लापरवाही की ताक में बैठा है वायरस, कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करना न छोडें: डॉ. राजीबदास
नई दिल्ली, जून 15: बीते डेढ़ साल से देश कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहा है। जनवरी महीने में वैक्सीन के रूप से एक कारगर हथियार भी लांच कर दिया गया, इसके साथ ही आयुष विभाग की दो दवाओं को भी कोविड संक्रमण के इलाज में सफल पाया गया है। एक तरीके से बीते साल की अपेक्षा इस साल हम कोविड के खिलाफ अधिक तैयारी के साथ मैदान में है। लेकिन कोरोना के ग्राफ या कोविड मीटर के पैटर्न को देखे तो पाएगें कि अधिकतर मोर्चो पर विफल वायरस मौका पड़ते ही हमारी लापरवाही का फायदा उठाता है, जिससे हम सामूहिक रूप से संक्रमण की चेन तोड़ने में नाकाम हो जाते हैं।
अब जबकि समस्या की जड़ को पहचाना जा चुका है तब भी हम उस पर ध्यान न देकर अपनी गलतियों को न सुधारे तो यह एक बड़ा ही गैर जिम्मेदाराना व्यवहार होगा। एक बड़े समुदाय द्वारा कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन न करना वायरस को अपनी पैंठ जमाने का मौका देता है। विशेषज्ञ भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि वायरस बहरूपिया है और चालाक भी, ऐसे में हमें उससे लड़ने के लिए दोगुना सतर्क रहना होगा। इसी साल मार्च महीने के पहले हफ्ते में नये वेरिएंट के कुछ मामले महाराष्ट्र में देखे गए और एक दो महीने में इसने पूरे देश को चपेट में ले लिया।
म्यूटेंट वैरिएंट इतना शातिर निकला कि आरटीपीसीआर की जगह सीटी की जरूरत पड़ने लगी। डेढ़ साल के लंबे समय में हमें वायरस के व्यवहार को समझने का पूरा मौका दिया है, जिसका तोड़ वैक्सीन और कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करने के अतिरिक्त और कुछ नहीं। यदि एक बड़ी आबादी टीका लगवा लेगी और कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करेगी तो वायरस को संक्रमित करने के लिए लोग ही नहीं मिलेगी। ऐसे में हम वायरस का अस्तित्व खत्म करने के लिए अधिक सटीक वार कर सकते हैं।
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बड़े बुजुर्गो ने कहा कि बीमारी को अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए, यह दोबारा हमला करती है तो अधिक ताकतवर होकर हमला करती है। ध्यान रहे जिस तरह हम कोरोना को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं उसी तरह वायरस भी अपना अस्तित्व बचाए रखने का प्रयास कर रहा है, इसलिए हर बार नये वेरिएंट के साथ हमला कर रहा है। यदि उसे संक्रमण के लिए लोग मिलते जाएं तो निश्चित रूप से वायरस के और नये वेरिएंट के सामने आने से इंकार नहीं किया जा सकता। मानव शरीर उसे अपनी संख्या को बदलने या डीएनए में परिवर्तन करने का अनुकूल वातावरण देता है, फिर ऐसे वायरस को बढ़ने के लिए अपना शरीर क्यों दे? स्वास्थ्य सेवाओं के संसाधन चार गुना भी बढ़ा दिए जाएं, तब भी हमें कोविड अनुरूप व्यवहार ही संक्रमण से बचाएगा। इधर कुछ दिनों से लोग जागरूक हुए है, सैनिटाइजर और मास्क का प्रयोग कर रहे हैं, लेकिन कोरोना के केस में कमी आते ही व्यवहार में लापरवाही आ जाती है। इसे रोकना होगा, वायरस हमारी इसी लापरवाही की ताक में बैठा है, और हमें उसके हर मंसूबे फेल करना हैं।