Children's Day Speech in Hindi: बाल दिवस के मौके पर ऐसे तैयार करें प्रभावशाली भाषण/स्पीच
बाल दिवस के मौके पर ऐसे तैयार करें प्रभावशाली भाषण/स्पीच
बेंगलुरु। 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में पंडित जवाहर लाल नेहरु का जन्म हुआ था। नेहरु जी का बच्चों से बड़ा स्नेह था और वे बच्चों को देश का भावी निर्माता मानते थे। बच्चों के प्रति उनके इस स्नेह भाव के कारण बच्चे भी उन्हें चाचा नेहरु कहकर पुकारते थे। यही कारण है कि 1964 में चाचा नेहरु की मृत्यु के बाद से उनके जन्मदिन को बाल दिवस Children's Day के रुप में मनाया जाता है। यह दिवस हम बच्चों के शिक्षा के अधिकार के विषय में लोगों को जागरूक करने के लिए मनाते हैं।
इस दिन को राष्ट्रीय तौर स्तर पर सभी स्कूलों और कॉलेजों में कई प्रकार के आयोजन और सांस्कृतिक प्रोग्राम भी होते हैं। यह सभी प्रोग्राम खासकर शिक्षकों द्वारा अपने छात्रों के लिए आयोजित किया जाता है। ऐसे समारोह में आप भी भाग लेने जा रहे हैं तो आपको एक प्रभावशाली भाषण अवश्य तैयार कर लेना चाहिए। बाल दिवस पर स्पीच/भाषण के लिए आप इस तरीके से भाषण तैयार करके समारोह में श्रोताओं की खूब तालियां बटोर सकते हैं।
भाषण 1
माननीय
प्रधानाचार्य
महोदय,
अध्यापकगण,
और
मेरे
प्यारे
मित्रों,
आप
सभी
को
सुप्रभात
यह
हम
सभी
के
लिए
बहुत
ही
ख़ुशी
की
बात
है
की
आज
हम
सब
आज
बाल
दिवस
के
अवसर
पर
यहाँ
एकत्र
हुए
हैं।
इस
शुभ
अवसर
पर
बाल
दिवस
के
विषय
में
अपने
कुछ
विचार
आप
सबके
साथ
व्यक्त
करना
चाहता
हूँ।
बच्चे
इस
समाज
और
घर
की
खुशियाँ
हैं
और
साथ
ही
वे
देश
का
भविष्य
हैं।
14नवम्बर को देश के प्रथम प्रधानमंत्री, महान स्वतंत्रता सेनानी, पंडित जवाहरलाल नेहरु के जन्म दिवस को बाल दिवस के रुप में मनाते हैं। वे एक राजनीतिक नेता थे जो बच्चों के साथ बहुत समय बिताते थे और बच्चों के भी प्यारे थे। बाल दिवस पर बच्चे ढेर सारी खुशियाँ मनाते हैं। यह दिन हमको बच्चों के प्रति हमारे प्रण को याद दिलाता है जो हमने बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य, शिक्षा और अच्छे जीवन के लिए लिया था।
हमें बच्चों के महत्व को उनके माता-पिता, शिक्षक, और जीवन के अन्य सभी लोगों के साथ भागीदारी को नज़रंदाज़ नहीं करना चाहिए। बच्चों के बिना दुनिया बहुत ही बोरिंग होगी। बच्चे संसार की बगिया के सुंदर-सुंदर फूल हैं।
बच्चों का दिल बहुत ही साफ़ होता है उनके हर बात में सच्चाई छलकती है।
बाल दिवस प्रतिवर्ष बच्चों को सम्मान और शुक्रिया देने के लिए मनाया जाता है। यह उत्सव अन्य देशों में अलग-अलग तारीखों में मनाया जाता है। इसलिए हमें आज यह संकल्प लेना चाहिए कि बच्चे जो देश का भविष्य हैं उनकी हर जरुरतों को पूरा करते हुए, उन्हें देश का एक जिम्मेदार नागरिक बनाएंगे।
धन्यवाद,
भाषण 2
आदरणीय
प्रधानाचार्य,
टीचर्स,
स्टूडेन्ट्स
एवं
समारोह
में
आए
हुए
सभी
मेहमानों
को
मेरा
विनम्र
नमस्कार।
आज हम सभी यहाँ "बाल दिवस" मनाने के लिए उपस्थित हुए है। इस अवसर पर मैं अपने विचार प्रस्तुत करना चाहता हूँ। 14 नवंबर 1889 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर में को पंडित जवाहर लाल नेहरु का जन्म हुआ था। उनके जन्मदिन को बाल दिवस Children's Day के रुप में मनाया जाता है। बच्चे मजबूत राष्ट्र के लिए निर्माण ब्लाक के जैसे काम आते हैं।
बच्चे होते तो छोटे हैं पर उनमें ही देश को सकारात्मक तरीके से आगे ले जाने की क्षमता होती है। बाल दिवस के कारण हमें बच्चों के सही अधिकारों के विषय में पता चलता है और पता चलता है कि उन्हें सही सुविधाएँ मिल रही हैं या नहीं।
बच्चे ही देश का भविष्य हैं इसलिए उनको सम्मान, सही देखभाल, माता पिता से सुरक्षा मिलना चाहिए। आज हम आपको बच्चों के कुछ अधिकारों के विषय में बताने जा रहे हैं।
बच्चों को उनके माता-पिता से सही देखभाल और प्यार मिलना चाहिए। बच्चों को स्वस्थ और पोषक खाना, साफ़-सुथरे कपडे, और सुरक्षा मिलना चाहिए। बच्चों को स्वस्थ खुले मन से रहने का वातावरण मिलना चाहिए तथा मनोरंजन की सुविधा भी मिलनी चाहिए। बच्चों को पूर्ण रूप से शिक्षा मिलनी चाहिए।
अपाहिज और बीमार बच्चों को अच्छा देखभाल मिलना चाहिए। चलिए हम सब हाथ से हाथ मिला कर कसम खाएं कि हम अपने देश के भविष्य के नेताओं का अच्छा देखभाल और उनका सम्मान करेंगे जिससे की हम एक सुन्दर देश का निर्माण कर सकें।
धन्यवाद,
भाषण 3
आदरणीय
श्रोतागण
सुप्रभात,
आज
हम
सभी
यहां
पर
बाल
दिवस
के
उपलक्ष्य
पर
इकठ्ठे
हुए
हैं।
आदरणीय
श्रोताओं,
यह
दिवस,
राष्ट्रीय
स्तर
पर
मनाया
जाता
है।
मूल
रूप
से
यह
भारत
के
प्रथम
प्रधानमंत्री,
पंडित
जवाहर
लाल
नेहरू
का
जन्मदिवस
है,और
पंडित
नेहरू
का
बच्चों
के
प्रति
अपार
प्रेम
होने
के
कारण
इस
दिन
को
बाल
दिवस
के
रूप
में
मनाया
जाता
है।
पंडित नेहरू, भारत की आजादी में योगदान देने वाले दिग्गज नेताओं में से एक थे। वे भारत के पहले प्रधानमंत्री होने के साथ साथ, एक अच्छे प्रवक्ता और एक अच्छे वकील भी थे। पंडित नेहरू ने हमेशा से ही बच्चों के प्रति अपार प्रेम को दर्शाया था। पंडित नेहरू कहते थे कि बच्चों का हृदय सीधा भगवान के हृदय से जुड़ा होता है और उनका मन अत्यधिक निर्मल और पवित्र होता है।
ऐसा माना जाता है कि बच्चे राष्ट्र का भविष्य होते हैं। यह बात शत प्रतिशत सत्य है। दरअसल बच्चे किसी भी राष्ट्र का भविष्य होने के साथ ही उस राष्ट्र की धरोहर होते हैं। मेरे इस कथन को एक उदाहरण के माध्यम से समझा जा सकता है।
सबसे पहले आप यह देखें कि कोई भी राष्ट्र, जो कि संसाधनों से भरपूर हो, उसे हमेशा ही, मानव संसाधन की जरूरत होती है। दोस्तों इस दुनिया में किसी भी संसाधन का प्रयोग करने के लिए मानव संसाधन की जरूरत होती है।
किसी भी देश के पास कितने भी ज्यादा संसाधन क्यूं न हो, वह देश तब तक उन संसाधनों का प्रयोग नहीं कर सकता जब तक कि उनके पास मानव संसाधन न हों। किसी भी राष्ट्र के विकास में, उसके नागरिकों का विशेष योगदान होता है।वे राष्ट्र के नागरिक ही होते हैं जो राष्ट्र के लिए, एवं राष्ट्र की ओर से कार्य करते हैं। वे बच्चे जो अभी काफी छोटे हैं, वे बड़े होकर एक व्यस्क नागरिक होंगे।
उन पर यह जिम्मेदारी होगी कि वे अपने देश के लिए कार्य करें एवं अपने देश को अपना जीवन समर्पित करे। लेकिन आदरणीय श्रोताओं, ऐसा तब ही मुमकिन हो पाएगा जब उनमें राष्ट्र प्रेम होगा और राष्ट्र प्रेम के बीज उनके बचपन से ही बोए जा सकते हैं। बच्चे किसी खाली स्लेट की तरह होते हैं।
उनके मन मस्तिष्क पर कुछ भी लिखा जा सकता है। वे उस मिट्टी की तरह होते हैं जिन्हे किसी भी रूप में परिवर्तित किया जा सकता है| बच्चों की यही गुणवत्ता उन्हे सभी वर्गों से अलग बनाती है। पंडित जवाहर लाल नेहरू बच्चों के प्रति सदा ही उदार थे।
पंडित नेहरू के इन्ही विचारों के कारण यह देखा जा सकता है कि भारत के नागरिक अमेरिका जैसे राष्ट्र में भी भारत का गौरव बढ़ा रहे हैं। आदरणीय श्रोताओं पंडित नेहरू यह चाहते थे कि हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार हो,इस कारण उन्होने अपनी पहली सरकार के दौरान कई ऐसे संस्थान शुरू किए जो भारतीय शिक्षा क्षेत्र में क्रांति साबित हुए।
पंडित नेहरू ने आईआईटी, आईटीआई जैसे संस्थानों की स्थापना की, ताकि भारत के बच्चे विश्व में भारत का गौरव बढ़ा सकें। भारत के बच्चे, भारत का भविष्य है। पंडित नेहरू एक दूरदर्शी व्यक्ति थे| वे यह जानते थे कि यदि भारत को आगे बढ़ाना है तो भारत के बच्चों को आगे बढ़ाना होगा।
धन्यवाद
भाषण 4
आदरणीय श्रोताओं,
बाल
दिवस
को
भारत
के
प्रथम
प्रधानमंत्री
जवाहर
लाल
नेहरु
के
जन्मदिवस
के
अवसर
पर
मनाया
जाता
है।
पंडित
नेहरू
जो
बच्चों
के
प्रति
इतने
उदार
नेता
थे
उनके
भारत
देश
में
वर्तमान
में
बाल
मजदूरी
अपने
चरम
पर
है।
आज
हम
यदि
बाल
मजदूरी
के
बारे
में
बात
नहीं
करें
तो
यह
बाल
दिवस
समारोह
अधूरा
होगा।
सबसे
पहले
मैं
आज
के
दिन
आप
सब
से
भी
इस
क्षेत्र
में
योगदान
चाहता
हूं।
पंडित
जवाहर
लाल
नेहरू
जी
ने
देश
के
लिए
कई
शैक्षणिक
संस्थानों
की
स्थापना
तो
की
है
लेकिन
उन
बच्चों
को
वहां
तक
पहुंचाना
हमारा
कर्तव्य
है।
हम
सभी
साक्षर
हैं
और
इस
ओर
हम
यह
कदम
उठा
सकते
हैं
कि
हम
जरूरतमंद
को
भी
साक्षर
बनाएं।
इस
क्षेत्र
में
मैं
दूसरा
योगदान
यह
चाहता
हूं
कि
आप
सब,
कहीं
भी
हो
रही
बाल
मजदूरी
के
खिलाफ
आवाज
उठाएं।
बाल
मजदूरी
को
जब
जड़
से
खत्म
कर
दिया
जाएगा
हम
तभी
पंडित
नेहरू
के
सोचे
हुए
बाल
दिवस
को
मना
पाएंगे।
हम सभी को चाहिये कि चाचा नेहरु के आदर्शो का पालन करें। उनके दिखाये मार्ग पर चले। उनकी तरह एक अच्छा नागरिक बनकर दिखायें। आज हमारे देश में कुछ प्रतिशत बच्चो की हालत ही अच्छी है जबकि देश के 39% बच्चे कुपोषण का शिकार है। गरीबी और धन के आभाव में उनको न तो उचित भोजन मिल पा रहा है ना ही स्कूल जाने का अवसर मिल पा रहा है।
उत्तर प्रदेश बालमजदूरी के मामले में सबसे आगे है। यहाँ पर 21 लाख बाल मजदूर है। पेट की आग बुझाने को वो कच्ची उम्र में काम करने को मजबूर है। उसके बाद महाराष्ट्र, बिहार का स्थान है। बच्चे छोटे मोटी दुकानों, माता-पिता के व्यवसाय में मदद, कारखानों, स्वयं का लघु व्यवसाय जैसे सामान बेचना, होटलों में वेटर, हेल्पर जैसे कामो में लगे हुए है।
आमतौर देखने में आता है कि बाल मजदूरी प्रतिबंधित होने के बावजूद होटलों और घरों में कम उम्र के बच्चे नौकर के तौर पर कार्य कर रहे हैं। सरकारी तंत्र की कड़ी कार्रवाई के बावजूद इस पर लगाम नही लग रही।
भारत के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अनुसार देश में 2001 में 5 से 14 साल की उम्र के कुल 1.5 करोड़ बच्चे बाल मजदूरी को मजबूर थे। 2011 में 43.53 लाख बच्चे बाल मजदूर थे। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्तिथि है।
हम सभी को मिलकर यह प्रण करना चाहिये की देश के बच्चो को उनका हक दिलाकर रहेंगे। उनका शोषण बंद करने में योगदान देंगे। उनको पढने के लिए स्कूल भेजेंगे। बाल मजदूरी, गरीबी, कुपोषण की समस्या को पूरी तरह से खत्म करेंगे।
यदि पंडित नेहरु के सपनों का देश बनाना है तो देश के बच्चो को उनका हक दिलाना होगा। अच्छी शिक्षा मिलने पर वो शिक्षक, इंजीनियर, वैज्ञानिक, वकील, जज, प्रशासनिक पदों पर जाकर देश का नाम रोशन करेंगे। हम सभी को "बाल दिवस" पूरे मन और उल्लास से मनाना चाहिये।
मुझे उम्मीद है कि इस विषय पर आप सभी को मेरे विचार पसंद आए होंगे। मैं आप सभी का इस समारोह में स्वागत करता हूं एवं आदरणीय प्रबंधकों से इसे आगे बढ़ाने का निवेदन करता हूं। मुझे सुनने के लिए आप सभी का धन्यवाद। मैं अपनी वाणी को यहां विराम देता हूँ|
धन्यवाद
भाषण 5
आदरणीय, प्रधानाचार्या, शिक्षकगण्न और मेरे सहपाठियों, नमस्कार
पंडित जवाहरलाल नेहरु का जन्मदिन बाल दिवस के रुप में मनाया जाता है। वो बच्चों से बहुत प्यार करते थे इसलिए हम सभी उनके जन्मदिन को "बाल दिवस" के रूप में मनाते है।
बच्चे ही देश का भविष्य होते है। आने वाले कल की बागडोर उनके ही हाथ में होती है। चाचा नेहरु बच्चो से बात करना, खेलना बहुत पसंद करते थे। प्रधानमंत्री जैसे बड़े पद पर रहते हुए भी वो बच्चों के साथ समय बिताते थे।
वो बच्चो को एक अच्छा नागरिक और देशभक्त बनाने को प्रेरित करते थे। बच्चे उनको प्यार से "चाचा नेहरु"कहते थे। उनका मानना था कि बच्चे ही देश का भविष्य है। बच्चो में सीखने की प्रवृति विकसित करनी चाहिये। घर ही बच्चो की पहली पाठशाला होती है। माता-पिता को चाहिये कि बच्चो के अंदर अच्छे संस्कार विकसित करें।
चाचा नेहरु का कहना था कि देश में लड़का-लड़की को लेकर किसी तरह का पक्षपात नही होना चाहिये। बेटा होने पर घर के लोग खुशी मनाते है जबकि बेटी के जन्म पर लोग दुखी होते है। ऐसा करना सरासर गलत है। बेटी भी उतनी अनमोल है जितना बेटा। भेदभाव करना सही नही है।
चाचा नेहरु का मानना था की यदि हमारे देश के बच्चे योग्य, शिक्षित और हुनरमंद बन जायेंगे तो देश बहुत आगे जायेगा। आज बेटियाँ देश का नाम रोशन कर रही है। सुनीता विलियम्स अमेरिकी एजेंसी नासा के जरिये अंतरिक्ष की यात्रा करने वाली दूसरी महिला बन गयी। उन्होने अंतरिक्ष में 195 दिन रहने का विश्व कीर्तिमान बनाया है।
कल्पना चावला देश की पहली अंतरिक्ष यात्री बनी। वो अंतरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ थी। खेल के क्षेत्र में आज सानिया नेहवाल, सानिया मिर्जा, पीवी सिन्दू, ज्वाला गट्टा, हिम दास जैसी बेटियाँ देश का नाम रौशन कर रही हैं।
बच्चो को भी अपना कर्तव्य निभाना चाहिये। अपने माता-पिता का सम्मान करना चाहिये। अपने शिक्षको की आज्ञा माननी चाहिये। सभी बड़ो को ये प्रण लेना चाहिये कि बच्चो को शिक्षा मिले, सही आहार मिले जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास हो सके। कोई भी बच्चा बालमजदूरी को बाध्य न हो।
आज हमारे देश में सरकार ने 1 से 14 साल तक के बच्चो की शिक्षा को अनिवार्य कर दिया है। यह निशुल्क एवं बाल शिक्षा अधिनियम 2009 के तहत किया गया है। यह प्राथमिक शिक्षा पूरी तरह से निशुल्क है। स्कूलों में बच्चो को मुफ्त किताबे, ड्रेस, जूते-मोज़े, छात्रवृति उपलब्ध कराई जा रही है जिससे कोई भी बच्चा अशिक्षित न रह जाये।
आज हमारे देश की सरकार अपने कर्तव्य के प्रति पूरी तरह से सचेत है। अब देश में बालमजदूरी पर रोक लगा दी गयी है। किसी भी दूकान, फैक्ट्री, निजी संस्था पर यदि बच्चे काम करते हुए पाये जायेंगे तो मालिक को जेल भेजा जाता है। आज हम पूरी तरह से जागरूक है की बच्चो का बचपन न छीने। उनको भी स्कूल जाने का अवसर मिले।
1956 में पहली बार "बाल दिवस" हमारे देश में मनाया गया था। इस दिन बच्चो को मिठाइयाँ, फल, टॉफी, गुब्बारे और अन्य चीजे दी जाती है। आज का दिन बच्चे बहुत उत्साह से मनाते है। पंडित जवाहरलाल नेहरु का जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था।
उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरु था। उनकी माता का नाम स्वरुपरानी था। वे उच्च शिक्षा के लिए इंगलैंड गये थे। देश की आजादी के लिए आपको कई बार जेल जाना पड़ा। पंडित नेहरु एक महान लेखक भी थे। 15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ तो उनको प्रथम प्रधानमंत्री बनाया गया था।
वो अपनी पुत्री इंदिरा गांधी से बहुत प्यार करते थे। उनको पत्र भी लिखते थे। इंदिरा गांधी को लिखे पत्रों में भारत की सांस्कृतिक धरोहर, विभिन्नता में एकता देखने को मिलती है। पंडित नेहरु को पुस्तकें पढ़ने और लिखने का बड़ा शौक था। अपने व्यस्त राजनीतिक जीवन में भी वो किताबे पढने का समय निकाल लेते थे। उन्होंने "भारत: एक खोज, मेरी कहानी जैसी पुस्तकें लिखी है।
उन्होंने 1921-22 के "असहयोग आंदोलन" और 1929 के "सविनय अवज्ञा आंदोलन" में हिस्सा लिया और जेल गये। उन्होंने सभी विदेशी वस्तुओ, कपड़ो का त्याग कर दिया था।
महात्मा गांधी से मिलने के बाद उन्होंने देश के स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रीय भूमिका निभाई और अंग्रेजो को देश से खदेड़ने को विवश कर दिया। यदि पंडित नेहरु के सपनों का देश बनाना है तो देश के बच्चो को उनका हक दिलाना होगा। मुझे उम्मीद है कि इस विषय पर आप सभी को मेरे विचार पसंद आए होंगे |
धन्यवाद
भाषण 6
आदरणीय
प्रधानाचार्य
,
शिक्षकगण
एवं
साथियों
नमस्कार,
हर साल 14 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है। क्या आप सभी जानते हैं कि बाल दिवस क्यों मनाया जाता है? यह शुभ अवसर पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती पर मनाया जाता है जो भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। जवाहरलाल नेहरू भारत की सबसे प्रमुख हस्तियों में से एक थे। उनका करिश्माई नेतृत्व के साथ एक आकर्षक व्यक्तित्व था।
पंडित जवाहरलाल नेहरू एक बहुत ही प्रशंसनीय राजनेता होने के साथ-साथ एक योग्य राजनेता भी थे। वह चाचा नेहरू के रूप में बच्चों के बीच लोकप्रिय थे। अपनी मान्यता के अनुसार, वह बच्चों को हमारे देश का भविष्य मानते थे। उन्होंने जोर देकर कहा कि बच्चों के पास निर्दोष दिल होते हैं और वे अपनी भोली मुस्कान के साथ सभी का दिल जीत लेते हैं।
बच्चों को हमारे राष्ट्र के लिए बिल्डिंग ब्लॉक माना जाता था और उन्होंने कभी भी एक लड़की और लड़के के बीच भेदभाव नहीं किया। उनके लिए समानता किसी भी राष्ट्र के लिए एक आदर्श थी।
हम सभी चाहते हैं कि आप बच्चे भी पंडित नेहरू के आदर्शों का पालन करें जिससे आपके व्यक्तित्व का विकास हो और आप निकट भविष्य में उनके जैसे महान नेता बन सकें। वह साहस और शब्दों के व्यक्ति थे। विचारधारा को कभी मत छोड़ना उनकी विशिष्ट विशेषता थी। उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा, हालाँकि वे थकते नहीं थे और सारी सजा भुगत कर अपनी लड़ाई जारी रखी।
धन्यवाद
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