Climate change:देश के इन सभी तटीय शहरों पर भयानक संकट, 3 फीट तक समंदर में डूबने का खतरा
नई दिल्ली, 10 अगस्त: संयुक्त राष्ट्र के एक पैनल ने जलवायु परिवर्तन को लेकर बहुत भयानक रिपोर्ट दी है। यूनाइटेड नेशंस इंटर-गवर्नमेंटर पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) ने सोमवार को जो अनुमान जारी किया है, उसके मुताबिक अगले दो दशकों में किसी भी परिस्थिति में वैश्विक तापमान में 1.5 डिग्री तक इजाफे की बात कही गई है। यूएन ने इस रिपोर्ट के को मानवता के लिए खतरा बताया है। इस रिपोर्ट के आधार पर कई सारे अनुमान लगाए गए हैं, जिसमें भारत के तटीय शहरों के लिए सख्त चेतावनी छिपी हुई है। नासा की रिपोर्ट का अनुमान है कि इस सदी के आखिर तक भारत के कई तटीय शहर 3 फीट तक समंदर में समा जाएंगा। एक और रिपोर्ट ने तो अगले 30 साल में ही खतरे की घंटी बजा दी है।
यूएन रिपोर्ट में भारत के लिए खतरे की घंटी
यूनाइटेड नेशंस इंटर-गवर्नमेंटर पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की रिपोर्ट में शहरों के आधर में विस्तृत जानकारी तो नहीं दी गई है, लेकिन अनुमान जताया गया है कि जलवायु परिवर्तन के चलते हिंद महासागर में समुद्र के पानी का स्तर सालाना 3.7 मिली मीटर के रफ्तार से बढ़ेगा, जिसके चलते भारत के 7,517 किलोमीटर तटीय इलाकों के निचले इलाकों में समंदर का पानूी आ जाएगा, जिसमें मुंबई, चेन्नई, कोच्चि, कोलकाता, सूरत और विशाखापट्टन में जैसे बड़े शहर भी शामिल हैं। इसी रिपोर्ट के आधार पर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक सी लेवल प्रोजेक्शन टूल तैयार किया है, जिसका सूक्ष्म विश्लेषण भारत के लिए बहुत ही ज्यादा चौंकाने वाला है।
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भारत के 12 तटीय शहर 3 फीट तक समंदर में समा जाएंगे-नासा
नासा के टूल के आधार पर इस सदी के अंत तक यानी आने वाले 79 वर्षों में देश के 12 बड़े तटीय शहरों के आधा फीट से लेकर पौने 3 फीट तक समुद्री पानी में समाने का अनुमान है। गौरतलब है कि यूएन पैनल की रिपोर्ट में गर्मी में अत्यधिक इजाफे की वजह से तापमान बढ़ने और उसके चलते ग्लेशियर पिघलने की आशंका जताई गई है, जिसके चलते समुद्र का जलस्तर लगातार बढ़ेगा और तटीय इलाकों में तबाही मचनी शुरू हो जाएगी। नासा ने पहली बार पूरे विश्व में समुद्र जलस्तर नापने के लिए यह टूल बनाया है, जिसके आधार पर तैयार नक्शे में भारतीय शहरों की संभावित स्थिति को भी दिखाया गया है।
गुजरात के भावनगर को सबसे ज्यादा खतरा
नासा के टूल के आधार पर तैयार नक्शे के मुताबिक वर्ष 2100 तक देश के जिन शहरों में समुद्री जल भर जाने का अनुमान है, उनमें सबसे ज्यादा खराब स्थिति गुजरात के भावनगर की हो सकती है, जो 2.69 फीट तक समुद्र में समा सकता है। इसी तरह केरल के कोच्चि में 2.32 फीट, ओखा में 1.96 फीट, तूतीकोरीन में 1.93 फीट, ओडिशा के पारादीप में 1.93 फीट समुद्र का पानी भर सकता है। यह स्थिति देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की भी हो सकती है, जहां 1.90 फीट तक समुद्र का पानी शहर में घुस सकता है। ऐसे ही मैंगलोर में 1.87 फीट, चेन्नई में 1.87 फीट और आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टन में 1.77 फीट तक पानी शहर में आ सकता है। (नक्शा सौजन्य: नासा ट्विटर)
मुंबई और महाराष्ट्र में क्या होगा ?
इसी तरह क्लाइमेट सेंट्रल ने भी एक कोस्टल रिस्क स्क्रीनिंग टूल तैयार किया है, जिसने 2050 तक के लिए ग्लोबल वॉर्मिंग के परिणाम का अनुमान जाहिर किया है। इस टूल के आधार पर बताई गई संभावनाओं के हिसाब से भी भारत के तटीय इलाके के लिए अच्छे अनुमान नहीं हैं। इस अनुमान के मुताबिक जलवायु परिवर्तन का महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्रों में बहुत ज्यादा खराब प्रभाव पड़ सकता है। इसमें अकेले मुंबई के ही 65 फीसदी हिस्से पानी में डुबने की बात कही गई है। इस अनुमान के मुताबिक सिर्फ कोलाबा और दादर जैसे इलाके ही नहीं, बल्कि बांद्रा और मीरा-भायंदर, वसई, विरार और नालासोपारा जैसे उपनगरीय इलाके में भी समुद्र का पानी घुस सकता है। इसके अलावा मुरुंड, अलीबाग जैसे तटीय क्षेत्र भी समंदर में समा सकते हैं।
गोवा और गुजरात के शहरों का हाल ?
नासा ने गुजरात के भावनगर को सबसे ज्यादा जोखिम वाला शहर तो बताया ही है, दूसरे टूल के मुताबिक भी प्रदेश के सूरत, भरूच, भुज, कच्छ और गांधी धाम जैसे पश्चिम क्षेत्र समुद्र का जलस्तर बढ़ने से सबसे ज्यादा प्रभावित है सकते हैं। वहीं 2050 तक गोवा के लिए भी अच्छी भविष्यवाणी नहीं है। अपने सी बीच के लिए मशहूर यह राज्य भी समंदर के जलस्तर बढ़ने की मार झेलेगा, ऐसा अनुमान जाहिर किया गया है।
केरल और कर्नाटक पर भी संकट
कर्नाटक के जिन शहरों के समंदर के जल में समाने का जोखिम है, उनमें कवार, गोकर्ण, कुमता के अलावा उडुपी, थेक्कल थोडा, मट्टू बीच जैसे इलाके शामिल हैं। यही नहीं मैंगलोर के पास के मारावूर डैम, न्यू मैंगलोर पोर्ट, कोडाईकनाल और कोडी भी इसकी वजह से प्रभावित हो सकते हैं। केरल में कन्नूर के आसपास के इलाके जैसे कि एझिकोड, मुंदेरी, एझोम के समंदर के जल में समाने का खतरा है। इसी तरह दक्षिण केरल में एरिमबट,थेक्कुमकारा, पेरामंगलम और एर्नाकुलम को भी बढ़े हुए समुद्र जलस्तर की मार झेलनी पड़ सकती है। केरल के जो इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं उनमें अलाप्पुझा, कोट्टयम, एमबी पूजा और कोच्चि के पास हरिपद शामिल हैं।
इन शहरों पर भी मंडरा रहा है समंदर में समाने का खतरा
इस रिपोर्ट के मुताबिक तमिलनाडु के तटीय इलाकों पर तो बुरा असर पड़ेगा ही राजधानी चेन्नई का 45 फीसदी हिस्सा बहुत ज्यादा प्रभावित होने की आशंका है। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा और विशाखापट्टनमम जैसे महत्वपूर्ण शहर भी 2050 तक इसकी चपेट में आ सकते हैं। ओडिशा के तटीय शहरों जैसे कि ब्रह्मपुर, गोपालपुर ऑन सी, छतरपुर, चिलका झील के आसपास के इलाके में भी समंदर का पानी समा सकता है। इनके अलावा भितरकनिका नेशनल पार्क, पारादीप और केंद्रपारा जैसे शहरों के भी समंदर में समाने का खतरा है।
पश्चिम बंगाल तक है समुद्र के जलस्तर बढ़ने का जोखिम
पश्चिम बंगाल के जो इलाके ग्लोबल वॉर्मिंग की सबसे ज्यादा मार झेल सकते हैं, उनमें राजधानी कोलकाता महत्वपूर्ण रूप से शामिल है। हावड़ा समेत इसके कई शहरी इलाके समंदर में समा सकते हैं। वहीं कोलकाता के बाहर ओडिशा से सटे दीघा, कोंटाई, तामलुक और जयनगर जैसे शहरों में समंदर का पानी घुस सकता है।