कोरोना ने दुनिया को वो दिखा दिया जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की, इन सभी बातों की वजह से हमेशा याद रहेगा 2020
नई दिल्ली। हम अमूमन हर नए साल को पूरे जश्न के साथ मनाते हैं। जिंदगी में कुछ साल ऐसे होते हैं, जो किसी के लिए खास बन जाते हैं, तो किसी के लिए कड़वी याद से जुड़ जाते हैं। लेकिन साल 2020 एक ऐसा साल है, जो हमेशा ही पूरी दुनिया को याद रहने वाला है। ये वही साल है, जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस जैसी घातक महामारी का सामना कर रही है। बेशक संक्रमण का खतरा अब पहले से कम हो गया है, लेकिन इसका संकट अब भी बरकरार है। इस साल को जाने में अब बस कुछ ही समय बचा है।
कोरोना काल में क्या-क्या देखने को मिला?
साल 2020 के जाते-जाते इस दौरान घटी घटनाओं का रुख करें तो दुनिया में बहुत सी ऐसी चीजें भी देखने को मिली हैं, जिसकी कभी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी। बेशक साल 2020 को मनहूस साल के तौर पर याद किया जाएगा, लेकिन इस दौरान कुछ अच्छी चीजें भी देखने को मिलीं। तो चलिए अब बात करते हैं, उन चीजों या घटनाओं की जो केवल साल 2020 के कोरोना काल में देखने को मिली हैं।
लॉकडाउन में कहीं सन्नाटा कहीं भीड़
कोरोना के आने के बाद से हर कोई लॉकडाउन शब्द का गहराई से मतलब समझ गया है। लेकिन कोरोना संक्रमण के आने से पहले बहुत कम लोग ही इस शब्द को सुन पाए होंगे। लॉकडाउन के दौरान सभी तरह की आर्थिक गतिविधियां थम गई थीं, हर जगह सन्नाटा पसरा हुआ था। लोगों को महीनों तक अपने घरों में बंद रहने को मजबूर होना पड़ा। इस दौरान मेट्रो स्टेशन हो या फिर मुख्य सड़कें, हर जगह सन्नाटा ही नजर आया। सभी को इसका पालन करना पड़ा, ताकि बढ़ते वायरस की चेन को तोड़ा जा सके। लेकिन जैसे एक सिक्के के दो पहलू होते हैं, ठीक उसी तरह लॉकडाउन में भी दो विपरीत चीजें देखने को मिलीं।
कहीं सड़कों पर दिखी भीड़
शहरों में लोग घरों में बंद हो गए। लेकिन उन्हीं शहरों में रोज कमाकर खाने वाले अलग-अलग राज्यों से आए प्रवासी मजदूर एक पल में बेरोजगार हो गए। रोज कमाकर खाने वाले भला कैसे घर में बंद रह सकते थे, अगर रहते तो फिर खाते क्या। यही सब बातें सोच ये लोग अपने-अपने गृह राज्यों की ओर बढ़ने लगे। सड़क पर भूखे प्यासे मजदूरों के कई वीडियो सामने आए। किसी के पैरों में छाले पड़े हुए थे, तो कहीं किसी गर्भवती महिला ने रास्ते में ही बच्चे को जन्म दिया, तो कहीं नन्हे नन्हे मासूम सड़क पर मीलों दूर तक पैदल चले। हालांकि सरकार की ओर से कहा गया कि सभी लोगों को मुफ्त राशन दिया जाएगा, जो बाद में दिया भी गया। सरकार ने लोगों से कहा कि आप जहां हैं, वहीं रहिए। लेकिन इन गरीबों ने भविष्य को लेकर चिंता जाहिर की और परिवार सहित पैदल निकल पड़े।
वायु गुणवत्ता में दिखा सुधार
चूंकी लॉकडाउन में लोग अपने-अपने घरों में बंद थे इसलिए आर्थिक गतिविधियां थम गईं। सड़क पर वाहनों की संख्या में कमी देखी गई, जिसका सबसे बड़ा फायदा पर्यावरण को हुआ। ना केवल भारत बल्कि दुनिया की अन्य प्रदूषित जगहों पर भी साफ हवा देखी गई। जहां लोग प्रदूषित हवा के कारण सांस लेने में पेरशानी झेलते थे, वहां अब सांस लेना आसान हो गया। यहां तक कि पूरे साल प्रदूषण की मार झेलने वाली दिल्ली भी साफ सुथरी हवा के साथ खिलखिलाती दिखी। हालांकि लॉकडाउन को अनलॉक की प्रक्रिया के तहत दोबारा खोला गया, ताकि कोरोना के चलते आए आर्थिक संकट से निपटा जा सके। जिसके चलते एक बार फिर पहले की तरह सड़कों पर वाहन दौड़ने लगे और एक बार फिर हवा प्रदूषित हो गई।
शहरों से दिखे पहाड़
लॉकडाउन का सबसे बड़ा फायदा हमारे पर्यावरण को हुआ। हवा इतनी साफ हो गई कि शहरों में बैठे लोग पहाड़ों का लुत्फ उठाने लगे। इस दौरान लोगों को इस बात का अहसास भी हुआ कि अगर इसी तरह का लॉकडाउन कोरोना काल के बाद भी थोड़े-थोड़े समय के लिए लगता रहे, तो हम अपने पर्यावरण को नई जिंदगी दे सकते हैं। हम साफ पर्यावरण में रह सकते हैं। वायु के साफ होने की वजह से पंजाब के जालंधर से हिमाचल के पहाड़ नजर आए और पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से दुनिया का तीसरी सबसे ऊंचा पहाड़ कंचनजंघा तक दिखाई दिया। लोगों ने घरों की छत पर जाकर इस नजारे का आनंद उठाया। कई स्थानों पर तो लोगों ने बालकनी से भी पहाड़ देखे।
पक्षियों और अन्य जानवरों को मिली आजादी
इंसानों के डर से सड़कों और खुले स्थानों से बचने के लिए पक्षियों और जानवरों को अक्सर छिपे हुए ही देखा जाता है। लेकिन जब इंसान घरों में बंद हुए तो इन्हें भी आजादी मिल गई। कई मुख्य सड़कों पर लोगों ने जानवरों को देखा। जिसके वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में एक हाथी लॉकडाउन के दौरान सड़क पर अकेला घूमता दिखा। लोगों के घरों में बंद होने की वजह से सड़कें पूरी तरह खाली थीं। मुंबई की मीठी नदी के पास हिरणों का झुंड दिखा, वहीं चंडीगढ़ में हिरण को भागते हुए देखा गया। इस दौरान वो पक्षी भी देखे गए, जो आमतौर पर दिखाई देना बंद हो गए थे। कई स्थानों पर तो गलियों में भी जानवर घूमते पाए गए। ऐसा कहा गया कि इंसान घरों में बंद हैं, तभी इन जीव जंतुओं को स्थान मिल पाया है। जहां वो भी घूम फिर सकें।
जनाजों में सन्नाटा दिखा
किसी भी धर्म में जब कोई व्यक्ति दुनिया छोड़ता है, तो उसे अंतिम विदाई देने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। ये लोग उसके रिश्तेदार, पड़ोसी, दोस्त और बाकी चाहने वाले होते हैं। लेकिन कोरोना काल ने इसे भी पूरी तरह बदल दिया। चाहे कोई आम आदमी हो या खास आदमी हर जगह जनाजे या अंतिम संस्कार के समय पहुंचने वाले लोगों की संख्या में कमी कर दी गई। इस दौरान बॉलीवुड अभिनेता ऋषि कपूर, इरफान खान और सुशांत सिंह राजपूत जैसे कलाकारों ने दुनिया को अलविदा कहा। लेकिन दुख इस बात का रहा कि इनके फैंस तक इन्हें अंतिम बार विदा करने नहीं आ सके। इन कलाकारों को इनका परिवार भी जिस तरह की विदाई देना चाहता था, नहीं दे सका। कई जगह तो ये भी देखा गया कि कोई व्यक्ति किसी अपने की मौत पर उसे आखिरी बार देखने नहीं जा सका क्योंकि यातायात के सभी साधन बंद पड़े थे। 2020 का ये दर्द शायद ही कभी भुलाया जा सकेगा।
शादियों में महज 100/50 लोग
हमारे देश भारत में ये धारणा है कि शादी में जितने लोगों को बुलाया जाए उतना अच्छा क्योंकि वर और वधु को सभी का आशीर्वाद मिलेगा। हमारी संस्कृति भी हमें यही सिखाती है कि खुशी के पलों में जितने लोगों को शामिल किया जाए उतना ही बेहतर होता है। लेकिन शादियों पर भी कोरोना काल का साफ प्रभाव देखा गया। कहीं शादी में शरीक होने वाले मेहमानों की संख्या 50 कर दी गई तो कहीं ये संख्या 100 कर दी गई। इस दौरान कई लोग अपने ही घर की शादी में शामिल नहीं हो सके। शादियों में पहले जैसी रौनक नहीं दिखी। जहां शादियों में हजारों लोगों को शरीक करने की परंपरा है, वहां 50 या 100 लोगों को ही आमंत्रित किया गया। इस दौरान लोगों के जहन में कोरोना का डर भी बना रहा और सभी को मास्क पहनने और सोशल डिस्टैंसिंग जैसे नियमों का पालन करना पड़ा।
घर में रहने से बोर हुए लोग
पहले लोग घर पर समय बिताने के लिए बेताब रहते थे लेकिन अब घर में इतना बंद रहे कि इससे भी बोर हो गए। घर पर बंद रहने के कारण जहां कुछ लोग वर्क फ्रॉम कर रहे थे, तो वहीं कुछ को नौकरी से ही हाथ धोना पड़ा। ऐसे में बहुत से लोग डिप्रेशन जैसी मानसिक बीमारियों तक का शिकार हो गए। इस दौरान आत्महत्या जैसे कई मामले भी देखे गए। हालांकि लोगों की इस परेशानी को दूर करने के लिए इंटरनेट फरिशते की तरह काम आया। इसने दूर बैठे लोगों को भी आपस में जोड़ दिया।
संकट के समय एकता का संदेश (थाली-ताली-दीया)
कोरोना वायरस की वजह से अस्पताल मरीजों से भरे पड़े थे, तो कहीं लोगों को इलाज के लिए बेड तक नहीं मिल रहा था। पुलिसकर्मी, डॉक्टर और नर्स जैसे फ्रंटलाइन वर्क्स को कई घंटों तक लगातार काम करना पड़ा। अस्पताल में काम कर रहे कर्मचारियों को तो भीषण गर्मी में भी पीपीई किट पहननी पड़ी। इन सभी लोगों का हौंसला बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से थाली/ताली/घंटी बजाने का आह्वान किया था। सभी लोग अपने घरों की छत और बालकनी से कोरोना वॉरियर्स का हौसला बढ़ाते दिखे। हर जगह थाली, ताली और घंटियों की गूंज सुनाई दे रही थी। जिससे लोगों के चेहरों पर हंसी के साथ आंखों में आंसू भी दिखे। सभी ने एक सुर में कोरोना वॉरियर्स के लिए ये संदेश भेजा कि हम इस बीमारी को एक दिन जरूर हरा देंगे। इस दौरान एक दिन लोगों ने दीये और मोमबत्ती भी जलाए थे।
मास्क, सैनिटाइजर अब जरूरतों में शामिल
कोरोना वायरस से बचाव के लिए लोगों को सैनिटाइजर से हाथ साफ करने को कहा गया। साथ ही मास्क पहनने को कहा गया। अब ये दोनों ही चीजें आम जरूरतों में शामिल हो गई हैं। मास्क ना पहनने पर जुर्माना तक भरना पड़ता है। वायरस से बचाने के लिए मास्क पहनना काफी जरूरी बताया गया है, ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।
घूमना-फिरना बना सपना
वायरस के डर से लोग घर में ही रहने को मजबूर हैं। साल 2020 में अलग-अलग जगहों पर घूमने की योजना बनाने वालों को अब अगले साल का इंतजार है। क्योंकि ना केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यात्रा करने के दौरान कई तरह के नियम लागू कर दिए गए हैं। अगर मिल रही सुविधाओं के बीच कोई घूमने जाने का सोचे तो भी वायरस के डर से ऐसा नहीं कर पाता है। ऐसे में साल 2020 में घूमना फिरना एक सपने जैसा हो गया है। जिसे आने वाले समय में हर कोई पूरा करना चाहता है।
Flashback
2020:
CAA
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