क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

दुष्यंत चौटाला की राजनीतिक अनुभवहीनता ही उन्हें ले डूबेगी अगर...

Google Oneindia News

बेंगलुरू। हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 के नतीजे बीजेपी और कांग्रेस दोनों को रास नहीं आ रहे हैं। जनता ने इस बार किसी को भी स्पष्ट जनादेश नहीं दिया है, जिससे किंगमेकर की भूमिका में आई महज 11 महीनों पुरानी जननायक जनता पार्टी यानी जेजेपी के चीफ के पौ बारह हो गए हैं।

dushyant

एक राजनीतिक दल के रूप में जेजेपी को हरियाणा चुनाव 2019 में जनता ने खूब प्यार लुटाया है, लेकिन जेजेपी चीफ दुष्यंत चौटाला की राजनीतिक अनुभवहीनता ही कहेंगे कि वो इतने महत्वाकांक्षी हो गए कि मुख्यमंत्री की कुर्सी तक से नीचे बात करने को तैयार नहीं हो रहे हैं।

नतीजों में नंबर वन पार्टी बनकर उभरी बीजेपी को हरियाणा में सरकार बनाने के लिए अब 4 विधायकों की जरूरत है, क्योंकि रनिया विधानसभा सीट से जीते निर्दलीय विधायक रंजीत सिंह चौटाला और सिरसा सीट से जीते गोपाल कांडा ने बीजेपी को समर्थन देने का ऐलान कर चुके हैं।

dushyant

रंजीत सिंह चौटाला पूर्व हरियाणा के मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के भाई है। उन्होंने जीत के बाद भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव डॉक्टर अनिल जैन से मुलाकात की है औक मुलाकात के बाद चौटाला ने भाजपा को समर्थन देने का ऐलान कर दिया। दोनो विधायकों के बीजेपी का समर्थन इस बात से भी पक्का हो गया है, क्योंकि सिरसा से जीते गोपाल कांडा और रनिया से जीते रंजीत सिंह चौटाला को सिरसा से बीजेपी सांसद सुनिता दुग्गल चार्टेड प्लेन से अपने साथ गुरूवार रात ही दिल्ली ले गई हैं।

Dushyant

बीजेपी को अब हरियाणा में हरियाणा में दोबारा सरकार बनाने के लिए 4 और विधायकों की जरूरत है और बीजेपी कहीं और जाने के बजाय निर्दलीय विधायकों का समर्थन जुटाने में लगी हुई है, जिससे किंगमेकर बने जेजेपी चीफ दुष्यंत चौटाला की अतिमहत्वाकांक्षा को गहरा धक्का लगना तय माना जा रहा है।

बीजेपी निर्दलीय जीते उन विधायकों पर अधिक फोकस कर रही है, जिन्होंने बीजेपी से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय लड़कर जीत दर्ज की है। निर्दलीय लड़कर जीते कुल 7 में 5 विधायकों को मनाने के लिए बीजेपी आलाकमान ने नेताओं का लगा दिया है। इनमें एक प्रमुख नेता हैं सिरसा से बीजेपी सांसद सुनीता दुग्गल, जो गुरूवार रात ही दो विधायक गोपाल कांडा और रंजीत सिंह को लेकर दिल्ली कूच कर चुकी हैं।

Dushyant

बीजेपी को आसानी से उन निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल हो सकता है, जो बीजेपी से रूठकर निर्दलीय जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। इनमें शामिल हैं पृथला सीट से जीतकर आए निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत, दादरी विधानसभा सीट से जीतकर आए निर्दलीय विधायक सोमबीर, महम विधानसभा सीट से जीत दर्ज करने वाले निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू और पुंडरी विधानसभा सीट से जीतने वाले निर्दलीय विधायक रामधीर सिंह गोलन और बादशाहपुर-रानिया से जीतकर आए निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद प्रमुख हैं।

Dushyant

हालांकि जेजेपी चीफ दुष्यंत चौटाला ने अभी तक कांग्रेस या बीजेपी में से किसी को समर्थन देने का ऐलान नहीं किया है, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर अपनी लालसा दर्शाते हुए उन्होंने जो अनुभवहीनता का परिचय दिया वह उन्हें उनके मसूंबों पर पानी फेरने के लिए काफी था।

अच्छा होता अगर दुष्यंत चौटाला मुख्यमंत्री पद की चाहत को पब्लिक डोमेन में रखने के बजाय पार्टी डोमेन में रखते तो शायद उनकी छवि जनता के मन में अलग बैठती, लेकिन उन्होंने ने सीधा मोल-तोल करते हुए बयान दे डाला कि जो भी उन्हें मुख्यमंत्री बनाएगा जेजेपी उसे समर्थन करेगी। हालांकि कांग्रेस पार्टी ने हंग असेंबली हुए कर्नाटक विधानसभा के दांव को दोहराते हुए हरियाणा में भी जेजेपी का समर्थन हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री बनाने का वादा कर दिया।

Dushyant

कांग्रेस पार्टी ने बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए जेजेपी को मुख्यमंत्री पद देने का दांव तो खेल दिया था, लेकिन कांग्रेस को यह फैसला जल्दी भरा ही था, क्योंकि सूत्र बताते हैं कि जब रूझानों में कांग्रेस की खुद की सीट 36 से 30 पर पहुंच गई तो लगा उससे गलती हो गई और उसने गलती सुधारने की कोशिश की और जेजेपी को डिप्टी सीएम का संशोधित ऑफर दिया, लेकिन जेजेपी चीफ दुष्यंत चौटाला ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है। जेजेपी अभी बीजेपी की ओर से मिलने वाले प्रस्ताव का इंतजार कर रही है, लेकिन जेजेपी को आभास हो चुका है कि बीजेपी उसे मुख्यमंत्री पद नहीं देने वाली है।

dushyant

जेजेपी की रणनीति तब जरूर कामयाब हो जाती अगर कांग्रेस और बीजेपी के सीटों की टैली बराबर होती, जैसा कि 2 बजे तक आए रूझानों में लग रहा था और कांग्रेस और बीजेपी 35-35 सीटों पर लीड कर रही थीं, लेकिन अंतिम परिणामों तक बीजेपी की सीटों की संख्या 40 को पार कर गई और कांग्रेस के सीटों की संख्या सिमट कर 30 पर पहुंच गईं।

Dushyant

हालांकि फाइनल कांउटिंग के बाद चुनाव आयोग की वेबसाइट पर बीजेपी 40 सीटों पर विजयी घोषित की गई जबकि कांग्रेस को 31 सीटों से संतोष करना पड़ा। वहीं, जेजेपी को 10 सीट और अन्य दलों को 9 सीटें हासिल हैं, जिसमें 1-1 सीट राष्ट्रीय लोकहित पार्टी और इनलो की सीट शामिल है।

गौरतलब है अगर बीजेपी चार्टेड प्लेन से दिल्ली ले गई 6 निर्दलीय विधायकों को मनाने में कामयाब हो गई तो किंगमेकर की भूमिका में नजर आ रहे दुष्यंत चौटाला का मुख्यमंत्री बनने का सपना धरा का धरा रह सकता है। यह दुष्यंत चौटाला की अनुभवहीनता का ही परिचायक ही कहा जाएगा।

Dushyant

क्योंकि राजनीतिक दल हमेशा अपने पत्ते अंतिम परिणामों के बाद ही खोलते हैं, लेकिन अति उत्साह में दुष्यंत चौटाला से यह गलती हो गई, जिसका खामियाजा यह हुआ कि बीजेपी अब जेजेपी के बिना ही सरकार बनाती दिख सकती है, जो बीजेपी के लिए मुश्किल नहीं लग रहा है।

कांग्रेस के लिए सरकार बनाने की गणित इसलिए फेल हो गई है, क्योंकि उसके पास महज 31 सीट है और अगर वह जेजेपी का समर्थन लेती है, तो उसके पास दोनों को मिलाकर 41 विधानसभा सीटें ही होंगी। जरूरी 5 सीटों का जुगाड़ करने के लिए कांग्रेस को निर्दलीय विधायकों को साधना होगा, जो अब मुश्किल लग रहा है।

Dushyant

कांग्रेस के हरियाणा में सरकार बनाने की कवायद रंग इसलिए भी धूमिल पड़ती दिख रही है, क्योंकि 7 में 6 निर्दलीय विधायक बीजेपी खेमे में दिख रहे हैं और चार्टेड प्लेन दिल्ली कूच कर चुके 4 निर्दलीय विधायक वो हैं, जो बीजेपी में थे और टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय मैदान में उतरे थे।

बीजेप के लिए निर्दलीय विधायकों को मानना इसलिए भी अधिक मुश्किल नहीं होगा, क्योंकि ज्यादातर पूर्व बीजेपी नेता रहे है और पार्टी की टिकट पर चुनाव भी लड़ चुके हैं। पूर्व बीजेपी नेता भी निर्दलीय मैदान में उतरकर पार्टी आलाकमान को बताना चाहते थे कि उनकी दावेदारी अधिक थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट न देकर उनकी बेकद्री की, लेकिन जीत दर्जकर उन्होंने पार्टी को गलत साबित कर दिया है।

Dushyant

इनमें पुंडरी सीट से जीते रणधीर सिंह गोलन, दादरी सीट से जीते सोमबीर सांगवान, महम सीट से जीते बलराज कुंडू और पृथला सीट से जीते नयन पाल रावत का नाम प्रमुख हैं, जिन्होंने बीजेपी आलाकमान को गलत साबित कर जीत कायम की। कहा जाता है कि एक बेहतर नेतृत्व हमेशा गलतियों को स्वीकार करती है और अगर बीजेपी ने निर्दलीय जीतकर आए पूर्व बीजेपी नेताओं को गले से लगाया तो वो तुरंत मान जाएंगे।

शायद यही वजह है कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने हरियाणा में बीजेपी की सरकार बनाने का संकेत दे दिया है और अंतिम नतीजों के बाद निवर्तमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से हरियाणा के राज्यपाल से मिलने का समय मांगने को कह दिया। सीएम मनोहर लाल खट्टर ने बीजेपी सरकार का दावा पेश करने लिए राज्यपाल से मिलने का वक्त भी मांग लिया है।

Dushyant

फिलहाल, दिल्ली तलब किए गए सीएम खट्टर दिल्ली पहुंच चुके हैं, जहां पार्टी के शीर्ष नेता हरियाणा में सरकार बनाने की रणनीति पर चर्चा करेंगे। दिल्ली में पहले ही पहुंच चुके 6 निर्दलीय विधायकों से भी पार्टी आलाकमान बातचीत करेगी और पूरी संभावना है कि बीजेपी निर्दलीय के साथ सरकार बनाने में कामयाब हो जाएगी।

दुष्यंत चौटाला पूर्व हरियाणा के मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला के सुपुत्र है, जिन्हें हाल ही में इनलो से निष्कासित कर दिया गया था। इनलो से निकाले जाने के बाद दुष्यंत चौटाला ने जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) नाम से एक अलग पार्टी बनाई।

dushyant

महज 11 महीनों पुरानी जेजेपी का गठन 9 दिसंबर, 2018 दुष्यंत चौटाला ने की थी। हिसार से सांसद दुष्यंत चौटाला के पिता अजय चौटाला चाहते थे कि उनके बेटे को पार्टी का सीएम उम्मीदवार के तौर पर प्रोजेक्ट किया जाए, लेकिन अभय चौटाला इसके लिए बिल्कुल सहमत नहीं थे, जिसके बाद दुष्यंत चौटाला और उनके भाई दिग्विजय चौटाला पार्टी ने निष्कासित कर दिया गया था।

पिछले 11 महीनों में अबतक कुल 3 चुनाव लड़ चुकी जेजेपी ने जींद विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में जेजेपी चीफ दुष्यंत चौटाला ने भाई दिग्विजय चौटाला को उतारा था, लेकिन वो बीजेपी उम्मीदवार कृष्ण मिड्ढा के हाथों बुरी तरह हार गए थे। इसी सीट पर कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला भी उम्मीदवार भी थे, जो तीसरे नंबर पर रहे थे।

Dushyant

रणदीप सुरजेवाला हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में भी कैंथल से अपनी सीट गंवा चुके हैं, जो बीजेपी लीलाराम से महज 567 वोटों से हारे हैं। फिलहाल की राजनीतिक समीकरणों के हिसाब से हरियाणा सरकार में दुष्यंत चौटाला का दांव उलटा पड़ता नजर आ रहा है, क्योंकि अगर बीजेपी को उनकी जरूरत नहीं पड़ी तो वैसे भी उन्हें विपक्ष में बैठना पड़ेगा और अगर वो बीजेपी के साथ सरकार में शामिल होते हैं, तो उन्हें मनचाहा पद तो मिलने से रहेगा।

यह भी पढ़ें- बीजेपी को समर्थन देने के सवाल पर क्या बोले JJP के अध्यक्ष दुष्यंत चौटाला?

ये रहे उन विधायकों के नाम जो बीजेपी को समर्थन दे सकते हैं-

पृथला से जीते निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत

पृथला से जीते निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत

फरीदाबाद की पृथला सीट से निर्दलीय नयन पाल रावत ने 16429 वोटों से जीत हासिल की है. 2014 में नयन पाल रावत ने बीजेपी के टिकट पर किस्मत आजमाई थी और दूसरे नंबर पर रहे थे. इस बार के चुनाव में बीजेपी ने उन्हें टिकट न देकर बसपा से आए टेकचंद शर्मा को दिया था। ऐसे में नयन पाल रावत ने निर्दलीय उतरकर जीत दर्ज की है।

दादरी विधानसभा सीट से निर्दलीय जीते सोमबीर सांगवान

दादरी विधानसभा सीट से निर्दलीय जीते सोमबीर सांगवान

दादरी विधानसभा सीट से निर्दलीय सोमबीर सांगवान ने 14080 वोटों ने जीत दर्ज की है। सोमबीर सांगवान बीजेपी द्वारा टिकट न दिए जाने से नाराज होकर निर्दलीय मैदान में उतरकर विधायक बने हैं। 2014 में सोमबीर बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़े थे, लेकिन इस चुनाव में बीजेपी ने सोमबीर सांगवान की जगह बबीता फोगाट को उतारा था जो तीसरे नंबर पर रहीं।

महम विधानसभा सीट से निर्दलीय जीते बलराज कुंडू

महम विधानसभा सीट से निर्दलीय जीते बलराज कुंडू

महम विधानसभा सीट से निर्दलीय बलराज कुंडू ने जीत दर्ज की है। बलराज कुंडू भी टिकट न मिलने के चलते बगावत कर निर्दलीय मैदान में उतरे थे। बीजेपी ने कुंडू की जगह महम सीट से शमशेर खरकड़ा को टिकट दिया था, लेकिन शमशेर खरकड़ा को बलराज कुंडू ने साबित कर दिया की उनकी उम्मीदवारी बेहतर थी।

पुंडरी विधानसभा से निर्दलीय लड़कर जीते रणधीर सिंह गोलन

पुंडरी विधानसभा से निर्दलीय लड़कर जीते रणधीर सिंह गोलन

पुंडरी विधानसभा सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी रणधीर सिंह गोलन ने जीत दर्ज की है। गोलन ने भी बीजेपी की ओर से टिकट न मिलने से नाराज होकर बागी रुख अपनाया था जबकि 2014 में पुंडरी सीट से गोलन बीजेपी के प्रत्याशी थे। इसके बावजूद बीजेपी ने उन्हें प्रत्याशी नहीं बनाया था. हालांकि महम सीट पर अभी तक 6 बार निर्दलीय जीतने में सफल रहे थे।

बादशाहपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय लड़े राकेश दौलताबाद

बादशाहपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय लड़े राकेश दौलताबाद

बादशाहपुर विधानसभा सीट पर निर्दलीय राकेश दौलताबाद ने जीत दर्ज की है। वो इस सीट पर दूसरी बार निर्दलीय मैदान में उतरे थे। ऐसे ही रानिया विधानसभा सीट पर निर्दलीय रंजीत सिंह ने जीत दर्ज की है। रंजीत सिंह कांग्रेस से बगावत कर मैदान में उतरे थे। 2009 से रंजीत सिंह इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ते रहे हैं।

सिरसा विधानसभा सीट से विजयी रहे गोपाल कांडा

सिरसा विधानसभा सीट से विजयी रहे गोपाल कांडा

सिरसा विधानसभा सीट पर गोपाल कांडा अपनी हरियाणा लोकहित पार्टी विजयी रहे। गोपाल कांडा कभी कांग्रेस के दिग्गज नेता हुआ करते थे और हुड्डा सरकार में कैबिनेट मंत्री थे, लेकिन विवादों में नाम आने के चलते कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था। गोपाल कांडा का दावा है कि उनके साथ 6 विधायक हैं, जो बीजेपी को समर्थन देने को तैयार हैं। निर्दलीय विधायक रंजीत सिंह चौटाला के साथ गोपाल कांडा चार्टेड प्लेन से दिल्ली कूच कर चुके हैं।

रानिया विधानसभा सीट से निर्दलीय लड़े और जीते रंजीत सिंह चौटाला

रानिया विधानसभा सीट से निर्दलीय लड़े और जीते रंजीत सिंह चौटाला

रानिया विधानसभा सीट पर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के भाई रंजीत सिंह ने जीत दर्ज की थी, जो रानिया विधानसभा सीट से निर्दलीय मैदान उतरे थे और उन्होंने मैदान मार लिया है। जीत दर्ज करने के बाद हरियाणा में हंग असेंबली होने के बाद रंजीत सिंह चौटाला ने भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव डॉक्टर अनिल जैन से मुलाकात की और मुलाकात के बाद उन्होंने भाजपा को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है और अभी दिल्ली कूच कर चुके हैं।

Comments
English summary
Haryana assembly election 2019 result went soar for each party whether it congress or BJP while newly launched JJP party gained and become King maker in this election but JJP chief Dushyant Chautala's political inexperience failed to get mileage due to their over ambition.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X