Farmers Protest: सरकार ने किसानों को फिर दिया बातचीत का न्यौता, 30 दिसंबर को चर्चा के लिए बुलाया
Farmers Protest: सरकार ने किसानों को फिर दिया बातचीत का न्यौता, 30 दिसंबर को चर्चा के लिए बुलाया
Farmers Protest News: केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों को बुधवार (30 दिसंबर) को बातचीत का न्यौता दिया है। कृषि मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल की ओर से किसान नेताओं को लिखी चिट्ठी में कहा गया है कि संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 दिसंबर को सरकार को कहा है कि वो बातचीत के लिए तैयार हैं। हम बताना चाहते हैं कि भारत सरकार भी खुले मन से किसानों की बात सुनने को तैयार है। आप 30 दिसंबर को दिल्ली के विज्ञान भवन में दोपहर 2 बजे आकर बैठक में शामिल हों। बैठक में नए कृषि कानूनों पर चर्चा होगी।
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नए कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों और मोदी सरकार के बीच अब तक औपचारिक तौर पर छह दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन कोई भी नतीजा नहीं निकल सका है। बीते कुछ समय से बातचीत रुकी हुई थी। 26 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से जानकारी दी गई थी कि सभी किसान संगठनों से बातचीत के बाद उन्होंने सरकार को ये प्रस्ताव भेजा गया है कि किसान प्रतिनिधियों और भारत सरकार के बीच अगली बैठक 29 दिसंबर 2020 को 11 बजे आयोजित की जाए। अब सरकार का इस पर जवाब आया है, जिसमें किसानों की ओर से बताई तारीख से एक दिन बाद यानी 30 दिसंबर को बैठक बुलाई गई है।
किसान संगठनों की मांग है कि जो नए कानून सरकार लाई है, उन्हें वापस ले और एमएसपी पर कानून बनाए। वहीं सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि नए कानून में जो कमियां किसानों को लगती हैं, वहां संशोधन किया जा सकता है। वहीं एमएसपी पर कानून को लेकर भी सरकार राजी नहीं दिख रही है। ऐसे में अभी तक सरकार और किसान नेताओं के बीच हुई बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल सका है।
बता दें कि केंद्र सरकार इस साल तीन नए कृषि कानून लेकर आई है, जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडार सीमा खत्म करने जैसे प्रावधान किए गए हैं। इसको लेकर किसान जून के महीने से लगातार आंदोलनरत हैं और इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। आंदोलन जून से नवंबर तक मुख्य रूप से हरियाणा और पंजाब में हो रहा था। सरकार की ओर से प्रदर्शन पर ध्यान ना देने पर 26 नवंबर को किसानों ने दिल्ली की और कूच करने का ऐलान कर दिया। इसके बाद बीते 32 दिन से किसान दिल्ली और हरियाणा को जोड़ने वाले सिंधु बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं। टिकरी, गाजीपुर और दिल्ली के दूसरे बॉर्डर पर भी किसान जमा हैं।
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