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यह है देश का पहला डिजिटल गांव, सबके पास बैंक खाते, कैश की कोई जरूरत नहीं

भारत का पहला डिजिटल गांव, जहां 100 फीसदी लोग हैं पढ़े-लिखे और सभी के पास है बैंक खाता, कैश की यहां कोई दिक्कत नहीं है।

By Ankur
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अहमदाबाद। नोटबंदी के फैसले के बाद नोट की कमी का लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन सोचिए अगर आपको रोजाना की चीजें खरीदने के लिए पैसों की जरूरत ही नहीं पड़े तो क्या होगा। गुजरात के अकोदरा गांव में किसी को कैश रुपए की जरूरत नहीं है।

गुजरात की राजधानी अहमदाबाद से तकरीबन 90 किलोमीटर दूर अकोदरा गांव में कोई भी कैश का इस्तेमाल नहीं करता है। इस गांव को आईसीआईसीआई ने 2015 में गोद लिया था, यह गांव अब कैशलेस गांव बन चुका है। तकनीक की मदद से इस गांव के लोग अब कैश का इस्तेमाल नहीं करते हैं।

5000 रुपए तक का लेन-देन डिजिटल

5000 रुपए तक का लेन-देन डिजिटल

अकोदरा में पढ़ाने वाली जोत्सना बेन का कहना है कि यहां तकरीबन सभी लोग मोबाइल बैंकिंग, कार्ड पेमेंट और नेटबैंकिंगा का इस्तेमाल करते हैं, यह भारत का पहला डिजिटल कैशलेस गांव है।

इस गांव में 5000 रुपए तक के अधिकतर लेन-देन मोबाइल बैंकिंग के जरिए ही हो जाता है। इसके लिए कोई भी एक मैसेज के जरिए दूसरे को पैसा भेज देता है, जोकि लेने वाले के सीधा खाते में पहुंच जाता है।

इस गांव में रहने वाले सभी 250 लोगों का बैंक में खाता है, यहां 1036 वयस्क लोग हैं, इस गांव की कुल आबादी 1191 है। इन लोगों को बैंक ने तकनीक का इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग दी है।

कैश की कोई दिक्कत नहीं

कैश की कोई दिक्कत नहीं

यहां के एक ग्रामीण का कहना है कि डिजिटल बैंकिंग के चलते हमें नोटबंदी से कोई भी दिक्कत नहीं हुई। हमारे पड़ोसी गांवों को कैश की काफी दिक्कत हुई, लेकिन हम मोबाइल बैंकिंग का इस्तेमाल करते हैं

यहां रहने वाले ट्रैक्सी ड्राइवर हेमंत भाई का कहना है कि मैं पूरे गुजरात में टैक्सी चलाता हूं, हर जगह पैसों को लेकर दिक्कत है, लेकिन अकोदरा गांव में पैसों की कभी दिक्कत नहीं होती है।

100 फीसदी साक्षरता

100 फीसदी साक्षरता

इस गांव की साक्षरता 100 फीसदी है, यहां मोबाइल बैंकिंग अंग्रेजी और गुजराती दोनों भाषा में होती है। इस गांव में सबर डेयरी ने यहां जानवरों के लिए हॉस्टेल की सुविधा मुहैया कराई है। यहां के एक किसान सुरेश भाई का कहना है कि सभी ग्रामीण अपने पशुओं क यहां रखते हैं। यहां सबर डेयरी की गाड़ी आती है और दूध ले जाती है, दूध की जांच भी वहीं होती है, जिसके बाद दूध का पैसा महज 10 दिन के भीतर बैंक खाते में जमा हो जाता है।

डिजिटल स्कूल

डिजिटल स्कूल

इस गांव में प्राइमरी, सेकेंडरी और हायर स्कूल हैं, जहां तमाम तरह की सुविधाएं मुहैया है जिसका इस्तेमाल यहां के शिक्षक करते हैं, स्मार्ट बोर्ड, कंप्यूटर, टैबलेट जेसे अत्याधुनिक संसाधन यहां मौजूद हैं। यहां छात्र अपनी उपस्थिति कार्ड स्वाइप के जरिए दर्ज कराते हैं, यहां छात्रों को ऑडियो-विजुअल के जरिए शिक्षा मुहैया कराई जाती है।

गांव में है वाई-फाई

गांव में है वाई-फाई

यहां इंटरनेट की सुविधा भी उपलब्ध है, इसके साथ ही वाई-फाई टॉवर भी लगाया गया है। यहां तीन माइक्रो एटीएम लगे हैं। यहां ग्राम पंचायत स्तर पर को-ऑपरेटिव सोसाइटी बनाई गई है, इसके अलावा यहां आरओ प्लांट भी लगा है।

आईसीआईसीआई बैंक नो गोद लिया गांव को

आईसीआईसीआई बैंक नो गोद लिया गांव को

जब 26 मई 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम पद की शपथ ली तो उन्होंने एक साल के भीतर 1 जुलाई 2015 को डिजिटल इंडिया की मुहिम शुरु की। इस अभियान का उद्देश्य था देश के गांवों को तेज इंटरनेट कनेक्शन के साथ जोड़ना और लोगों को डिजिटल मुहिम के बार में साक्षर करना।

पीएम के इस अभियान में आईसीआईसीआई बैंक ने हिस्सा लेने की इच्छा जताई और लोगों में आर्थिक साक्षरता बढ़ाने का काम शुरु किया। आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ का कहना है कि जब हम डिजिटल के बारे में सोचते हैं तो हमारे दिमाग में बड़े-बड़े शहर आते हैं लेकिन हम गांव को 100 फीसदी डिजिटल बनाना चाहते थे और इसके लिए हमने अकोदरा गांव को चुना।

एशिया का पहला एनिमल हॉस्टेल है यहां

एशिया का पहला एनिमल हॉस्टेल है यहां

अकोदरा को चुने जाने की अहम वजह थी यहां के 100 फीसदी लोगों का साक्षर होना। यहां के 1015 लोग साक्षर हैं जबकि 176 लोग साक्षर नहीं हैं। इसके अलावा यहां चलने वाले एनिमल हॉस्टेल का चलना भी काफी अहम है, यह एशिया का पहला एनिमल हॉस्टल है। हमने यह शुरुआत 2011 में की थी जब पीएम मोदी यहां के सीएम थे।

आईसीआईसीआई बैंक ने यहां दो साल पहले ही बैंक की एक शाखा स्थापित कर दी थी। लेकिन चार महीने के भीतर ही बैंक ने इस गांव को डिजिटल बनाना शुरु कर दिया था।

शुरुआत में बैंक में सिर्फ 100 खाते थे लेकिन अब यहा 1200 तक पहुंच गया है, हर घर में एक बैंक खाता है। बैंक ने यहां की महिलाओं, बुजुर्गों, पुरुषों सबको मोबाईल बैंकिंग की ट्रेनिंग दी है। 2 जनवरी 2015 तक यह गांव 100 फीसदी डिजिटल हो चुका था।

इस गांव के में वाई-फाई कनेक्टिविटी है, गांव की वेबसाइट है, चीजों के रेट डिजिटल स्क्रीन पर लिखे जाते हैं। यहां बैंक महिलाओं में दक्षता ट्रेनिंग चलाती है, उन्हें टेलरिंग व ऑफिस के काम सिखाए जाते हैं वो भी निशुल्क।

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English summary
First digital village of India where everyone has bank account and no need of cash. This village has so many unique facility whichh even cities are missing.
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