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Engineer’s Day 2022: वो जीनियस जिसने गढ़ा आधुनिक भारत, याद में भारत ही नहीं ये देश भी मनाते हैं इंजीनियर्स डे

भारत में इंजीनियरिंग सेक्टर में उल्लेखनीय काम हुआ है। हर साल 15 सितंबर को इंजीनियर्स डे एम विश्वेश्वरैया की याद में मनाया जाता है। Engineer’s Day 2022 M Visvesvaraya birth anniversary

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नई दिल्ली, 14 सितंबर : इंजीनियर दिवस 2022 या इंजीनियर्स डे के मौके पर कृतज्ञ भारत सर एम विश्वेश्वरैया के योगदानों को याद करता है। सक्षेप में एमवी नाम से लोकप्रिय रहे विश्वेश्वरैया ने अंग्रेजी हुकूमत से आजादी के बाद देश में कई जटिल परियोजनाएं शुरू कीं। बुनियादी ढांचे के विकास में एमवी का योगदान उल्लेखनीय है। भारत में हर साल 15 सितंबर को राष्ट्रीय अभियंता दिवस यानी National Engineer's Day मनाया जाता है। 15 सितंबर को भारत के साथ-साथ श्रीलंका और तंजानिया में भी विश्वेश्वरैया के योगदान को याद कर इंजीनियर दिवस के रूप में मनाया जाता है। (कुछ तस्वीरें साभार- यूट्यूब @प्रसार भारती आर्काइव)

अभियंता दिवस का मकसद क्या है ?

अभियंता दिवस का मकसद क्या है ?

इंजीनियर्स दिवस 2022 महान इंजीनियर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की उपलब्धियों को याद करने और इनसे प्रेरित होकर भविष्य में इंजीनियरिंग सेक्टर में कैसे और बेहतर बना जाए, इन पर मंथन करने का मौका होता है। 15 सितंबर, 1861 को कर्नाटक के मुद्दनहल्ली गांव में जन्मे विश्वेश्वरैया अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद आर्ट्स स्ट्रीम में पढ़े, लेकिन बाद में इनका रुझान इंजीनियरिंग की तरफ हुआ।

आर्ट्स पढ़ने वाले MV इंजीनियर बन गए

आर्ट्स पढ़ने वाले MV इंजीनियर बन गए

विश्वेश्वरैया का गांव वर्तमान कर्नाटक के चिकबल्लापुर जिले में आता है। उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई गृहनगर से पूरी करने के बाद मद्रास विश्वविद्यालय जाने का फैसला लिया। मद्रास यूनिवर्सिटी में विश्वेश्वरैया ने कला के क्षेत्र में ग्रैजुएशन यानी स्नातक (बीए) की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग में करियर बनाने का फैसला लिया। पढ़ाई की स्ट्रीम में 360 डिग्री टर्न लेने वाले विश्वेश्वरैया पुणे के कॉलेज ऑफ साइंस पहुंचे। यहां उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया।

119 साल पहले 'ब्लॉक सिस्टम' बनाया

119 साल पहले 'ब्लॉक सिस्टम' बनाया

सर एमवी के रूप में लोकप्रिय हुए विश्वेश्वरैया ने कई जटिल परियोजनाएं शुरू कीं। उन्होंने अपने इंजीनियरिंग करियर के दौरान भारत में बुनियादी ढांचे के विकास पर उल्लेखनीय काम किया। खाद्य आपूर्ति स्तर और भंडारण को 'ब्लॉक सिस्टम' के रूप में जाना जाता है। इसके पीछे भी विश्वेश्वरैया की भूमिकी है। 1903 में उन्होंने पेटेंट कराया था। पुणे के पास खडकवासला जलाशय में एमवी ने पानी के फ्लडगेट के साथ एक सिंचाई प्रणाली विकसित कर स्थापित कराया और बाद में इसा पेटेंट भी हुआ।

सिंचाई के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान

सिंचाई के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान

पुणे की सिंचाई प्रणाली का पेटेंट कराने के बाद इसी सिंचाई प्रणाली को बाद में ग्वालियर के तिगरा बांध और मैसूर के कृष्णराज सागर (केआरएस) बांध में भी स्थापित किया गया। उस समय KRS को एशिया के सबसे बड़े जलाशयों में से एक का दर्जा मिला। आर्थिक नियोजन में भी उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाले विश्वेश्वरैया की किताबें, "रिकंस्ट्रक्टिंग इंडिया" (Reconstructing India) 1920 में जबकि "प्लांड इकोनॉमी ऑफ इंडिया" (Planned Economy of India) 1934 में प्रकाशित हुईं।

अंग्रेजी हुकूमत में मिली नाइट उपाधि, 1955 में भारत रत्न

अंग्रेजी हुकूमत में मिली नाइट उपाधि, 1955 में भारत रत्न

इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया (IEI) के अनुसार, इंजीनियरिंग के क्षेत्र में विश्वेश्वरैया के योगदान के अलावा एमवी को "भारत में आर्थिक नियोजन का अग्रदूत" भी कहा जाता है। कर्नाटक में मैसूर के दीवान के रूप में सेवा के दौरान एमवी को 1915 में नाइट उपाधि से सम्मानित किया गया। पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार में साल 1955 में विश्वेश्वरैया को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान- भारत रत्न से अलंकृत किया गया। देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने एमवी को भारत रत्न सम्मान दिया था। (फोटो सौजन्य- यूट्यूब वीडियो ग्रैब- Prasar Bharti Archive)

वर्ल्ड वॉर टू में बुलेट का मुकाबला करने वाली गाड़ी

वर्ल्ड वॉर टू में बुलेट का मुकाबला करने वाली गाड़ी

साल 2018 में विश्वेश्वरैया के योगदानों को सम्मानित करते हुए सर्च इंजन Google ने डूडल समर्पित किया था। एमवी के प्रयासों के कारण ही टाटा स्टील के इंजीनियरों ने बख्तरबंद वाहन (armored vehicle) का आविष्कार किया। टाटा की इस गाड़ी का वर्ल्ड वॉर टू (WWII) में भी इस्तेमाल किया गया था। जानकारों के मुताबिक ये वाहन गोलियों की बौछार के बीच भी सुरक्षित रहती थी। फायरिंग में सुरक्षित armored vehicle की प्रेरणा मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया 1962 में चिरनिद्रा में सो गए। आज उनकी 161वीं जयंती के मौके पर दुनियाभर के इंजीनियर्स का पुण्य स्मरण। वनइंडिया हिंदी कृतज्ञ भारत की ओर से एमवी को श्रद्धांजलि देता है।

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English summary
Engineer’s Day 2022 M Visvesvaraya birth anniversary
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