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अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे, पैंगोंग लेक के नजदीक भारतीय सैनिकों के एक्शन से छटपटा रहा है चीन

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नई दिल्ली- पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग लेक इलाके में भारतीय सेना के ऐक्शन पर चीन से जिस तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, उससे जाहिर होता है कि चीन के पैर के नीचे से जमीन खिसक चुकी है। उसे अंदाजा हो चुका है कि वह भारत के इलाके में अतिक्रमण की कोशिश करेगा तो उसे मुंहतोड़ जवाब मिलेगा। यही वजह है कि चीन की मीडिया, वहां की कम्यनिस्ट पार्टी की सरकार अलग-अलग तरीके से इसपर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कोई उलटे भारत पर अतिक्रमण का आरोप लगा रहा है तो कोई ये दावा कर रहा है कि चीन ने तो कभी भी दूसरे देश की जमीन पर लालच की ही नहीं। पूरा का पूरा तिब्बत आज भी चीन के कब्जे में है और वह यह साबित करने की कोशिश कर रहा है कि चीन तो क्षेत्र में सिर्फ शांति चाहता है। इन सबके बीच चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता की ओर से जो आधिकारिक बयान आया है, उससे लगता है कि ड्रैगन को पहली बार बाघ से तगड़ी चुनौती मिल रही है।

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अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे

अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे

पैंगोंग लेक के पास 29 अगस्त की रात पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी को भारतीय सैनिकों ने जिस तरह से खदेड़ा, उसका शायद चीन ने कभी अंदाजा भी नहीं लगाया होगा। चीन हर बार चोरी-छिपे भारतीय इलाकों में अतिक्रमण करता आया है। 1962 से लगातार उसकी यही मोडस ऑपरेंडी रही है। 15-16 जून को गलवान घाटी में भी उसने यही किया था। दिन में हुई बातचीत के मुताबिक रात के वक्त मौके का मुआयना करने गए कर्नल संतोष बाबू और उनकी जांबाज टीम पर घात लगाकर धोखे से हमला कर दिया था। लेकिन, पीएलए की बार-बार के दुस्साहस से सबक सीख चुकी भारतीय सेना ने 29-30 अगस्त को उसकी ये चालबाजी पहले से तैयार होने की वजह से पूरी तरह नाकाम कर दी। यही नहीं उसने उन सामरिक ठिकानों पर पोजिशिन ले लिया, जिससे चीन की स्थिति उस इलाके में थोड़ी कमजोर हुई है। चीन इसी पर बिलबिला गया है और उसने भारतीय सेना के खिलाफ अपनी भड़ास निकालनी शुरू कर दी है।

शिकायती अंदाज में बिलबिला रहा है चीन

शिकायती अंदाज में बिलबिला रहा है चीन

चोरी और सीनाजोरी वाले अंदाज में भारत में चीनी दूतावास के प्रवक्ता काउंसलर जी रोंग ने आरोप लगाया है कि 'भारत के कदम से चीन की संप्रभुता का उल्लंघन हुआ है। भारतीय सेना ने पैंगोंग लेक के दक्षिणी किनारे पर एलएसी को गैरकानूनी तरीके से पार किया है। पिछले दिनों विभिन्न स्तरों पर जो भी द्विपक्षीय बातचीत हुई है उसे तबाह कर दिया है और सीमा पर खुलेआम तनाव को बढ़ाने का काम हुआ है।' जब भारतीय सेना ने चीन को बार-बार दुनिया में बेनकाब किया है तो उसे महत्वपूर्ण आपसी सहमति और समझौतों की भी यादें आने लगी हैं। उलटे चीन ने भारत पर ही तनाव कम करने के प्रयासों को खत्म करने के आरोप लगाने शुरू कर दिए हैं। उसने हद तो ये कर दी है कि भारत को ही नसीहत देने लगा है कि वह अपने फ्रंटलाइन सैनिकों को नियंत्रण में रखे और दोनों देशों के बीच हुए 'वादों को निभाए', 'उकसावे वाली कार्रवाई रोके और कथित 'गैरकानूनी' रूप से भारतीय सेना ने जो 'सीमा लांघी है' उससे तुरंत पीछे हटे।'

झूठ पर झूठ बोल रहा है चीन

झूठ पर झूठ बोल रहा है चीन

चीन एक ओर भड़ास निकाल रहा है तो दूसरी ओर गलवान घाटी में झांकी देखने के बाद पैंगोंग त्सो इलाके में भारतीय सैनिकों के सख्त तेवर देखने के बाद उसके सुर बदले-बदले भी नजर आ रहे हैं। चीनी दूतावास के प्रवक्ता के बाद चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयींग का बयान आया है, जिसमें उन्होंने कहा है, 'मैं समझती हूं कि दोनों तरफ तथ्यों पर टिके रहना चाहिए और द्विपक्षीय संबंधों में सद्भाव और सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। ' उन्होंने एक और दिलचस्प बात कही है और वो ये कि, 'चीन ने कभी भी किसी युद्ध या संघर्ष को नहीं उकसाया है और ना ही कभी भी किसी दूसरे देश के इलाके की एक इंच पर भी कब्जा किया है। सीमा पर तैनात चीन के सैनिकों ने कभी भी लाइन को पार नहीं किया है। शायद कुछ संवाद के मुद्दे हैं। '

सैन्य स्तरीय बातचीत के आधार पर अमल के लिए मजबूर हो सकता है चीन

सैन्य स्तरीय बातचीत के आधार पर अमल के लिए मजबूर हो सकता है चीन

खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे वाले अंदाज में चीन सरकार और कम्युनिस्ट पार्टी और चाइना के मुखपत्र जो दावे कर रहे हैं, असल में यह उनकी छटपटाहट का नतीजा है। पैंगोंग झील के दक्षिण हिस्से में एलएसी के जिस भारतीय हिस्से को भारतीय सैनिकों ने अबतक खाली छोड़ रखा था, उसी पर चीनी सैनिकों ने इसबार अपनी गंदी नजर लगाई थी। लेकिन, भारतीय सैनिकों ने वहां की सामिरक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण चोटियों पर अपने सैनिकों को तैनात कर पीएलए की हरकत पर निगरानी शुरू कर दी है। चीन को पता चुका है कि 29 अगस्त वाली गलती उसपर बहुत भारी पड़ चुकी है। जबकि, सच्चाई ये है कि चीन बातचीत का दिखावा तो करता है, लेकिन जमीन पर उसकी गतिविधियां लगभग जस की तस बनी हुई हैं। भारतीय सेना ने साफ कर दिया है कि वह बातचीत के जरिए शांति तो चाहती है, लेकिन अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए भी वह उतनी ही प्रतिबद्ध है। जानकारी के मुताबिक पिछले तीन महीनों से सैन्य स्तर की बातचीत पैंगोंग त्सो इलाके के फिंगर एरिया में चीन के कब्जे वाले क्षेत्रों पर ही केंद्रित रही है, लेकिन जमीन पर कोई प्रगति नहीं हुई है। पीएलए ने अपनी सैनिकों की मौजूदी थोड़ी कम की है, लेकिन उसने इलाके को वादे के मुताबिक पूरी तरह खाली नहीं किया है। इस तरह कुछ और इलाकें हैं, जहां पीएलए की हरकतें जारी हैं। लेकिन, शायद लगता है कि पैंगोंग की घटना के बाद चीन को भी यह पता चल चुका है कि उसने अब जल्द से जल्द द्वपक्षीय बातचीत के आधार पर एलएसी के पास मई-जून से पहले वाली यथास्थिति बहाल नहीं की तो उसे उसकी कीमत चुकाती रहनी पड़ेगी।

इसे भी पढ़ें- लद्दाख का Black Top क्यों है महत्वपूर्ण, जिसपर कब्जे की PLA की कोशिश को आर्मी ने किया नाकाम

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English summary
China is shake up on the action of Indian soldiers near Pangong Lake
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