चंडीगढ़ मेयर चुनाव: उम्मीदवारी पर भाजपा में बगावत, क्या खेल बिगाड़ सकती है कांग्रेस ?
Chandigarh mayoral election: चंडीगढ़ में मेयर चुनाव के लिए बीजेपी की ओर से उम्मीदवार के नाम की घोषणा होने के साथ ही पार्टी में बगावत हो गई है। पार्टी ने अपने पार्षद रविकांत शर्मा (Ravi Kant Sharma) को मेयर पद का आधिकारिक उम्मीदवार बनाया है। इसके खिलाफ बगावत करते हुए पार्टी की एक और पार्षद चंद्रवती शुक्ला ने बतौर निर्दलीय उम्मीदवार पर्चा भर दिया है। यही नहीं पार्टी के एक और पार्षद भरत कुमार ने भी भाजपा से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी है। कुछ महीने बाद ही चंडीगढ़ में शहरी निकाय के चुनाव होने हैं और उससे पहले पार्टी में हुई इस खुली बगावत से कांग्रेस को नई संजीवनी मिलती नजर आ रही है। मेयर पद का चुनाव 8 जनवरी को होना है।
चंडीगढ़ मेयर चुनाव से पहले भाजपा में बगावत
लगता है कि चंडीगढ़ में पहले से ही पार्टी में बगवात की आशंका थी। इसलिए, बीजेपी ने मेयर के आधिकारिक उम्मीदवार की घोषणा नामांकन से ठीक पहले की। लेकिन, बात फिर भी नहीं और पार्षद चंद्रवती शुक्ला (Chanderwati Shukla)और उनके पति गोपाल उर्फ पप्पू शुक्ला ने पार्टी के फैसले पर विरोध जता दिया। वह फौरन नगर निगम दफ्तर (chandigarh municipal corporation) पहुंचीं और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा दाखिल कर दिया। दिलचस्प बात ये है कि उनके प्रस्तावकों में कांग्रेस के मेयर उम्मीदवार देविंदर सिंह बाबला (Devinder Singh Babla) और सतीश कैंथ (Satish Kainth)हैं। बाद में शुक्ला ने इंडियन एक्सप्रेस को अपनी नाराजगी की वजह बताई। उन्होंने कहा, 'ये अन्याय है। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) या बीजेपी (BJP) की रैली के लिए भीड़ जुटाने की बारे आती है तब मैं ही हूं जो इनके लिए सबकुछ हूं। मैं सिर्फ रैलियों में यूपी और बिहार के लोगों की भीड़ जुटाने के लिए हूं?मैंने इस पार्टी के लिए कितना काम किया है।' उनका कहना है कि वह तो सीनियर डिप्टी मेयर या डिप्टी मेयर के लिए भी कह रही थीं। उनका दावा है कि उन्हें पार्षदों का समर्थन है और वो चुनाव जीतेंगी।
कांग्रेस देख रही है भाजपा का गेम बिगाड़ने का मौका
भाजपा में हुई इस बगावत को कांग्रेस (Congress) हाथों-हाथ ले रही है। पार्टी के मेयर उम्मीदवार देविंदर सिंह बाबला ना सिर्फ बीजेपी की बागी उम्मीदवार के प्रस्तावक बने हैं, बल्कि चिंगारी को और भड़काने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे। बाबला ने कहा है, 'पूर्वांचल के लोगों को बीजेपी ने हमेशा नजरअंदाज किया है और अगर जरूरत पड़ी तो उनको समर्थन देने के लिए वह खुद भी पीछे हट सकते हैं।' उनका आरोप है कि, 'पूर्वांचल, गढ़वाल के लोगों का शहर में काफी महत्त्व है। बीजेपी ने उनके लिए कभी भी कुछ नहीं किया है। अगर आप देखेंगे तो उन्होंने तीनों पदों में से उन्हें कोई भी महत्वपूर्ण स्थान कभी नहीं दिया है। पूर्वांचल के लोगों को समर्थन देने के लिए मैं अपनी उम्मीदवारी भी वापस ले सकता हूं।'
भाजपा नेताओं को अभी भी है नाराजगी दूर कर लेने का भरोसा
चंद्रवती शुक्ला के तेवरों को देखकर शहर बीजेपी (BJP) उन्हें मनाने की कोशिशों में जुटी दिख रही है। शहर के भाजपा प्रमुख अरुण सूद (Arun Sood) ने कहा है कि शुक्ला का नाम उम्मीदवारी के लिए आगे था। 'वह नाराज हो गईं और नामांकन कर दिया। ऐसा नहीं है कि उनके नाम पर नहीं विचार किया गया। वह योग्य थीं और पार्टी उन्हें फ्रंट-रनर के तौर पर देख रही थी। मैं अभी उनके घर से आया हूं और गोपाल शुक्ला ने कहा है कि वह नामांकन वापस ले लेंगे। वह गुस्से में ऐसा कर गईं।' सूद ने यह भी दावा किया है कि कांग्रेस उम्मीदवार बावला समेत उनका नामांकन अमान्य होगा, क्योंकि मेयर पद के उम्मीदवार एक-दूसरे के प्रस्तावक नहीं हो सकते। भरत कुमार के बारे में वे बोले कि उन्होंने सिर्फ घोषणा की है, ना तो मुझे उनका इस्तीफा मिला है और ना ही मैं उसे स्वीकार करूंगा। वह थोड़े अपसेट हैं। मैंने उनके घर जाकर उन्हें मनाऊंगा।
भाजपा के मेयर उम्मीदवार को जानिए
चंडीगढ़ में बीजेपी के मेयर उम्मीदवार रवि कांत शर्मा (Ravi Kant Sharma)मूल रूप से हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के ऊना (Una) के रहने वाले हैं। 53 साल के शर्मा चंडीगढ़ निगम (chandigarh municipal corporation)के लिए पहली बार 2016 में पार्षद चुने गए थे और सेक्टर 16,17 और 22 के प्रतिनिधि हैं। वह मौजूदा पार्टी चीफ सूद और पूर्व अध्यक्ष संजय टंडन के शुरू से समर्थक रहे हैं। वह लो-प्रोफाइल नेता माने जाते हैं, जो कभी सदन में भी किसी बहसबाजी में नहीं पड़े हैं। सेक्टर 37 के निवासी शर्मा ने कहा है कि अगर वह चुनाव जीतते हैं तो वह शहर के निवासियों पर एक भी टैक्स नहीं लगाएंगे। उन्होंने लंबित पड़े कार्यों को भी प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने की बात कही है और सफाई कर्माचारियों के मुद्दे को जल्द सुलझाने का भरोसा दिया है। एमबीए शर्मा 1984 से भाजपा में हैं।
कैसे होता है चंडीगढ़ में मेयर पद का चुनाव
चंडीगढ़ में मेयर का कार्यकाल एक साल का होता है। मेयर का चुनाव आम सदन के निर्वाचित प्रतिनिधियों में से ही होता है। एक उम्मीदवार को मेयर चुने जाने के लिए 27 में से 14 वोट चाहिए। 9 मनोनीत पार्षदों को वोट देने का अधिकार नहीं होता। चंडीगढ़ के सांसद का भी एक वोट होता है, जो सदन का पदेन सदस्य होता है। 26 निर्वाचित पार्षदों वाले चंडीगढ़ नगर निगम में बीजेपी के 20 पार्षद हैं। कांग्रेस के 5 और शिरोमणि अकाली दल के 1 सांसद हैं, जिसका भाजपा के साथ गठबंधन है। इस बार मेयर की सीट सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है।