ज्योतिषियों की दुकान पर लगे 'पंजे' के निशान को चुनाव आयोग ने ढका, तो लोगों ने उठाए सवाल
नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने रविवार को लोकसभा चुनावों की घोषणा की थी। चुनाव की घोषणा के साथ ही देशभर में आचार सहिंता लागू हो गई। कर्नाटक में यह आचार संहिता ज्योतिषियों और हस्तरेखाविदों के लिए आफत बन गई है। कर्नाटक में चुनाव आयोग के अफसर इन हस्तरेखा विशेषज्ञों के घर और दफ्तर पहुंचकर इनके पब्लिसिटी बोर्ड व पोस्टरों पर बने हथेलियों के निशान को पोत और ढांक रहे हैं, क्योंकि 'पंजा' कांग्रेस पार्टी का चुनाव चिह्न है।
मांड्या शहर चुनाव आयोग की कार्यवाही
न्यूज 18 में छपी एक रिपोर्ट्स के मुताबिक, आधा दर्जन से अधिक चुनाव आयोग के अधिकारियों ने मंगलवार को मैसूर के पास मांड्या शहर में ज्योतिषियों के कई घरों और कार्यालयों का दौरा किया और हस्तरेखा वाले निशान को छुपाने की कार्यवाही की। उन्होंने ज्योतिषियों को बताया कि इस कार्यवाही को पूरे मांड्या संसदीय सीट तक बढ़ाया जाएगा। एक अधिकारी ने बताया कि, ज्योतिषियों को मतदान समाप्त होने तक हथेली की छवि को कवर करने के लिए कहा गया है। भले ही चुनाव आयोग की तरफ इस तरह की आचार संहिता को अभी मंड्या सीट पर ही लागू किया गया हो लेकिन इस कार्यवाही के बाद पूरे कर्नाटक के ज्योतिषियों के बीच डर है कि एक दो दिनों में वो भी इस कार्यवाही के दायरे में आ सकते हैं। बेंगलुरु के एक ज्योतिषी सत्यनारायण भट ने कहा कि इस कार्यवाही से उनके रोजगार पर भारी असर पड़ेगा क्योंकि पूरे देश में लोग इस निशान के ज़रिये ही ज्योतिषियों को पहचानते रहे हैं।
फिर तो कमल के फूल को तालाब से हटवा देना चाहिए?
उन्होंने कहा 'ये निशान हमारे काम की पहचान है। इसका किसी राजनीतिक पार्टी से कोई लेना देना नहीं है। चुनाव आयोग हमसे यह कैसे कह सकता है कि इसका इस्तेमाल सिर्फ इसलिए नहीं किया जाए क्योंकि यह कांग्रेस पार्टी का प्रतीक है? क्या चुनाव आयोग झीलों और तालबों से सभी कमलों को हटा देगा। क्या वे मतदान समाप्त होने तक कमल की बिक्री पर प्रतिबंध लगा देंगे? हमने चुनाव आयोग से अपील की है कि इस तरह की कार्यवाही ना करें बल्कि वोटिंग के लिए पैसे और अन्य चीज़ें बांटने जैसी करतूतों को रोकें। कर्नाटक कांग्रेस के मिलिंद धर्मसेना ने आयोग के इस कदम को गैर ज़रूरी करार दिया। उन्होंने कहा कि 'हम आचार संहिता का आदर करते हैं, लेकिन आयोग को इस तरह की कार्यवाही को लेकर थोड़ी उदारता और तार्किक आधार के साथ सोचना चाहिए।
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क्या आयोग चुनाव होने तक सूरज भी नहीं उगने देगा
स्थानीय चुनाव आयोग के अधिकारियों ने अपनी इस कार्यवाही को सही ठहराते हुए कहा कि चुनाव तक राजनीतिक पार्टियों के चुनाव चिह्नों से मेल खाने वाली तस्वीरों को सार्वजनिक स्थानों से हटाने की कार्यवाही की जाएगी। आयोग के इस फैसले पर ज्योतिषियों के सवाल उठाते हुए पूछा है कि, अगर आप हथेलियों की तस्वीरें ढांक रहे हैं तो कमल, ट्रैक्टर, बाइसिकल, टॉर्च, पंखा, हाथी, हैंडपंप, शंख, दो पत्तियों जैसे दूसरे निशानों पर आपका क्या रवैया है? डीएमके का चुनाव चिह्न उगता सूरज है तो क्या आयोग चुनाव होने तक सूरज भी नहीं उगने देगा?
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