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डेल्टा, डेल्टा प्लस के अलावा वे कौन से चार खतरनाक वेरिएंट हैं जिनसे सचेत रहने को कह रहे हैं विशेषज्ञ, जानें

कोरोना का डेल्टा और डेल्टा प्लस वेरिएंट देश-दुनिया के सामने एक चुनौती बनकर उभरा है। दुनिया के लगभग 80 देशों में डेल्टा वेरिएंट के मामले सामने आ चुके हैं।

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नई दिल्ली, 28 जून। कोरोना का डेल्टा और डेल्टा प्लस वेरिएंट देश-दुनिया के सामने एक चुनौती बनकर उभरा है। दुनिया के लगभग 80 देशों में डेल्टा वेरिएंट के मामले सामने आ चुके हैं। इसी बीच स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने डेल्टा प्लस वेरिएंट के अलावा चार उभरते कोरोना वेरिएंट को लेकर सतर्क रहने को कहा है। इन वेरिएंट्स में डेल्टा वेरिएंट का भाई B.1.617.3, B.1.1.318 जिसके 14 म्यूटेशन हैं, लैम्ब्डा और कप्पा वेरिएंट्स शामिल हैं। विशेषज्ञों ने इन वेरिएंट्स को लेकर लोगों को सतर्क रहने को कहा है। हालांकि कप्पा वेरिएंट को उन्होंने डेल्टा और डेल्टा प्लस वेरिएंट की तुलना में बेहद कम संक्रमणकारी बताया।

corona

इन वेरिएंट्स में से B.1.617.3 और B.1.1.318 भारत में जहां पहले से मौजूद हैं वहीं लैम्ब्डा वेरिएंट दुनिया में तेजी से फैल रहा है और भारत में घुसने की तैयारी कर रहा है।

अंतरराष्ट्रीय उड़ानें बन सकती हैं घुसपैठ का जरिया

विशेषज्ञों को डर है कि कि अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रा लैम्ब्डा सहित अन्य वेरिएंट के लिए भारत में प्रवेश के द्वार खोल सकती है। उन्होंने उभरते हुए रूपों की पहचान करने और समाधान खोजने के लिए अधिक जीनोमिक निगरानी का भी आह्वान किया।

यह भी पढ़ें: कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लेना अधिक कारगर, कम होता है संक्रमण का खतरा- सर्वे

डबल म्यूटेंट B.1.617, जिसे पहली बार महाराष्ट्र में पहचाना गया, ने तीन वेरिएंट - B.1.617.1, B.1.617.2 और B.1.617.3 को जन्म दिया, जिसमें से B.1.617.1 को WHO ने कप्पा, B.1.617.2 को डेल्टा नाम दिया जबकि B.1.617.3 को फिलहाल कोई नाम नहीं दिया गया है और इसे कप्पा समूह के अंतर्गत रखा गया है।

हैदराबाद के यशोदा अस्पताल के सलाहकार चिकित्सक डॉ. विघ्नेश नायडू वाई ने कहा कि जैसे जैसे वायरस की संख्या बढ़ती है वैसे वैसे वायरस उत्परिवर्तित (म्यूटेट) होता है। म्यूटेट का सीधा मतलब मूल वायरस के एक समान बनने में छोटी मोटी गलतियां हैं। जैसे जैसे ये म्यूटेट होते हैं वे ट्रांसमिशन की तेज दर के संदर्भ में वायरस के संक्रमित करने की क्षमता और हमारी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से बचने की उनकी क्षमता को बदल देते हैं।

वहीं पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (पीएचई) ने लैम्ब्डा वायरस को निगरानी सूची में डाला है क्योंकि कई देशों में इसकी उपस्थिति दर्ज हुई है। वरिष्ठ आनुवंशिकीविद डॉ. एम खाजा ने कहा कि पीएचई ने लैम्ब्डा संस्करण में म्यूटेशन के संयोजन को देखा है। GISAID डेटा से पता चलता है कि लैम्ब्डा के 1,845 सीक्वेंस दुनिया भर से पोस्ट किए गए हैं। इनमें से कोई भी भारत से नहीं है। पीएचई ने अपनी 25 जून की रिपोर्ट में चेतावनी दी थी कि लैम्ब्डा में ट्रांसमिसिबिलिटी बढ़ने और एंटीबॉडी को निष्क्रिय करने के लिए संभावित बढ़े हुए प्रतिरोध की क्षमता है। लैम्ब्डा के खिलाफ मौजूदा टीकों की प्रभावशीलता का परीक्षण करने की आवश्यकता है।

डॉ. विघ्नेश ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उभरते हुए वेरिएंट की जीनोम सीक्वेंसिंग जारी रखने से वे किस तरह के लक्षण पेश कर सकते हैं, बीमारी की गंभीरता या जिस दर पर वे फैल सकते हैं उसे समझने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इससे विशेषज्ञों को यह जानने में भी मदद मिलेगी की म्यूटेशन का मनुष्यों पर क्या प्रभाव पड़ता है। हम जितना ज्यादा परीक्षण करते हैं उतना ज्यादा हमें उन्हें समझने में मदद मिलती है।

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English summary
four corona variants that experts are advising to be aware of
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