चीन और पाकिस्तान ने बनाई बड़ी योजना, इस मकसद से 'मीडिया हाउस' लॉन्च करने की तैयारी
नई दिल्ली, 7 जून: पाकिस्तान और चीन मिलकर एक टेलीविजन चैनल और मीडिया हाउस लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं। इसका मकसद 'सूचना पर दबदबा' हासिल करना बताया जा रहा है, जिसके जरिए ये दोनों देश पश्चिमी देशों की मीडिया के बदले एक विकल्प दे सकते हैं। इस मामले की जानकारी रखने वाले ने नाम नहीं जाहिर होने देने की शर्त पर कहा है कि ये दोनों देश कतर के अल-जजीरा और रूस के आरटी नेटवर्क की तर्ज पर एक मीडिया संगठन खड़ा करना चाहते हैं। इसके लिए वह अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पत्रकारों को जुटाना चाहते हैं। जाहिर है कि इसकी फंडिंग चीन करने वाला है। यह जानकारी भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के हाथ लगी है।
चीन और पाकिस्तान की न्यूज चैनल लॉन्च करने की तैयारी
हिंदुस्तान टाइम्स की एक खबर के मुताबिक भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को ऐसी जानकारी मिली है कि इस वक्त मीडिया हाउस शुरू करने की सोच के पीछे चीन का दिमाग है और उसके पास इसके लिए पैसे भी हैं। जबकि, पाकिस्तान के लिए उसकी अंदरूनी हालातों में इस तरह का संगठन एक बेहतर मौका हो सकता है। जानकारी के मुताबिक दोनों देश महसूस कर रहे हैं कि उन्हें अल-जजीरा और आरटी के दर्जे का मीडिया हाउस शुरू करना चाहिए। जानकारी देने वाले व्यक्ति के मुताबिक '(अपने) नरेटिव को आगे बढ़ाने के लिए' इसकी आवश्यकता है और ऐसा संगठन पाकिस्तान में स्थापित किया जा सकता है, जिसका खर्च चीन उठाएगा, लेकिन मकसद दोनों के साधे जाएंगे। गौरतलब है कि यह कोशिश दो साल पहले पाकिस्तान की ओर से तुर्की और मलेशिया के साथ मिलकर एक अंग्रेजी चैनल लॉन्च करने की कोशिशों नाकाम होने के बाद शुरू की गई हैं। उस चैनल का मकसद इस्लाम को सही तरीके से पेश करने और इस्लामोफोबिया की चुनौतियों का सामना करना था। पाकिस्तानी पीएम इमरान खान ने उस प्रोजेक्ट में काफी दिलचस्पी ली थी और तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन और मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद से इस सिलसिले में बात भी कर चुके थे। लेकिन, शायद दोनों देशों ने ज्यादा दिलचस्पी नहीं ली तो इमरान का मनसूबा धरा का धरा रह गया।
चीन और पाकिस्तान अपनी छवि सुधारना चाहते हैं
ताजा मामलों की जानकारी रखने वाले लोगों ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ओर से 31 मई को कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो की बैठक की उस टिप्पणी का भी जिक्र किया है, जिसमें दुनिया के सामने उन्होंने अब चीन की 'भरोसेमंद, प्यारा और सम्मानित' छवि पेश करने पर जोर दिया है। चीन के रवैए में यह बहुत बड़े बदलाव का संकेत बताया जा रहा है कि वह अपने 'भेड़िया योद्धा' वाली कूटनीति से पीछे हटने की कोशिश करने लगा है। नई योजना को लेकर चीन और पाकिस्तान के बीच पक रही खिचड़ी की जानकारी रखने वाले एक शख्स ने कहा है, 'मीडिया हाउस बनाने के मौजूदा प्रोजेक्ट का लक्ष्य पाकिस्तान की कथित अच्छी छवि पेश करना है। हालांकि, दस्तावेज में कंटेट को लेकर सीधे चीन की ओर से कोई इशारा नहीं है, लेकिन यह बहुत बड़ा सबूत है कि वह इसका खर्चा उठा रहा है तो इसका मतलब वह इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल अपनी छवि सुधारने के लिए करना चाहता है।'
प्रोपेगेंडा युद्ध की तैयारी!
सुरक्षा एजेंसियों के हाथ जो दस्तावेज लगे हैं, उससे पता चलता है कि चीन पश्चिमी देशों को टेक्नोलॉजी और इकोनॉमी में तो टक्कर दे रहा है, लेकिन 'सूचना के दबदबे' में पिछड़ जाता है। इस दस्तावेज के मुताबिक सोशल मीडिया के जमाने में 'असली जंग जीतने से ज्यादा जरूरी है नरेटिव की लड़ाई जीतना' और टेक्नोलॉजी और इकोनॉमी का प्रभुत्व तबतक महसूस नहीं किया जा सकता ,जबतक कि सूचना के क्षेत्र में दबदबा कायम न हो जाए। चीन और पाकिस्तान मिलकर जो न्यूज चैनल लॉन्च करने की सोच रहे हैं, उसकी कोशिश 'विरोधी नरेटिव के लिए जवाबी या वैकल्पिक नरेटिव तैयार करने की क्षमता' विकसित करने की है।