फेक न्यूज की वजह से लॉकडाउन में प्रवासी श्रमिकों ने किया पलायन: केंद्र सरकार
नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी के कारण मार्च में लागू किए लॉकडाउन के कारण लाखों प्रवासी मजदूर अपने घर वापस लौट गए। आजाद भारत के इतिहास में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में पलायन देखने को मिला था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को संसद को बताया कि लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में प्रवासी कामगारों का पलायन फर्जी खबरों से पैदा हुई घबराहट के कारण हुआ। टीएमसी सांसद माला रॉय के एक अतारांकित प्रश्न के उत्तर में गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने यह बात कही।
टीएमसी सांसद माला रॉय ने संसद में सरकार से उन कारणों के बारे में पूछा था, जिसके चलते हजारों मजदूरों लॉकडाउन में घर वापस चले गए। अपने जवाब में, रेड्डी ने कहा, लॉकडाउन की अवधि के बारे में फर्जी समाचारों द्वारा बनाई गई दहशत के चलते बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिकों का पलायन हुआ। मंत्रालय ने कहा कि प्रवासी श्रमिक भोजन, पानी, स्वास्थ्य सेवाओं और रहने जैसी बुनियादी जरूरतों की पर्याप्त आपूर्ति के लिए चिंतित थे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि, केंद्र सरकार 'इस बारे में पूरी तरह से सचेत' थी और लॉकडाउन की अवधि के दौरान सभी जरूरी उपाय किए गए, ताकि कोई भी नागरिक नहीं भोजन, पानी, चिकित्सा सुविधाओं आदि की मूलभूत सुविधाओं से वंचित न रहे। गृह मंत्रालय ने बताया कि प्रवासी मजदूरों की समस्याओं को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने प्रमुख केंद्रीय मंत्रालयों के प्रतिनिधियों के साथ संयुक्त सचिव स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों की देखरेख में मंत्रालय में नियंत्रण कक्ष बनाने सहित कई उपाय किए।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने प्रवासी श्रमिकों को अस्थायी आवास, भोजन, कपड़े, चिकित्सा देखभाल आदि की व्यवस्था कराने के लिए राज्य सरकारों को स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड (SDRF) का इस्तेमाल करने की अनुमति दी। लॉकडाउन के दौरान पलायन करने वाले मजदूरों की संख्या के बारे में सरकार ने कहा कि, देश के चार करोड़ प्रवासी मजदूरों में से 25 प्रतिशत से थोड़े ज्यादा (लगभग 1.05 करोड़) कोरोना वायरस महामारी और राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण अपने घर लौटे हैं।
लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने बताया कि, लॉकडाउन की वजह से 1.05 करोड़ मजदूर अपने-अपने राज्यों को वापस लौट गये थे। सबसे अधिक 32.50 लाख मजदूर उत्तर प्रदेश में वापस लौटे, वहीं दूसरे नंबर पर बिहार रहा, जहां 15 लाख मजदूर वापस लौटे। मध्य प्रदेश के 7.54 लाख, झारखंड के 5.30 लाख, पंजाब के 5.16, असम के 4.26 लाख, केरल के 3.11 लाख, महाराष्ट्र के 1.83 लाख मजदूरों ने अलग-अलग हिस्सों से अपने घर लौटे।
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