25,000 करोड़ रोशनी जमीन घोटाले में J&K के शीर्ष नेताओं की भूमिका की जांच करेगी सीबीआई
नई दिल्ली। सीबीआई जम्मू-कश्मीर के 25,000 करोड़ रुपए के रोशनी भूमि घोटाले के जांच के लिए तैयार है। एजेंसी ने मामले में चौथा मामला भी दर्ज किया है, जो बड़े भूमि अधिग्रहण घोटाले में प्रदेश के राज्य नेताओं की भूमिका की जांच करेगा। पता चला है कि सीबीआई मामले में जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूख अब्दुल्ला की भूमिका की भी जांच करेगा। जम्मू-कश्मीर में 'सबसे बड़े' घोटाले के रूप में संदर्भित यह योजना फारूक सरकार द्वारा शुरू की गई थी। CBI ने केद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के कई बड़े राजनेताओं व नौकरशाहों के नाम का भी खुलासा किया है।
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रिपोर्ट के मुताबिक 25,000 करोड़ रुपए के रोशनी जमीन घोटाले में प्रदेश के जिन नेताओं के नाम सामने आए हैं, उनमें हसीब दराबू, केके अमला, मोहम्मद शफी पंडित के नाम शामिल है। जम्मू-कश्मीर बैंक में चेयरमैं रह चुके हसीब दराबू पीडी़पी के बड़े नेता माने जाते हैं और वह राज्य के वित्त मंत्री भी रह चुके हैं। वहीं, केके अमला कांग्रेस के बड़े नेता है और श्रीनगर में उनका काफी नामचीन होटल भी है, जबकि मोहम्मद शफी पंडित मुख्य सचिव रैंक के अधिकारी रह चुके हैं, जिन पर अपने और अपने परिवारों के नाम पर काफी जमीन आवंटित कराने का आरोप है।
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सीबीआई ने सरकारी भूमि के बड़े हिस्से को हड़पने के लिए लोक सेवकों और अन्य की कथित भूमिका की जांच करने के लिए जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के निर्देश के बाद 25,000 करोड़ रपुए के रोशनी भूमि घोटाले के संबंध में अलग-अलग मामले दर्ज किए हैं। जैसा कि पहले बताया गया था कि राज्य योजना के तहत अतिक्रमित राज्य भूमि को जम्मू और कश्मीर राज्य द्वारा नियमित किया जाना था और इस योजना के तहत एकत्रित धन का उपयोग राज्य के लोगों के लिए पनबिजली परियोजनाओं के लिए किया जाना था।
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गौरतलब है इसी महीने की शुरूआत में जम्मू और कश्मीर राज्य भूमि (व्यावसायिक के स्वामित्व का मामला) अधिनियम को अशक्त और शून्य घोषित किया गया था, क्योंकि अदालत ने इसे असंवैधानिक और अनिश्चिति करार दिया था। इस अधिनियम को रोशनी अधिनियम भी कहा जाता है। जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने गत 9 अक्टूबर को इस मामले की जांच सीबीआई को ट्रांसफर कर दी थी। जम्मू के एक व्यवसायी बंसीलाल गुप्ता को एक प्राथमिकी में आरोपी के रूप में नामित किया गया है। इस घोटाले में जम्मू विकास प्राधिकरण के अधिकारी भी जांच के दायरे में हैं।
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इस घोटाले से जुड़े पहले मामले यह आरोप है कि जम्मू के राजस्व विभाग के अधिकारियों ने अवैध रूप से कब्जा करने वालों पर रोशनी अधिनियम और संबंधित नियमों की अनदेखी करके अनुचित लाभ पहुंचाया, कुछ अवांछनीय व्यक्तियों को मालिकाना हक दिया, जिससे सरकारी खजाने को भारी मौद्रिक नुकसान हुआ। दूसरे मामले में सांबाद के राजस्व अधिकारियों पर इसी तरह का आरोप लगाया गया है। सीबाआई के मुताबिक कई मामलों में राज्य की भूमि पर मालिकाना हक उन व्यक्तियों के पक्ष में दिया गया था, जो कि राजस्व रिकॉर्ड में अपने संबंधित नामों पर कब्जा नहीं कर रहे थे।
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