल केवल सिनेमा नहीं है। गोलमाल क्रप्शन का कॉमेडी ड्रामा भी नहीं है। गोलमाल अब एक फाइन आर्ट है। गोलमाल तेजस्विता का प्रतीक है। दरअसल हर माल को गोल कर देना गोलमाल कहलाता है। मैदान चाहे फुटबॉल का हो या राजनीति का...जो गोल कर दे, वही खिलाड़ी नंबर वन। सत्ता का खिलाड़ी। बाजार का शहंशाह। इसलिये इस गोलमाल की जय हो! गोलमाल अब किस्तों में भी हो जाता है। हर तरफ गोलमाल बड़ी तेजी से गोलमाल किये जा रहे हैं। एक गोलमाल हुआ नहीं कि दूसरे गोलमाल का ब्लूप्रिंट तैयार है। प्रोजेक्ट का पायलट फाइनल हो गया समझो। कहां तो लोग बैंक की किस्तें नहीं भर पाते हैं वहीं दूसरी तरफ गोलमाल की किस्तें पर किस्तें आ रही हैं।
हालांकि इस गोलमाल की रेस में बॉलीवुड जरा पिछड़ गया। पिछले एक दशक में गोलमाल की महज चार किस्तें दे सका। एक बार दस-बीस गाड़ियों को धुआं बनाके उड़ाने वाले रोहित शेट्टी के गोलमाल की रफ्तार जरा धीमी है। गोलमाल के खतरों से वो ठीक से खेल नहीं पा रहे हैं। करीब सात सालों के बाद 'गोलमाल अगेन' कर सके हैं, लेकिन कुछ गोलमाल भंडारी तो हरफनमौला होते हैं। रोहित शेट्टी को यह समझना होगा। अभी उनसे सीखना होगा। टीवी-फिल्म की दुनिया के स्टार के साथ खतरों के खिलाड़ी तो खेल लिया लेकिन सियासत के असली खिलाड़ियों के गोलमाल का चित्रण भला कब करेंगे? जब 'लकी' (तुषार कपूर) फर्राटा बोलने लगेगा तब? रोहित को समझना होगा कि कुछ गोलमाल तो मर्डर मिस्ट्री से कम नहीं होते। आरुषि-हेमराज की हत्या हुई, लेकिन पता नहीं किस ड्रेकुला ने की! रॉबर्ट वाड्रा के लिए बिज़नेस क्लास के एयर टिकट बुक हुये, लेकिन मालूम नहीं किस प्रेतात्मा ने किये! यहां हर गोलमाल मानो अब एक भूतिया किस्सा है। ये सीसीटीवी में नजर नहीं आता भला आयकर विभाग के चश्मे से क्या पकड़ में आयेगा! चश्मा चाहे इंडियन हो या इटैलियन, दिखाई तो उतना ही देगा, जितना कि रेटिना इजाजत देगा।
जय जय गोलमाल भंडारी! जय जय गोलमाल भंडारी!! चिंता मत कीजिये यह किसी गोलमाल सीरीज का गीत नहीं है।
उधर बिहार में 'गोलमाल अगेन' अभी बाकी है। तेजस्वी यादव और मीसा भारती के बंद दरबाजे का पर्दा खुल जा सिम सिम की शैली में धीरे धीरे सरक रहा है। सारी पूछताछ अभी बंद कमरे में हो रही है। लिहाजा हर गोलमाल एक मैजिक है, इसका कोई लॉजिक नहीं। सब गोलमोल है। लूट सको जितना लूट...। गुजरात में गदर है, हरियाणा एक समर है, राजस्थान तो राज़ है, बिहार में बवाल है, हिमाचल बेहिसाब है। संभव है आने वाले समय में अब गोलमाल का ही गोलमाल हो जाये। इसलिए रोहित शेट्टी से अपन का यही सुझाव है कि अपनी पिक्चर की अगली सीरीज का टाइटिल रखे - 'गोलमाल का गोलमाल'।
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